हनुमान जी की कृपा हो तो इंसान भी भगवान बन जाता है।
ऐसा ही लक्ष्मणदास से बने नीम करोली बाबा के साथ हुआ।
अब फेसबुक और एप्पल के मालिक भी बाबा को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं।
बाबा के आशीर्वाद से ही शंकरदयाल शर्मा भारत के राष्ट्रपति बने।
भारत की सनातन संस्कृति में हनुमान जी का इसलिए महत्व है कि वे भगवान राम के भक्त थे। रामजी की कृपा से ही आज हनुमान जी को भी देवता का रूप माना जाता है। जब कभी मनुष्य संकट में होता है तो सबसे पहले हनुमान चालीसा का पाठ कर हनुमानजी को याद करता है। हनुमान चालीसा के पाठ से जो ऊर्जा प्राप्त होती है उससे संबंधित व्यक्ति हर विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला कर लेता है। जिस पर हनुमान जी की कृपा होती है वह फिर मुकदर का सिकंदर ही बनता है। ऐसा ही कुछ उत्तर के आगरा के अकबरपुर गांव में जन्म लक्ष्मणदास के साथ भी हुआ। हनुमान जी की कृपा से लक्ष्मणदास से नीम करोली बाबा बने इंसान को भगवान के रूप में पूजा जा रहा है। उत्तराखंड के नैनीताल के निकट स्थापित कैंची धाम आज भारत की नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध हे। मैंने आदि कैलाश यात्रा के दौरान 24 सितंबर को कैंची धाम में नीम करौली बाबा के आश्रम में हनुमान चालीसा का पाठ किया। मैं यहां श्रद्धालुओं को बताना चाहता हूं कि बाबा ने अपनी देह का त्याग 10 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था, लेकिन बाबा की भस्म के कलश को कैंची धाम में रखा गया। कलश वाले स्थान पर ही बाबा की आकर्षक प्रतिमा को स्थापित किया गया है। इस प्रतिमा के सामने ही बैठकर श्रद्धालु हनुमान चालीसा का पाठ करते है। इसे लोगों की आस्था ही कहा जाएगा कि हनुमान चालीसा के पाठ के बाद उन्हें शरीर में एक नई ऊर्जा का अहसास होता है। इस आस्था की वजह से ही उत्तराखंड की देवभूमि का कैंची धाम भी एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
लक्ष्मणदास से नीम करौली बाबा बनने की चमत्कारिक घटनाएं हैं। अंग्रेजों के शासन में ट्रेन से उतार दिए जाने पर ट्रेन के न चलने की घटना पर भले ही कोई विश्वास न करे, लेकिन दुनिया के अमीर व्यक्तियों में गिने जाने वाले फेसबुक और एप्पल के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग व स्टीव जॉन्स अपनी सफलता का श्रेय बाबा को ही देते हैं। दोनों ने कैंची धाम आकर बाबा की प्रतिमा के दर्शन किए है। चूंकि बाबा को एप्पल (सेब) पसंद थे, इसलिए स्टीव जॉन्स ने अपने एप्पल के फोन और अन्य उत्पादों पर एप्पल (सेब) का चिह्न अंकित कर रखा है। यह सेब ऊपर से कटा हुआ है यानी बाबा के सब खाने के बाद जो चिन्ह बना उसे ही उत्पादों पर अंकित किया गया है।
एप्पल फोन और आइपैड का उपयोग करने वाले उपभोक्ता इस चिन्ह को देख सकते है। खुद शंकर दयाल शर्मा ने माना है कि नीम करौली बाबा के आशीर्वाद से ही वे भारत के राष्ट्रपति बने। शर्मा जब भोपला के सांसद थे, तब उनकी मुलाकात बाबा से हुई। तभी बाबा ने शर्मा को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठने का आशीर्वाद दिया। जिस प्रकार उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भीड़ रहती है, वैसे ही भीड़ कैंची धाम में भी रहने लगी है। छोटी नदी को पार कर आश्रम में प्रवेश किया जाता है।
आश्रम परिसर में ही हनुमान जी के साथ साथ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी लगी हुई है। लेकिन मुख्य आकर्षण नीम करौली बाबा की प्रतिमा के प्रति देखा जाता है। खास बात यह है कि आश्रम में किसी भी प्रकार का चढ़ावा स्वीकार नहीं किया जात। मैंने देखा कि एक महिला श्रद्धालु आश्रम में एक कार्मिक से बाबा के लिए रजाई स्वीकार करने का आग्रह कर रही थी लेकिन पुजारी नुमा इस कार्मिक ने रजाई को स्वीकार नहीं किया। अलबत्ता श्रद्धालु नकद राशि को दान पेटियों में डाल सकते है। इसके साथ ही आश्रम में बने कार्यालय में राशि जमा करवाकर रसीद प्राप्त की जा सकती है। भले ही आश्रम में प्रसाद की कोई व्यवस्था न हो, लेकिन बाहर दुकानों पर लड्डू का प्रसाद बिकता है। यह बात अलग है कि आश्रम की ओर से श्रद्धालुओं को उबले हुए चने का प्रसाद नि:शुल्क वितरित किया जाता है। बाहर दुकानों पर कंबल भी बेचे जाते है। बाबा अपने जीवन काल में कंबल अथवा चादर ओढ़े रहते थे। अब बाबा के सभी फोटो कंबल वाले ही है।
कई श्रद्धालु तो प्रतिमाह कैंची धाम पहुंच कर बाबा की प्रतिमा के दर्शन करते है। मैं अपनी आदि कैलाश यात्रा के लेखन को बाबा नीम करौली पर लिखे जाने के साथ ही समाप्त कर रहा हंू। चूंकि मेरी यह यात्रा अध्यात्म से भी जुड़ी रही , इसलिए नीम करोली बाबा के जीवन के बारे में काफी कुछ समझने का प्रयास किया। मेरा यही निष्कर्ष है कि हनुमान जी की कृपा हो तो इंसान भी भगवान बन सकता है। मुझे उम्मीद है कि आदि कैलाश यात्रा के सभी 6 भाग पाठकों को पसंद आए होंगे। मेरा प्रयास रहा कि सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों को देवभूमि के बारे में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करवाई जाए। यात्रा पर लिखे सभी 6 भाग मेरे फेसबुक पेज पर उपलब्ध है।
एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल
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