क्या अजमेर भूमाफियाओं के कब्जे में आ चुका है? क्या भू माफियायों के हौंसलों के आगे निगम! विकास प्राधिकरण! पुलिस और प्रशासन नत मस्तक हो चुका है? क्या जनप्रतिनिधि कहे जाने वाले नेता खुद माफियायों के हाथों की कठपुतली बन चुके हैं? क्या कानून अंधा और अदालतें बहरी हो गई हैं? क्या आम आदमी जुबान होते हुए गूँगा बना दिया गया है? क्या आपकी निजी जमीन, घर, संपत्ति भी अब माफियाओं की नजर में हथियाने का साधन बन चुकी हैं?
अजमेर जिले में इन दिनों भू माफियायों के जितने किस्से अखबारों का हिस्सा बन रहे हैं उससे तो सारे सवालों का जवाब हां ही है।
भूमाफियाओं ने पूरे जिले में एक छत्र राज स्थापित कर लिया है। अजमेर के नेवल आफिस के सामने आनासागर के पास दो बुजुर्ग महिलाओं के अपहरण का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि रूपनगढ़ में बेशकीमती जमीन को हथियाने का खूनी खेल ने जमीन लाल कर दी। माफियायों ने गोलियां चलाकर अपना दबदबा बनाया। एक व्यक्ति मौत के घाट उतार दिया गया तो दूसरा जख़्मी होकर जिन्दगी से युद्ध कर रहा है।
एक और मामला अब अखबारों की सुर्खियों में है। वैशाली नगर स्थित अभियंता नगर का! यहां किसी प्रमाणिक खातेदार की जमीन को कथित रूप से हथियाने के लिए एक पार्षद और उसके पुत्र ने खुले आम जमीन के मालिकों को मारा। आरोप है कि वह जमीन मालिक पर उसकी जमीन बेचने का दवाब बना रहे थे।
इस मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
इस वीडियो में एक युवती वीडियो बनाती भी दिखाई दे रही है। इस युवती ने किस एंगल से वीडियो बनाया यह किसी ने देखने की कोशिश नहीं की। हो सकता है उस युवती द्वारा बनाए गए सरकारी वीडियो में मार पीट के दृश्य ही न हों। दूसरी तरफ महिला को ये पता नहीं था कि इस मामले में कोई और भी था जो ऊंचाई से पूरे घटनाक्रम का फिल्माकंन कर रहा था। यही वीडियो वायरल हुआ और अजमेर के हर सोशल मीडिया ग्रुप में छा गया।
दूसरी तरफ पता चला कि नगर निगम की महिला अधिकारी ने राज काज में बाधा और कई धाराओं में जमीन मालिक के खिलाफ ही मामला दर्ज़ करा दिया। चोर ने कोतवाल को डांट दिया।
गौरतलब है कि खौफजदा पीड़ित ने पुलिस को कल कोई रिपोर्ट ही नहीं दी। डर के कारण जमीन मालिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ आज रिपोर्ट देने पुलिस थाने पहुंचे। सवाल उठता है कि निगम की महिला अधिकारी को यदि भूखंड की चार दीवारी नाला साफ करने के लिए गिरानी ही थी तो उन्होंने जमीन मालिक का पता लगाकर उसे मौके पर बुलाना क्यों उचित नहीं समझा? जमीन मालिक को मौके पर बुलाकर उसे ही नाला साफ करने या उस पर किये अतिक्रमण को हटाने के लिए क्यों नहीं कहा?क्यों जमीन मालिक को उसके हर्जे खर्चे पर अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी नहीं किया?
क्यों निजी जमीन पर निगम के खर्चे पर जे सी बी मंगवा कर कार्यवाही की गयी? बिना जमीन मालिक को अपने स्तर पर नाला साफ करने का कोई नोटिस जारी किये निगम ने अपने अभियंता और अन्य कर्मचारीयों को कार्यवाही करने के लिए क्यों भेज दिया? यदि निगम द्वारा जमीन मालिक को नोटिस जारी करने की कार्यवाही की गई होती तो ये घटना घटित ही नहीं होती क्योंकि निगम स्तर पर ये तय हो जाता कि जमीन का मालिक निगम रिकॉर्ड में कौन है।
रिपोर्ट मिलने पर पुलिस यदि सिर्फ़ इन सवालों को घेरे में लेकर और जमीन के मूल कागजातों का बारीकी से अध्ययन कर अनुसन्धान करे तो इस प्रकरण में दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा और पूरा खेल सामने आ जायेगा।
वीडियो देखकर ये प्रतीत हो रहा है कि मौके पर उपस्थित महिला अधिकारी भी इस खेल में पूरी तरह हिस्सेदार है। महिला अधिकारी द्वारा थाने में मामला दर्ज़ कराना भी इस बात का संदेह पैदा करता है कि महिला अधिकारी ने ही क्यों पहले मामला दर्ज़ करवाया? पार्षद महोदय ने अपने साथ हुई हाथा पाई की रिपोर्ट दर्ज़ क्यों नहीं करवाई? क्यों महिला अधिकारी ने घटना का पूरा वीडियो ना बनाकर केवल अपने मतलब का ही वीडियो बनाया और पुलिस रिपोर्ट के लिए उसे ही आधार बनाया?
