एससी वर्ग की वंचित जातियों को निश्चित आरक्षण देने पर कांग्रेस शासित कर्नाटक भी सहमत। जातियों के आंकड़े जुटाने के लिए कमेटी बनाई

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भाजपा शासित हरियाणा पहले ही फैसला कर चुका है। आखिर राजस्थान में कब?

दो माह पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी और एसटी वर्ग की वंचित जातियों के लिए आरक्षण में वर्गीकरण का फैसला दिया तो देश भर में विरोध किया गया। यहां तक कि एससी वर्ग के दबंग लोगों ने भारत बंद भी करवाया। इस विरोध को अप्रत्यक्ष और पर कांग्रेस का समर्थन रहा, लेकिन अब कांग्रेस शासित कर्नाटक ने भी फैसला किया  कि एससी वर्ग की वंचित जातियों को निश्चित तौर पर आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए एससी वर्ग में निर्धारित आरक्षण का वर्गीकरण होगा। 28 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई।

इस बैठक में फैसला किया गया कि एससी वर्ग के आरक्षण के वर्गीकरण के लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी एससी वर्ग की जातियों के आंकड़े जुटाएगी तथा जिससे पता चलेगा कि कितनी जातियों के लोगों को एक बार भी आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। कर्नाटक में भी एससी वर्ग की अनेक जातियां हैं जिनके परिवारों को एक बार भी आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। मालूम हो कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान से पूर्व भाजपा ने एससी वर्ग के आरक्षण में वर्गीकरण की घोषणा की थी।

भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी वंचित जातियों को 10 प्रतिशत आरक्षण निश्चित तौर पर देने का फैसला कर लिया है। हरियाणा में एससी वर्ग के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण है। अब जब भाजपा और कांग्रेस की राज्य सरकार कोर्ट में कोटा का फैसला लागू कर रही है, तब सवाल उठता है कि आखिर राजस्थान में इस फैसले को कब लागू किया जाएगा? राजस्थान में भी वाल्मीकि सहित अनेक ऐसी जातियां है, जिनके परिवारों को आरक्षण नहीं मिला है। पूरे राजस्थान में मौजूदा समय में विनोद मल्होत्रा ही अकेले वाल्मीकि समाज के आरएएस अधिकारी है। मल्होत्रा इस समय चित्तौड़ के अतिरिक्त जिला अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।

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