दूर की गोटी
दिल्ली भाजपा के शीर्ष नेता अब संघ के सामने चूहों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। जिन नेताओं की लोकसभा चुनाव से पहले, एक छत्र तानाशाही छवि थी, वह अब चूहों जैसी हो गई है। संघ ने नड्डा मोदी और शाह को जिस तरह से अखाड़े में पटकी दी है उसका तोड़ ढूँढा जा रहा है।
बिना पुख़्ता सूत्रों की जानकारी के मैं कभी कुछ नहीं लिखता इसलिए आज भी कह रहा हूँ कि दिल्ली के सियासती गलियारों में संघ के हमलावर होने पर कई तरह की खबरें हवाओं में महक रही हैं।
संघ ने जब से संजय जोशी का नाम बतौर नए अध्यक्ष के लिए प्रस्तुत किया है मोदी और शाह परेशान हैं। उन्होंने इस नाम पर आपत्ति जताई तो संघ ने वसुंधरा राजे का नाम आगे कर दिया। जोशी का विकल्प राजे भी उनको पसंद नहीं आ रहा। उनकी कोशिश है कि इन दोनों नामों की जगह तीसरा कोई नाम संघ सुझाए। जाहिर है कि वह समझ रहे हैं कि यदि जोशी या वसुंधरा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया तो सारे भाजपाई सांसद उनके अंडर चले जायेंगे। वह यह भी जानते हैं कि 90 फीसदी सांसद उन दोनों से किसी ना किसी कारण से खुश नहीं।
जनता के बीच से चुनाव जीत कर आए सांसदों को कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं दिए गए हैं। राज्यसभा से आये सांसदों को महत्वपूर्ण मंत्रालय दे रखे हैं। यहाँ तक कि मध्यप्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता शिव राज सिंह चौहान को कृषि मंत्री जैसा झुनझुना पकड़ा दिया गया है जबकि जोड़ तोड़ की हवा से पैदा हुए कई लोग मलाईदार मंत्रालय संभाले बैठे हैं।
यहाँ बता दूँ कि मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह चौहान के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया। वह खुद देश में सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले नेता थे। उन्होंने 8 लाख से ज्यादा मतों से चुनाव जीता था। विधानसभा में भी उनके ही समर्थक चुनाव जीत कर आए। उम्मीद की जा रही थी कि उनको ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा मगर दिल्ली ने उनको बर्फ में लगा दिया।
राजस्थान में भी यही धोबी पटक दांव खेलते हुए पचास से ज्यादा विधायकों के समर्थन से विधानसभा में आईं वसुंधरा को बर्फ़ में लगाते हुए पर्ची मुख्यमंत्री बना दिया गया जो आज की तारीख में हर मोर्चे पर अनुत्तीर्ण हो रहा है।
विधानसभा चुनाव में टिकिट देते समय यदि वसुंधरा को साथ रखा जाता तो दावे के साथ पार्टी को और बेहतर विधायक बल मिलता।
मित्रों! अब तक जो मैंने कहा या बताया वह कोई नई सूचना नहीं। सभी जानते हैं मगर अब जो बता रहा हूँ वह नई और पुख़्ता जानकारी है। चौंकाने वाली जानकारी।
मोदी और शाह ने संघ को आॅफर दिया है कि वह वसुंधरा को राजस्थान का और शिवराज सिंह को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने को तैयार हैं बशर्तें राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके हिसाब से बनाने दिया जाए।
संघ ने अभी इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया है। वसुंधरा और शिवराज सिंह तक भी सीधे आफर पहुंचाया गया है। फिलहाल दोनों नेता संघ से तालमेल बनाए हुए हैं।
इधर संजय जोशी को पार्टी का संगठन महामंत्री बनाने की भी बात गलियारों में सुनी जा सकती है।
राजस्थान और हरियाणा के उपचुनावों के बाद ही संघ कोई निर्णय लेने का मानस बना चुका है। कश्मीर चुनाव से भाजपा के लिए कोई खुश खबरी मिलने वाली है नहीं! हरियाणा और राजस्थान के उपचुनावों से भी कोई उत्साह जनक समाचार आते नजर नहीं आ रहे। ऐसे में 8 अक्टूबर के बाद ही सियासती महाभारत शुरू होने के आसार हैं। देखते हैं कि संजय जोशी! वसुंधरा और शिव राज सिंह की तकदीर उनको कहाँ फिट करती है और मोदी और शाह को कहाँ?