अजमेर को नाड़ी वैध देवनानी की ही जरूरत

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विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी

अजमेर को पानी से होने वाली तबाही से मुक्ति मिलने वाली है। इस बारे में मैंने चार पाँच दिन पहले ही जानकारी देते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी जी की भूरी भूरी सराहना की थी। आज लगभग सभी अखबारों में देवनानी जी के प्रयासों पर शानदार कवरेज मिला है। सभी अखबार अलग अलग खबरों से पटे पड़े हैं।

देवनानी जी के बारे में बता दूँ कि उनके पिछले पंद्रह साल के कार्यकाल से मैं जरा भी प्रभावित नहीं था। यही वजह रही कि उनको लेकर मेरी कलम हमेशा विपरीत चली। इस बार उनके कार्यकाल की शुरूआत ही इतनी आक्रामक है कि कोई पत्रकार चाह कर भी उनके विरूध्द कुछ नहीं लिख सकता। इस बार उनमें नए देवनानी नजर आ रहे हैं। शहर की मूलभूत जरूरतों पर उनकी पैनी निगाह और फिर उस पर हमला यह बात अनोखे रूप में दिखाई दे रही है। जैसे उनमें किसी युवा नेता ने परकाया प्रवेश कर लिया हो। अद्भुत कार्यशैली से वह जिला प्रशासन को समस्याओं का हल खोजने पर विवश कर रहे हैं।

उन्होंने पिछले सप्ताह मुझसे हुई मुलाकात में बताया था कि वह अजमेर के ड्रेनेज सिस्टम और पहाड़ियों पर हो रहे अतिक्रमणों को लेकर बेहद गंभीर हैं। उन्होंने जो बताया वह मात्र पाँच दिन बाद ही साकार रूप में सामने आ गया।

कचहरी रोड के अवरुद्ध यातायात पर उन्होंने जो कदम उठवाए वह सराहनीय हैं। हो सकता है कि कचहरी रोड पर हुई तोडफोड़ को लेकर कुछ लोग नाराज हों। हो सकता है देवनानी जी की नीयत पर भी सवाल उठा लिए जाएं लेकिन जब कठोर कदम उठाए जाते हैं तो इस तरह की बातें सामने आना स्वभाविक ही है।

शहर के नालों पर जिस तरह निर्माण हुए। चाहे वह जायज हों या नाजायज! यदि निर्दयता या सख़्ती से उस समय कदम उठा लिए गए होते जब वह किए जा रहे थे तो आज इतनी बदहाल निकासी नहीं होती। पूरे शहरों में पानी की निकासी को रोका जाता रहा। नालों पर दुकानें! होटल्स! ढाबे! शोरूम बनाए जाते रहे और निगम के अधिकारी व कारिंदे सेवा शुल्क लेकर निमार्णों को नजरअंदाज करते रहे।स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस काम में अपनी जिÞम्मेदारी को ताक पर रख दिया।

पिछले बीस सालों में माफियायों ने जिस तरह से अतिक्रमण किए और करवाए उसी का नतीजा है कि शहर जरा सी बारिश में बाढ़ के हालात से गुजरने लगता है।

लोगों ने अजमेर की हर पहाड़ी को काट काट कर अवैध बस्तियां बसा ली हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्या अवैध कब्जे कर अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं।

सम्मानीय देवनानी जी ने इस बार अपने सियासती तेवर से दायित्व निभाने शुरू कर दिए हैं।

अजमेर का 88 साल पुराना ड्रेनेज सिस्टम वापस निकाल लिया है। आनासागर की पुरानी नहरों को खुलवाने का इरादा जता दिया है। आजादी के पहले 1936 में तैयार हुए ड्रेनज सिस्टम की प्रासंगिकता तलाशी जा रही है। फायसागर का जल भराव क्षेत्र बढ़ाया जा रहा है। आनासागर एस्केप चैनल का अन्य विकल्प ढूँढा जा रहा है। दधीचि वाटिका नहर को फिर से जिÞन्दा करने की बात सोची जा रही है।

विशेषज्ञ अशोक रंगनानी और अनिल जैन के अनुभवों को इस्तेमाल किया जा रहा है। बेहतर होता यदि इस कार्य में अशोक मलिक! धर्मेंद्र जैन सहित उन बुजुर्ग नागरिकों को भी शामिल कर लिया जाता जिन्होंने अपने समय में बेहतर निकासी प्रबन्धन देखा हो।

कचहरी रोड के एक तरफ का अतिक्रमण तो हटाया जा रहा है दूसरी तरफ का नहीं। जबकि दूसरी तरफ बनी दुकानें निगम द्वारा लीज पर दी गयीं थी और उनकी अवधि खत्म हो चुकी है। ये दुकानें भी नाले पर बनी हुई हैं। अवैध हैं। इनको तोड़े जाना भी जरूरी है। दुकानदारों को शहर में अन्यत्र कहीं जगह अलॉट की जा सकती है।

न्यू मैजिस्टिक से लेकर प्लाजा टाकीज तक के नालों पर हुए निमार्णों को निर्दयता से हटवाना जरूरी है।

मुझे खुशी है कि वासुदेव देवनानी ने निगम प्रशासन को साफ निर्देशित कर दिया है कि शहर में अतिक्रमण कहीं नजर नहीं आना चाहिए। यह भी खुशी की बात है कि निगम आयुक्त देशल दान ने भी नालों पर हुए निर्माण हटाने की कसम खा ली है।

दरगाह व अंदर कोट क्षेत्र में जो सेटेलाइट से जो सुपर इम्पोज नक़्शे बनाये गए हैं उनसे साफ है कि वन विभाग की 700 और नगर निगम की 300 बीघा जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। इसी तरह दिल्ली गेट! केसर गंज! ट्राम्बे! नागफनी! तारागढ़ पर लोगों ने जम कर कब्जे कर लिए हैं।

देवनानी जी ने यदि वास्तव में ईमानदारी से शहर के विकास की उँगली थाम ली है तो शहर वासियों को भी खुले दिल से उनका साथ देना चाहिए। मित्रो! एक कहावत है कि कड़वी भेषज बिन पिये, मिटे न तन की पीर! यानि शरीर की व्याधा दूर करने के लिए कड़वी दवा का सेवन बेहद जरूरी है। अजमेर शहर नाना प्रकार की बीमारियों से त्रस्त है। इसके लिए देवनानी जी जैसे नाड़ी वैध की ही जरूरत है।

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1 thought on “अजमेर को नाड़ी वैध देवनानी की ही जरूरत”

  1. छोटे मोटे ठेले वालों, दुकानदारों से अतिक्रमण हटवाना आसान है | पाकिस्तान ने 1947 से 34,639 वर्ग किलोमीटर पर अतिक्रमण कर रखा है | चीन 1962 से 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन अतिक्रमण कर के बैठा है | देखते है भारतीय जनता पार्टी के नेता कितनी जमीन अतिक्रमण से मुक्त कर के दिखा सकते हैं |

    सुना है किसी ने संसद भवन तक पर दावा ठोक दिया | तो इतनी वीरता मामूली से दुकानदारों पर क्यों ? जहाँ जगह है वहाँ कर के दिखाएँ ..

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