धनतेरस आज

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कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। यह पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार का पहला दिन होता है। इसके बाद से ही त्योहार शुरू हो जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन समुद्र से भगवान धन्वंतरि हाथ में सोने का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन धन में वृद्धि के लिए सोना, चांदी, बर्तन, वाहन, घर, भूमि आदि खरीदने की परंपरा चली आ रही है।
धनतेरस के दिन बहुत से लोग सोना-चांदी खरीदते हैं तो कई लोग वाहन भी खरीदते हैं।

मान्यता है कि धनतेरस पर कोई भी वस्तु खरीदकर लाने से घर में उसके 13 गुना धन की वृद्धि होती है। माना जाता है कि धनतेरस पर खरीदा गया वाहन सुख और सफलता प्रदान करता है। वहीं अगर धनतेरस के दिन वाहन शुभ मुहूर्त में खरीदा जाए तो यह और भी शुभ माना जाता है।

धनतेरस का पूजा मुहूर्त

धनतेरस – 29 अक्टूबर 2024
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि शुरू – 29 अक्टूबर 2024, सुबह 10.31
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त – 30 अक्टूबर 2024, दोपहर 01.15
पूजा मुहूर्त – शाम 06.31 – रात 08.13
यम दीपम मुहूर्त – शाम 05.38 – शाम 06.55

वाहन खरीदने का मुहूर्त

इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। यूं तो खरीदारी के लिए धनतेरस का पूरा दिन शुभ माना जाता है, लेकिन 29 अक्तूबर को सुबह 10.31 से लेकर 30 अक्तूबर को दोपहर 01.15 तक खरीदारी का मुहूर्त है।
चर (सामान्य) – सुबह 09:18 – सुबह 10.41
लाभ (उन्नति) – सुबह 10.41 – दोपहर 12.05
अमृत (सर्वोत्तम) – दोपहर 12.05 – दोपहर 01.28
लाभ (उन्नति) – रात 7.15 – रात 08.51

धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं बर्तन

धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धन्वंतरि भी इसी दिन अवतरित हुए थे, इसी कारण भी इस दिन को धनतेरस कहा गया है। समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि कलश में अमृत लेकर निकले थे, इसलिए इस दिन धातु के बर्तन खरीदते हैं।

धनतेरस पूजा की विधि

धनतेरस के दिन सुबह साफ सफाई के बाद सूर्योदय से पूर्व स्नान कर साफ या नए वस्त्र पहनें।
मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। अपने कार्यस्थल, दुकान की भी सफाई करें। वंदनवार लगाएं। लक्ष्मी जी के पद् चिन्ह् बनाएं।

भगवान धन्वंतरि को कृष्णा तुलसी, गाय का दूध और उससे बने मक्खन का भोग लगाना चाहिए। पीतल की वस्तु खरीदी हो तो जरुर उन्हें भेंट करें। धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें।

धन के देवता कुबेर और मां लक्ष्मी की षोडोपचार विधि से पूजा करें। कुमकुम, हल्दी, अक्षत, भोग अर्पित करें. उत्तर दिशा में देवताओं की पूजा करें।

शुभ मुहूर्त में खरीदारी करें। जो भी खरीदें उसे पहले धनतेरस की पूजा में मां लक्ष्मी को अर्पित करें फिर इस्तेमाल करना चाहिए।

शाम को आटे से चौमुखा दीपक बनाना चाहिए। उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में या दहलीज पर रखना चाहिए।

धनतेरस पर पूजा का मंत्र

धन्वंतरि देव मंत्र –

‘ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नम:

कुबेर मंत्र –

ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।

धनतेरस पर यम के नाम पर क्यों करते हैं दीपदान?

धनतेरस के दिन शाम शुभ मुहूर्त में यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है। ये दीपक दक्षिण दिशा में लगाएं।

ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175

राजेंद्र गुप्ता

राजेंद्र गुप्ता ज्योतिषी और हस्तरेखाविद हैं | इनसे 9116089175 पर संपर्क किया जा सकता है |

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