इस बार बराबर की स्थिति में हुई मोदी-जिनपिंग की मुलाकात

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मोदी ने स्पष्ट कहा कि जो चेहरे पर वह मन के अंदर भी होना चाहिए
मोदी-जिनपिंग की आमने-सामने वाली मुलाकात में रूस के राष्ट्रपति पुतिन की खास भूमिका

23 अक्टूबर को रूस के कजान शहर में ब्रिक्स समिट के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। भारत के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब किसी प्रधानमंत्री ने चीन के बराबर खड़े होकर मुलाकात की। मुलाकात तो पीएम मोदी ने पांच वर्ष पूर्व गुजरात के अहमदाबाद में भी की थी, लेकिन तब मोदी चाहते थे कि भविष्य में चीन के साथ कोई विवाद न हो। इसलिए शी जिनपिंग को गुजराती परंपरा के अनुरूप झूले में झुलाया भी गया। उस समय पीएम मोदी के मन में शी जिनपिंग का आदर भी था, लेकिन 23 अक्टूबर को कजान में हुई मुलाकात में मोदी के मन में चीन की ताकत को लेकर कोई डर नहीं था।

मोदी को पता था कि चीन यदि सीमा पर ताकत दिखाएगा तो भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब देगी। शी जिनपिंग गलवान में हमारी सेना की ताकत को देख चुके हैं। जिनपिंग से हुई मुलाकात में मोदी ने स्पष्ट कहा कि जो चेहरे पर है, वह मन के अंदर भी होना चाहिए। पूरी दुनिया जानती है कि चीन कहता कुछ और करता कुछ है। चीन भले ही किसी देश के साथ युद्ध न करें, लेकिन संबंधित देश की सीमाओं पर दहशत का माहौल खड़ा कर देता है। अनेक देश चीन की ताकत को देखकर डर जाते हैं, लेकिन मोदी ने अपने पिछले दस वर्ष के कार्यकर्ता में चीन को यह दर्शा दिया कि वह चीन को सम्मान तो करता है, लेकिन डरता नहीं है। गलवान की घटना के बाद भारत की नीतियों ने आर्थिक दृष्टि से चीन की कमर तोड़ दी है। चीन की कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए।

यह सही है कि भारत में आज भी चीन का माल अधिक मात्रा में बिकता है, लेकिन मोदी की नीतियों के कारण भारतीय बाजार में अब चीन की पहले जैसे दादागिरी नहीं है। गलवान के बाद भारत की ओर से चीन पर जो चौतरफा दबाव बनाया गया, उसी का परिणाम रहा कि 23 अक्टूबर की मोदी-जिनपिंग की मुलाकात से पहले पूर्वी लद्दाख की सीमा पर शांति बहाली का समझौता किया गया। शी जिनपिंग के भी अब समझ में आ गया है कि भारत को डराया नहीं जा सकता। यही वजह रही कि द्विपक्षीय मुलाकात में जिनपिंग ने भी नरेंद्र मोदी का पूरा सम्मान किया।

पुतिन की भूमिका

जानकार सूत्रों के अनुसार ब्रिक्स समिट में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात के पीछे रूस के राष्ट्रपति पुतिन की खास भूमिका रही। पुतिन चाहते हैं कि भारत और चीन के बीच कोई विवाद न हो। यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में मोदी की भूमिका से पुतिन संतुष्ट है। सूत्रों के अनुसार 23 अक्टूबर की मुलाकात से पुलिस पुतिन ने ही मोदी और जिनपिंग से अलग अलग बात की। ब्रिक्स समिट में भी पुतिन ने जिनपिंग से ज्यादा नरेंद्र मोदी को महत्व दिया। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब सीमाओं पर चीन, भारत को डराने का काम नहीं करेगा। भारत और चीन के रिश्ते मजबूत होने से पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर होगी।

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