कुछ दिनों पहले से मैं बराबर आप सबको आगाह कर रहा हूँ कि अपनी युवा होती संतानों पर कड़ी नजर रखें। मोबाईल पर वे क्या कर रहे हैं? इस पर समझदारी से निर्णय लें। जिनको आप भोली भाली संतान समझ कर अपने हाल पर छोड़ देते हैं वे दरिंदों के पंजों का शिकार हो रहे हैं।
दैनिक भास्कर अखबार में जो खबर कल छपी है उसे मैं बहुत समय से आपकी समाहतों के हवाले कर रहा था। अहमदाबाद के डॉ तेजस प्रजापति के हवाले से यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गई है। इस खबर में बताया गया है कि 12 वीं क्लास में पढ़ने वाले दो छात्रों की यूरीन रिपोर्ट में कोकिन की मात्रा पाई गई है। यूरीन की जांच इसलिए करवाई गई थी कि दोनों छात्र रोजमर्रा में सामान्य व्यवहार नहीं कर रहे थे।
डॉ प्रजापति ने साफ किया कि अहमदाबाद में ड्रग तस्कर युवाओं में नशे की लत डाल रहे हैं। 40 फीसदी युवक नशे का शिकार हो चुके हैं। सूखा जहर उनकी धमनियों में कब्जा कर चुका है । यह बहुत भयावह स्थिति है।
मित्रों! हम शहर और मोहल्ले की गंदगी को लेकर जागरूक हैं! सड़कों की बदहाली पर मुखर हैं! पानी और बिजली को लेकर आंदोलन कर लेते हैं! सनातन और गैर सनातन के मुद्दों पर बहस करने में पीछे नहीं रहते! मगर समाज की गंदगी के लिए कोई आंदोलन खड़ा नहीं करते। सामाजिक प्रदूषण के विरुद्ध कभी मुठ्ठी नहीं तानते! आखिर हम कहाँ जाकर अपनी पीढ़ियों को मुंह दिखाएंगे?
भेष बदल बदल कर दरिंदे हमारी पीढ़ियों को खोखला कर रहे हैं। पुड़ियों में जहर बेचा जा रहा है। जवान लड़के ही नहीं लड़कियां भी होस्टल्स और क्लबों में जाकर जहरीले धुंए को रगों में घोल रही हैं।
गरीब हो या अमीर ! दोनों ही वर्ग के युवाओं को शिकार बनाया जा रहा है। कोकीन! एल एस डी! एल एम डी! स्मैक सहित नशीले इंजेक्शंस! दवाईयां युवाओं को चोरी छिपे बेची जा रही है। हम खामोश हैं। सरकार सत्ता बचाये रखने में व्यस्त है। पुलिस सस्ती और घटाई दर पर मासिक किस्तों में बिकी हुई है। माँ बापों को अपने काम काज और मौज मस्ती से फुर्सत नहीं! अधिकतर संत महात्मा लोग आज कल कहाँ व्यस्त हैं ये किसी से छिपा नहीं।
जरा सोचिए कि हम इस मुल्क की जड़ों में कौनसा तेजाब डाल रहे हैं।
हो सकता है आपको लग रहा हो कि आए दिन क्यों मैं एक ही विषय पर अपने विचार आपको परोस देता हूँ मगर मित्रों! यह मेरा सामाजिक दायित्व है। सच्चा पत्रकार वही है जो समय रहते आने वाले खतरों से समाज की आंखें खोल दे। मुझे आपकी संतानों की चिंता है। मेरी अपनी संतान तो भारत का नाम दुनिया भर में ऊँचा कर रही है। उसकी मुझे कोई चिंता नहीं।
हो सकता है अभी तक भी आपके बेटे! बेटियां अभी इन दरिंदों की चपेट में नहीं आ पाए हो और आप उन माँ बापों के दर्द से वाकिफ न हों जिनके बच्चे नशे और आन लाइन गेमिंग के शिकार हो चुके हैं। नशे में जिनके बच्चे घरों में कैद होकर चीखते चिल्लाते रहते हैं। घर भर को सर पर उठाए रहते हैं। मां बाप रो रो कर अपने मर जाने की दुआ ईश्वर से मांगते रहते हैं। डॉक्टर्स द्वारा इलाज के नाम पर लाखों रुपये खर्च करवा लिए जाते हैं! मनोचिकित्सक हाथ खड़ा कर देते हैं। बाबाओं और तांत्रिकों की चौखट पर माँ बाप माथा फोड़ने को तय्यार हो जाते हैं।
सच कह रहा हूँ मित्रों! भले ही आज आप इस दुविधा जाल में न फंसे हों मगर फंस गए तो निकलने का कोई रस्ता नहीं निकलेगा।
भीलवाड़ा के शाहपुरा से ऐसे ही एक अभिभावक ने मेरा ब्लॉग पढ़ कर फोन किया। बताया कि भीलवाड़ा जिले में हालात बेहद बदतर हो चुके हैं। नशे का शिकार होकर युवा बर्बाद हो चुके हैं।
यह हाल भीलवाड़ा का ही नहीं हर जिले का है। पिछले दिनों मैंने केकड़ी ,ब्यावर, किशनगढ, पुष्कर,अजमेर को लेकर चिंता व्यक्त की थी। सच में अब तो गांवों तक के युवक नशे का शिकार होते जा रहे हैं।
सरकार! पुलिस! अधिकारी! कोई हथेली नहीं लगाएगा दोस्तों! धर्म युध्द में गांडीव अर्जुन को खुद उठाना पड़ा था। आप भी समझ लीजिएगा कि औलाद आपने पैदा की हैं, उनको सुरक्षित रखने की जिÞम्मेदारी भी आपकी ही है।