राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने फिर एक बार शहर के जिस्म में फैलते जा रहे मवाद पर उँगली रख कर शीघ्र शल्यक्रिया करने की बात कही है। उन्होंने नवनियुक्त पुलिस कप्तान वंदिता राणा से एक मुलाकात में अजमेर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को चिन्हित कर निकाले जाने की बात दोहराई है।
देवनानी जी इससे पहले भी पुलिस अधिकारियों और प्रशासन को इस तरह के निर्देश देते रहे हैं। इस बार फिर आदेश देकर उन्होंने अजमेर की सेहत के लिए खतरा बने लोगों को शहर निकाला देने के लिए जरूरी बताया है।
यहाँ बता दूँ कि मैं स्वयं भी इस बारे में हर आने वाले पुलिस अधिकारी को इस समस्या से रूबरू करवाता रहा हूँ। एक दो बार काम भी शुरू हुआ मगर इच्छाशक्ति के अभाव में पूरा नहीं हो सका। इस बार भी मुझे लगता नहीं कि प्रशासन कोई सकारात्मक कदम उठा पाएगा।
मेरे अनुमान के मुताबिक अजमेर में तीस हजार बांग्लादेशी विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं।रोहिंग्या लोग भी इनमें शमिल हैं।
यहाँ बता दूँ कि भाजपा सरकार रोहिंग्या लोगों की अवैध घुसपैठ के खिलाफ हमेशा सख़्त रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने इनको देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।
देश में जम्मू कश्मीर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान समेत कई राज्यों में रोहिंग्या रह रहे हैं।
अजमेर मुसलमानों की आस्था का केन्द्र है। लाखों जायरीन यहाँ ख्वाजा साहब की दरगाह में जिÞयारत के लिए आते हैं। ऐसे में भीड़ में बांग्लादेश से भी लोग बड़ी तादाद में आते रहते हैं। ये लोग अजमेर में आकर स्थाई रूप से रहने लगते हैं। क्यों कि ये लोग सर्वहारा वर्ग के हैं इसलिए बहुत कम पैसों में ये कुछ भी काम करने को तय्यार हो जाते हैं।
पिछले बीस सालों में ये लोग अजमेर में वर्ग विशेष के लोगों की खास पसंद हो चुके हैं। बंधुआ मजदूरों की तरह ये लोगों के घर पर काम कर रहे हैं। यही वजह है कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने इनको भारतीय नागरिकों की तरह फर्ज़ी आधार कार्ड तक बनवा दिए हैं।
कई लोग तो इनकी महिलाओं को भी अपनी दमित इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इलाका विशेष तो ऐसा भी है जहां सस्ती दर पर ये लोग अपराधियों के लिए खुल कर काम कर रहे हैं। खास तौर पर सूखे नशे के कारोबार में ये बड़ी संख्या मे लिप्त हैं। माफिया क्यों कि इनकी जान के प्रति कोई भावनात्मक लगाव नहीं रखते इसलिए इनके पकड़े जाने पर कोई दौड़ भाग भी नहीं करते।
मजबूरी में ये लोग अब खतरे के खिलाड़ी बन चुके हैं और शहर में होने वाले अपराधों में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। यदि पुलिस वास्तव में टीम बनाकर विभिन्न इलाकों में सर्च अभियान चलाए तो कई देश विरोधी रोहिंग्या और बांग्लादेशी सामने आ सकते हैं।
इन लोगों का बड़े माफिया जिस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं वह चौंकाने वाला है। हत्या जिसे अपराधों के बाद इनको दूसरे शहरों में भूमिगत करवा दिया जाता है।
अजमेर नशे के कारोबार का राज्य में मुख्य ट्रांजिट सेंटर है। मध्यप्रदेश से कश्मीर तक से नशीले पदार्थ यहां से देश के अन्य हिस्सों में भेजे जाते हैं।
यही वजह है कि इन अवैध रूप से रह रहे लोगों को रोजगार के नाम पर अपराधों में धकेला जा रहा है।
मुझे याद है कि कुछ ही वर्ष पहले जब कुंवर राष्ट्रदीप जी पुलिस कप्तान थे उन्होंने केन्द्र सरकार के आदेशों की पालना में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था। क्षेत्र वार थानों को जिम्मेदारियां सौंपी गई थे। शहर में कुछ दिनों हलचल भी मची थी।मीडिया में भी जागरूकता आई थी मगर अफसोस दिल खड्डे में कि कुंवर राष्ट्रदीप को कोरोना से दो दो हाथ करने पड़ गए।अभियान धरा रह गया।
सम्मानीय देवनानी जी हमेशा से शहर में रहने वाले इन खतरनाक लोगों के इरादों के विरुद्ध आवाज बुलंद करते रहे हैं। यह जरूरी भी है मगर पुलिस की मजबूत इच्छा शक्ति के बिना यह काम नामुमकिन है।
आज शहर में दरगाह क्षेत्र! सोमलपुर! राती डांग! नौसर और वैशाली नगर में आप इन रोहिंग्या लोगों को देख सकते हैं।
शहर के अधिकांश टैंट हाउस! डी जे! लाइट्स वालों के यहां सस्ती दर पर ये लोग काम कर रहे हैं।
वैशाली नगर में तो ये लोग भेड़ बकरियों की तरह मकानों में किराए पर रह रहे हैं। छोटे से एक कमरे में दर्जन भर लोग न जाने कैसे रह पा रहे हैं। मकान मालिक बिना इनकी जान पहचान किए मोटा किराया इनसे वसूल रहे हैं।
इन परिवारों की युवा औरतें देह व्यापार करने से भी बाज नहीं आती। दुखद स्थिति तो यह है कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने इन्हें हवश बुझाने का स्थायी साधन बना रखा है।
अजमेर में कुछ लालची लोगों ने इनको राशन कार्ड और आधार कार्ड तक बनवाकर अपने कब्जे में ले रखा है। इनको मोबाईल देकर काम में लिया जा रहा है।
देवनानी जी ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को पुलिस के सामने परोस तो दिया है मगर यह चुनौती सिर्फ आदेशों से पूरी नहीं होने वाली। इसके लिए उनको समयबध्द योजना मंगवा कर निगहबानी करनी होगी।
यहाँ यह बात भी तय है इस कार्यवाही से कुछ प्रभाव शाली लोग और सियासती नेताओं में भी खलबली मचेगी। चुनावों में इन लोगों से फर्ज़ी मतदान करवाने वाले लोग हो सकता है देवनानी जी के विरोध पर भी उतर जाएं मगर देवनानी जी को जहां तक अजमेर समझ पाया है वह आसानी से हार नहीं मानते। विरोध से तो कम से कम बिल्कुल नहीं। क्यों देवनानी जी सही कह रहा हूँ न?