राजस्थान की राजनीति मदारी के हाथों का खेल बनती नजर आ रही है। सब कुछ बदलाव के मोड़ पर आ खड़ा हुआ है। एक तरफ राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुनर्वास की खबरें सुर्खियों में हैं दूसरी तरफ वर्तमान उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा को उनके पद से हटाए जाने की खबरें आम लोगों तक पहुंच रही हैं। इधर बैरवा की जगह उपमुख्यमंत्री बनने वालों के नाम भी सत्ता के गलियारों में सुनाई दे रहे हैं।
उधर दिल्ली में मदारी डुगडुगी बजा रहे हैं इधर जयपुर के सियासती बन्दर नृत्य की मुद्रा में उछल कूद मचा रहे हैं।
राजस्थान में ऊपर से तो कुछ ठीक सा चलता नजर आ रहा है मगर अंदर खाने कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। मुख्यमंत्री भजन लाल की मीडिया टीम उनको सफल बताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही। अखबार उनकी योजनाओं को लेकर विज्ञापन छाप रहे हैं। खुल कर खजाने खाली किए जा रहे हैं। इतने पर भी भजनलाल जी से फिलहाल तो न जनता खुश है! न अधिकारी और न ही विधायक और मंत्री।
उप मुख्यमंत्री प्रेम बैरवा पुत्र प्रेम का शिकार होकर पंख कटे कबूतर की तरह फड़फड़ाते नजर आ रहे हैं। हाल ही उनको तत्काल दिल्ली बुलाकर जे पी नड्डा और अमित शाह ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। चर्चा है कि उनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है या कहिए मांग लिया गया है।
पुत्र की रील ने कील बनकर उनको सियासती संकट में डाल दिया है। नाबालिग पुत्र की जीप ड्राइविंग और उनके साथ बैठे कांग्रेसी नेता के पुत्र का साथ तूल पकड़ चुका है। रील में उनके पीछे एस्कोर्ट कर रही सरकारी गाड़ी भी सवालों में है।
सियासती गलियारों में बैरवा का हटाया जाना तय माना जा रहा है और यही वजह है कि खाली होने वाले उपमुख्यमंत्री के लिए दावेदारों ने लंबी और ऊँची कूद शुरू कर दी है। लगभग छह नेता इस दौड़ में शामिल हैं। इनमें दो नाम खास तौर से चचार्ओं में हैं। एक तो भाजपा के दबंग और तेज तर्रार नेता किरोड़ी लाल मीणा का नाम जयपुर से दिल्ली तक में रफ़्तार पकड़े हुए है दूसरा नाम पूर्व मंत्री अनीता भदेल का है।
किरोड़ी लाल मीणा हालांकि वर्तमान में भी काबिना मंत्री हैं पर उन्होंने पद से रहस्यमयी इस्तीफा दे रखा है। अपने मंत्रालय की एक बैठक और कल हुईं कैबिनेट की बैठक में शामिल होने के बावजूद उनकी नाराजगी बरकरार है। दिल्ली और जयपुर में उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर भी कर दी है। माना जा रहा है कि प्रेम बैरवा को हटाए जाते ही उनको उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
यदि ऐसा हुआ तो उनके तेजस्वी औरा के सामने भजनलाल का स्वरूप बौना हो जाएगा।जैसा भजनलाल की शांत स्वभाव की कार्यशैली है उसके मद्देनजर तेज तर्रार मीणा उन पर दस गुणा भारी पड़ेंगे। उपमुख्यमंत्री होते हुए भी उनका आधिपत्य मुख्यमंत्री पर भारी पड़ेगा। यह बात भजनलाल ही नहीं दिल्ली में बैठे उनके आका भी जानते हैं। यदि मीणा के वर्चस्व को ही इस्तेमाल किए जाना होता तो उनको पहले ही मुख्यमंत्री बना दिया गया होता। व्यवहारिक रूप से भी देखा जाए तो अनुभवी मीणा के सामने भजनलाल कहीं नहीं टिकते। बिना मुख्यमंत्री हुए भी वह आज अधिकारियों के लिए विशेष दर्जा पा लेते हैं।
माना जा रहा है कि भजनलाल स्वयं भी उनको अपने साथ उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से खुश नहीं होंगे। खैर जो हो इस दौड़ में उनका नाम ही सर्वोपरि चल रहा है।
दूसरा नाम अजमेर उत्तर की महिला विधायक अनीता भदेल का भी चचार्ओं में है। वह पाँच बार लगातार विधायक बनती आई हैं। वसुंधरा काल में मंत्री भी रह चुकी हैं। पढ़ी लिखी चतुर सुजान हैं।
आपको याद होगा कि जब भजनलाल के नाम की पर्ची राजनाथ सिंह ने वसुंधरा को नहीं थमाई थी तब तक उनका नाम मुख्यमंत्री की कतार में खड़ा था। उनको फोन से अति विशिष्ट अतिथि की तरह से शपथ ग्रहण समारोह में बुला भी लिया गया था।
उनको उम्मीद तो मुख्यमंत्री पद तक की थी मगर उपमुख्यमंत्री का ओहदा तो तय ही माना जा रहा था। एक बार तो शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उनका नाम बतौर उपमुख्यमंत्री के मीडिया में जारी भी हो गया था। पर फिर एन वक़्त उनका नाम इतनी बेरहमी से काटा गया कि उपमुख्यमंत्री छोड़ उनको किसी छोटे मोटे विभाग का मंत्री भी नहीं बनाया गया।
अब फिर से उनकी लाटरी खुलती नजर आ रही है। उनका नाम फिर दिल्ली के गलियारों में किरोड़ी लाल मीणा के साथ हवाओं में है। यहाँ बता दूँ कि केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल उनके सियासती सर परस्त हैं और दिल्ली में उनकी जड़ें बहुत गहरी हैं।
पिछले दिनों अनीता भदेल कई केन्द्रीय नेताओं से मिल चुकी हैं। हो सकता है कि मीणा के पक्ष में दिल्ली ढ़ीली पड़ जाए और ऐसे में सत्ता का छींका टूट कर अजमेर दक्षिण में आ गिरे। फिलहाल तो सारे नाम अफवाहों का ही हिस्सा हैं। देखते हैं किस बिल्ली के भाग्य का छींका टूटता है।