पहले डॉक्टर, फिर शादी के बाद दो बच्चे, अब जज बनकर इतिहास रचा

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चूरू। राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया गया है। इस बार 90 फीसदी लड़कियों ने बाजी मारी है। इसी कड़ी में हर तरफ चूरू की परमा चौधरी की चर्चा हो रही है। खास बात यह है कि परमा ने अपने पहले ही प्रयास में 187 अंक हासिल कर न केवल जज बनीं बल्कि राजस्थान में तीसरा स्थान भी प्राप्त किया। अपनी इस सफलता का श्रेय उन्होंने अपने परिवार और कड़ी मेहनत को दिया। लोकल 18 से बातचीत करते हुए परमा ने अपनी सफलता की पूरी यात्रा साझा की।

2010 में बीडीएस करने के बाद डॉक्टर बनीं परमा चौधरी की शादी 2012 में चूरू के सुमित लांबा से हुई। दो बच्चों की मां परमा ने बताया कि उनके पास दृढ़ संकल्प और परिवार के समर्थन के अलावा कुछ भी नहीं था। लेकिन उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की।

ससुराल का मिला साथ

शादी से पहले उनका जज बनने का सपना था, लेकिन शादी के बाद अपने मंगेतर सुमित के साथ प्रैक्टिस करते हुए उन्होंने उसी क्षेत्र में रहने का निर्णय लिया। हालांकि, उनके मन में आरजेएस बनने की ललक बनी रही और इस सपने को पूरा करने में उनके ससुराल का खास सहयोग मिला। आखिरकार परमा चौधरी की मेहनत रंग लाई और वो अब न सिर्फ जज बन गई है, बल्कि वो टॉपर की लिस्ट में तीसरे नंबर पर हैं।

2020 में चूरू के लॉ कॉलेज में एडमिशन

परमा के ससुराल का कानून से गहरा नाता है। उनके ताऊ ससुर, 86 वर्षीय बीरबल सिंह लांबा, चूरू के जाने-माने अधिवक्ता हैं, जो पिछले 56 वर्षों से चूरू कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। जबकि उनके ससुर सुरेंद्र सिंह लांबा भी एक वकील हैं। कानून की किताबों के बीच रहकर परमा ने 2020 में चूरू के लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और वहां बिना किसी कोचिंग के कॉलेज टॉपर बनीं। चार साल की लगातार मेहनत के बाद, परमा ने राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस (आरजेएस) में तीसरा स्थान हासिल कर सफलता की नई इबारत लिखी।

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