वसुंधरा ही होंगी भाजपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष

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भारतीय जनता पार्टी की नई अध्यक्ष राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही होंगी।

यह खबर सूत्रों ने पुख्ता कर दी है। संजय जोशी का नाम दौड़ से बाहर हो गया है। यहां बता दूं कि परसों वसुंधरा राजे और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच फोन पर लंबी बात हुई। उन्होंने भागवत जी को बताया कि मोदी जी की तरफ से उन्हें बराबर मिलने को बुलाया जा रहा है, मगर उन्होंने उन्हें टाल दिया है।

उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव भी रखा गया मगर उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहकर मना कर दिया कि संघ जो आदेश देगा वह उसके इतर नहीं जाएगी।

पुख्ता खबर है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उनसे जब साफ तौर पर पूछा कि आप क्या चाहती हैं? मुख्यमंत्री बनना या राष्ट्रीय अध्यक्ष? तो उन्होंने भी दो टूक शब्दों में कह दिया कि वह संघ के आदेश को ही सर्वोपरि मानेगी।

फोन पर बात के बाद अब यह तय हो गया है कि वसुंधरा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का संघ ने अंतिम फैसला कर लिया है। फैसला वसुंधरा को सुना भी दिया गया है।

अब देखना यह है कि इस आदेश को अमली जामा कब पहनाया जाता है? कयास लगाए जा रहे हैं कि नवरात्री में कभी भी यह आदेश हो जाएंगे।

दूसरी तरफ यह भी देखा जा रहा है कि संघ के आदेश को भाजपा के सर्वे सर्वा मोदी और शाह क्या और किस तरह स्वीकार करते हैं? क्या विकल्प ढूंढते हैं? क्या फैसला लेते हैं?

सुरेंद्र चतुर्वेदी

सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सि‍यत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |

चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |

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