प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के कजान शहर में आयोजित ब्रिक्स समिट में शामिल हुए। ब्रिक्स के मंच से उन्होंने चीन, रूस समेत पूरी दुनयिा को नसीहत दी कि जंग कसिी भी समस्या का समाधान नहीं है। पीएम मोदी ने कहा- हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं। पीएम जब संबोधित कर रहे थे, तो उनके अगल-बगल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मौजूद थे।
पीएम मोदी का ब्रिक्स सम्मेलन के सत्र में बयान
आज की बैठक के शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि आज हम पहली बार एक्सटेंडेड ब्रिक्स फैमिली के रूप में मिल रहे हैं। ब्रिक्स परिवार से जुड़े सभी नए सदस्यों और साथियों का मैं हार्दिक स्वागत करता हूं। पिछले एक वर्ष में, रूस की सफल अध्यक्षता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का अभिनन्दन करता हूं।
फ्रेंड्स, हमारी बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, क्लाइमेट चेंज आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है। विश्व में नार्थ-साउथ और पूर्व-पश्चिम डिवाइड की बात हो रही है। महंगाई की रोकथाम, फूड सिक्योरिटी, एनर्जी सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी, वॉटर सिक्योरिटी, सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय है और टेक्नोलॉजी के युग में, साइबर सिक्योरिटी, डीप फेक, डसिइंफॉर्मेशन जैसी नई चुनौतियां बन गई हैं। ऐसे में, ब्रिक्स को लेकर बहुत अपेक्षाएं हैं।
मेरा मानना है कि एक डाइवर्स और इन्क्लूसिव प्लेटफॉर्म के रूप में, ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है। इस संदर्भ में हमारी अप्रोच पीपुल सेंट्रिक होनी चाहएि। हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी समूह है।
हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं। और, जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को परास्त किया, उसी तरह हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
आतंकवाद और टेरर फाइनेंसिंग से निपटने के लिए हम सभी को एक मत हो कर दृढ़ता से सहयोग देना होगा। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं है। हमारे देशों के युवाओं में रेडक्लिाइजेशन को रोकने के लिए हमें सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए। यूएन में कंप्रहेंसिव कन्वेंशन आॅन इंटरनेशनल टेररज्मि के लंबित मुद्दे पर हमें मिलकर काम करना होगा। उसी तरह साइबर सिक्योरिटी, सेफ और सिक्योर एआई के लिए ग्लोबल रेगुलेशंस के लिए काम करना चाहिए।
फ्रेंडस, ब्रिक्स ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छा-शक्ति रखता है। हमें अपना उदाहरण पूरे विश्व के सामने रखते हुए ग्लोबल इंस्टीट्यूशंंस में सुधार के लिए एकमत होकर आवाज उठानी चाहिए।
हमें यूएन सिक्योरिटी काउंसलि, मल्टीलेटरल डेवपलमेंट बैंक्स, वलर््ड ट्रेड आर्गनाइजेशन जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार के लिए समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम ग्लोबल इंस्टीट्यूशंस में रिफार्म नहीं, बल्कि उन्हें रिप्लेस करना चाहते हैं।
ग्लोबल साउथ के देशों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। वाइस आॅफ ग्लोबल साउथ समिट और अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने इन देशों की आवाज को वैश्विक मंच पर रखा है। मुझे खुशी है कि ब्रिक्स के अंतर्गत भी इन प्रयासों को बल मिल रहा है। पिछले वर्ष अफ्रीका के देशों को ब्रिक्स से जोड़ा गया। इस वर्ष भी रूस द्वारा अनेक ग्लोबल साउथ के देशों को आमंत्रित किया गया है।