आजादी के पहले स्वतंत्रता के लिए हुए आंदोलन में ब्यावर की भूमिका इतिहास में दर्ज है। क्रांतिकारियों ने ब्यावर व उसके आस पास के क्षेत्रों को अपनी कर्मभूमि बनाकर युध्द लड़ा। देश आजाद हुआ तो ब्यावर को जो दर्जा मिलना चाहिए था नहीं मिला। ब्यावर के लोग अपने जुझारूपन के लिए समय समय पर लोहा मनवाते रहे हैं। यही वजह है कि जब भी कभी क्रांति देश की जरूरत बनती है ब्यावर हाथ में मशाल लेकर खड़ा हो जाता है।
आजादी के बाद अपनी बदकिस्मती पर आँसू बहाने की जगह उसने हमेशा आंदोलन की जमीन तय्यार की और हमेशा अपने हकों को लेकर ही दम लिया। चाहे पानी की भीषण समस्या हो! चाहे जिला बनाने की! चाहे औधोगिक मसलों की! ब्यावर की जनता ने हमेशा चील के घौंसलों से अपने हक छीने।
ब्यावर के राजनेताओं की खुद्दारी इससे बढ़ कर क्या होगी कि मुख्यमंत्री चाहे जो रहा हो यहाँ के विधायक उनके सामने सर उठा कर ही खड़े रहे। नतीजा चाहे इस मनोवैज्ञानिक कारण से विपरीत रहा हो मगर यह खुद्दार शहर हमेशा जीवन मूल्यों की लड़ाई लड़ता रहा।
कल मैं ब्यावर रहा। वहाँ लोकतंत्र का मेला लगा हुआ था। संविधान को सुरक्षित रखने के लिए संकल्पित लोगों का मेला!मेला था। भीड़ इकट्ठी नहीं हुई थी। समान उद्देश्यों के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखने वाले लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे। इनमें सर्वहारा वर्ग के विशेष लोग शामिल थे तो सर्वोच्च वर्ग के बौद्धिक लोग भी!
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के चर्चित पूर्व न्यायाधीश थे! ख्यातिनाम पत्रकार और वकील भी। ऐसे ऐसे चेहरे जिनको लोग टी वी चैनल्स पर बरसों से देखते आए थे वे सब मेलार्थी बन कर लोगों में मौजूद थे।
यहाँ बता दूँ कि देश में जिस सूचना के अधिकार को संवेधानिक अधिकार बनाया गया उसकी बुनियाद ब्यावर से ही रखी गयी थी। नगर का सुप्रसिध्द चांग गेट हर काल में वैचारिक क्रांति का वाचाल गवाह रहा। उसकी गवाही ! देश की आजादी से जुड़ी तो सूचना के अधिकार से भी।
कल ब्यावर में सूचना के अधिकार का विश्व में पहला संग्रहालय खोले जाने की भूमिका तय्यार हुई। उसकी आधार शिला रखी गई। आइए जरा इस बारे में किसने क्या कहा यह भी सुन लें।
“संविधान को बचाना भारत के प्रत्येक नागरिक की जवाब दही है।
(सर्वोच्च न्यायालय )जस्टिस मदन भीमराव लोकुर
“समता एक प्रमुख संवैधानिक मूल्य है जिसे न केवल सार्वजनिक जीवन में बल्कि निजी जिंदगी में भी अपनाना होगा”–
-जस्टिस एस मुरलीधर
“लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है लेकिन आज नौकरशाही एवं चुने हुए प्रतिनिधि अपने आप को मलिक समझ बैठे हैं.”
सुप्रीम कोर्ट वकील प्रशांत भूषण.
“लोगों को देखकर नई ऊर्जा से भर गया”– प्रशांतो सेन ,सुप्रीम कोर्ट वकील
“आरटीआई संग्रहालय बनाए जाने से स्थानीय स्तर पर लोगों के द्वारा किए गए संघर्ष को पूरे देश और दुनिया में जाना और समझा जा सकेगा- ”
-अरुणा राय ,सुप्रसिद्ध एक्टिविस्ट.
“लोगों को 30 दिन में सूचना मिले न केवल सूचना उनकी समस्याओं का समाधान भी हो हमारा यह विश्वास रहेगा ।”
-गौरव बुडानिया एसडीएम ब्यावर
ये सब उद्घगार हजारों एक्टिविस्ट्स के मेले में सुनने को मिले।
मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं लोकतंत्र शाला द्वारा आयोजित जन संविधान लोकतंत्र एवं आरटीआई महोत्सव में सूचना के अधिकार संग्रहालय का शिलान्यास किया गया।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन भीमराव लोकुर तथा उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए एस मुरलीधरन के कर कमलों से शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर आॅनलाइन माध्यम से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर भी मौजूद रहे। नर्मदा खेड़ा गांव में शिलान्यास हुआ। वहां पर सबसे पहले लोकतंत्र शाला से जुड़े लाल जी ने संविधान की प्रस्तावना प्रस्तुत की । उपस्थिति जनसमुदाय को संविधान सर्वोपरि रखने की शपथ दिलाई।
इस अवसर पर ब्यावर घोषणा पत्र भी तैयार किया गया जिसमें राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दे शामिल किए गए।
यह लोकतंत्र मेला ब्यावर के इतिहास को आगे बढाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। मेले की कामयाबी में यद्यपि पूरे ब्यावर वासियों की मेहनत शामिल है मगर कुछ लोग जो मुझे अधिक सक्रिय नजर आए उनमें पत्रकार और विचारक रामप्रसाद कुमावत, पत्रकार भगवत दयाल सिंह, विजेंद्र प्रजापति(जॉली भाई ), कुलभूषण उपाध्याय, शशांक त्रिपाठी, दिलीप सिंह, हेमेन्द्र सोनी, ईशान कुमावत,भगवान दास तंवर, प्रो.जलालुद्दीन काठात, प्रो. हरीश गुजराती, एडवोकेट नीलेश बुरड़, मुकेश गोयर,शंकर प्रजापति मुख्य रूप से नजर आए।
ब्यावर शहर को एक बार फिर लोकतंत्र के सफल मेले के आयोजन की हार्दिक बधाई।