यहाँ भू माफियाओं के बुलंद होते हौंसले की कहानी को नया मोड़ देना चाहता हूँ। रूपनगढ़ में जो माफियायों ने खूनी खेल खेला उसमें स्थानीय राजनेताओं की चुप्पी समझ में नहीं आई। किशनगढ के विधायक विकास चौधरी और पूर्व विधायक सुरेश टांक तो यह तर्क दे सकते हैं कि रूपनगढ़ उनके विधानसभा क्षेत्र में नहीं आता! पर क्या सांसद भागीरथ चौधरी के संसदीय क्षेत्र में भी नहीं आता? उन्होंने क्यों नहीं कोई सार्वजनिक बयान माफियायों के विरुद्ध दिया? क्यों नहीं मरने वाले व्यक्ति के परिवार जनों को सांत्वना दी?क्या इसलिए कि जातिवादी मास्क उनके मुंह पर लगा हुआ था?या फिर आरोपी माफिया जेल से रिहा होने वाला है?
अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में दो घटनाएं पिछले दिनों सुर्खियों में रहीं। दो बुजुर्ग बहनों के अपहरण की और दूसरी तरो ताजा अभियंता नगर की! दोनों ही मामलों में स्थानीय विधायक विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने ना केवल अपनी नैतिक जिÞम्मेदारी का शानदार निर्वहन किया बल्कि पुलिस अधिकारियों को साफ कर दिया कि माफियायों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।
बहनों के अपहरण के बाद पकड़े गए आरोपियों की जो हालत नजर आई वह सिर्फ और सिर्फ देवनानी जी के हस्तक्षेप से हुई। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पूरे मामले की मॉनिटरिंग की। पुलिस अधिकारियों के तौर तरीकों को समझते हुए उन्होंने कमाल कर दिखाया।
दूसरे मामले में यानि अभियंता नगर वाले में भी देवनानी जी के हस्तक्षेप के बाद ही पुलिस ने मामले के दूसरे पक्ष की शिकायत सुनी। उन्होंने वायरल वीडियो भेज के अधिकारियों से पूछा कि इसमें कौन असली आक्रांता नजर आ रहा है? एक पार्षद को यदि उसके क्षेत्र में कोई अतिक्रमण होता नजर आ रहा है तो शिकायत के बाद मौका स्थल पर पुत्र के साथ पहुंचने की क्या जरूरत थी? पहुंच भी गए तो महिला अधिकारी को अपना राजकीय काम करने देते। आप और आपके पुत्र को क्या जरूरत थी हाथा पाई और गाली गलौच करने की?
देवनानी अनेक बार अनेक प्लेटफार्म पर कह चुके हैं कि भू माफियाओं के मामले में वह अपने बर्दाश्त को जीरो टोलरेंस पर रखते हैं। अधिकारियों को वो दो टूक शब्दों में कह चुके हैं कि यदि कहीं किसी भी स्तर पर माफियाओं को पुलिस का या प्रशासन का सहयोग मिला तो वह सख़्ती से काम लेंगे।
मित्रो! शहर माफियायों के हाथों की कठपुतली बनता जा रहा है। न बने इसके लिये आपको सिर्फ़ देवनानी जी के भरोसे रहने की जरूरत नहीं। स्वयं भी जागरूक और मुखर होने की जरूरत है। यदि कोई आपकी निजी संपत्ति पर बुरी नजर रखता है या उसे हड़पने के लिए दवाब डालता है तो आप हिम्मत से काम लें। यदि आपके स्तर पर काम न चले तो देवनानी जी से सीधा संपर्क किया जा सकता है। अजमेर उत्तर दक्षिण दोनों ही के लिए देवनानी जी और अनीता भदेल इस मामले में तो एक हैं।