आखिर जाट और गैर जाट जातियों में उलझ गया हरियाणा का चुनाव। अयोध्या में मंदिर निर्माण का भी कोई प्रभाव नहीं

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जम्मू कश्मीर में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में 370 को समाप्त करने का प्रभाव भी नहीं दिख रहा

हरियाणा में सभी 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को एक साथ मतदान होगा। जम्मू कश्मीर में मतदान अंतिम चरण में है। इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर में किस दल को बहुमत मिला है और हरियाणा में क्या भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल होती है? भाजपा को उम्मीद थी कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनने और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटने का फायदा इन दोनों राज्यों में मिलेगा, लेकिन हाल ही के लोकसभा चुनाव में इन दोनों राज्यों में जो परिणाम सामने आए वैसे ही विधानसभा चुनाव में आने की उम्मीद है। भाजपा हरियाणा की दस लोकसभा सीटों में से पांच पर ही जीत पाई, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सभी 10 सीटों पर जीत मिली।

हरियाणा चुनाव को लेकर मीडिया में जो खबर प्रकाशित हो रही है उनका निष्कर्ष निकाला जाए तो प्रतीत होता है कि यह चुनाव जाट और गैर जाट जातियों में उलझ कर रह गया है यह सही है कि पिछले दो चुनावों में भाजपा ने सरकार बनाने में सफलता हासिल की। मनोहरलाल खट्टर के बाद अब नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। हरियाणा की राजनीति में जाट समुदाय का ही दबदबा रहा है। जाट समुदाय को लगता है कि भाजपा संगठन किसी जाट को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगा, इसलिए अधिकांश जाटों का झुकाव कांग्रेस की ओर है। हरियाणा में जाटों की आबादी करीब 25 प्रतिशत बताई जाती है।

भाजपा की गणित है कि गैर जाट जिसमें ओबीसी और दलित भी शामिल हैं उन्हें एकजुट कर तीसरी बार सत्ता हासिल कर ली जाए। यही वजह है कि अब भाजपा नेताओं को कांग्रेस की सांसद कुमारी शैलजा की प्रशंसा करनी पड़ रही है। भाजपा के नेता कुमारी शैलजा को कांग्रेस में अपेक्षित बता रहे है। भाजपा का प्रयास है कि कुमारी शैलजा की आड़ में दलित वोटों को अपनी और आकर्षित किया जाए। गैर जाट मतदाताओं को एकजुट करने में भाजपा को कितनी सफलता मिलती है, यह तो 8 अक्टूबर को परिणाम आने पर ही पता चलेगा। लेकिन कांग्रेस जाट मतदाताओं के दम पर सरकार बनाने का सपना देख रही है।

कांग्रेस को खास कर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लगता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जाटों का जो प्रभाव है, उसकी वजह से अन्य जातियों के वोट भी मिल जाएंगे। दलित समुदाय के वोट भाजपा अथवा बसपा के पास न जाए इसके लिए हुड्डा ने भी कह दिया है कि मुख्यमंत्री पद का फैसला कांग्रेस हाईकमान करेगा। हुड्डा को लगता है कि कुमारी शैलजा की वजह से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।

हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगें और सांसद राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदार हुड्डा और शैलजा को एक जाजम पर बैठाने का प्रयास किया है। हरियाणा के चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दे भी गौण हो गए हैं। पूरा चुनाव जाट और गैर जाट समुदायों में विभाजित हो गया है। जाट समुदाय में खास पंचायतों का खासा प्रभाव है। हरियाणा की राजनीति को समझने वाला मानते हैं कि इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए परिणाम चौकाने वाले होंगे।

370 का प्रभाव:
जम्मू कश्मीर में अंतिम चरण का मतदान एक अक्टूबर को होगा। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार विधानसभा के चुनाव हो रहे है। भाजपा को उम्मीद थी कि 370 को समाप्त करने के फैसले का लाभ चुनाव में मिलेगा, लेकिन कश्मीर घाटी के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में 370 के हटने का लाभ भाजपा को मिलता नजर नहीं आ रहा है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी के उम्मीदवारों और चरमपंथी संगठनों द्वारा खड़े किए गए निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रभाव है।

यह बात अलग है कि 370 के हटने के बाद कश्मीर घाटी में जो पर्यटन को बढ़ावा मिला उसका लाभ मुस्लिम आबादी को ही मिला। लेकिन अब विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों को लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि भाजपा ने भी घाटी में मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं, लेकिन ज्यादातर समर्थन इंजीनियर राशि और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवारों को मिल रहा है।

जम्मू कश्मीर में खास कर घाटी में विधानसभा चुनाव कराकर लोकतंत्र को बनाए रखने की दुहाई तो दी जाएगी, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद जो हालात उत्पन्न होंगे उनसे मुकाबला करना कठिन होगा। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से ही जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर रखा है। लेकिन परिणाम के बाद केंद्र के शासन को हटाने की मांग जोर पकड़ेगी। जो लोग जीत कर आएंगे उनके इरादे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से भी खतरनाक होंगे।

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