एक तरफ राजस्थान प्रदेश में लाखों बेरोजगार नौकरियों की तलाश में दर दर की ठोकरें खा रहे हैं, दूसरी तरफ कुछ युवकों ने अपराध को पेशा बनाकर करोड़ों रुपयों पर हाथ साफ करने का कारोबार शुरू कर रखा है। जी हाँ, भरतपुर के पास डीग में मेवात क्षेत्र पिछले लंबे समय से साइबर क्राईम के क्षेत्र में पूरे देश मे कुख्यात हो चुका है।
भरतपुर जहाँ के मुख्यमंत्री भजन लाल रहने वाले हैं उनको हमसे बेहतर पता है कि उनके क्षेत्र में कहाँ क्या हो रहा है? मगर उनके राजपाठ में स्थानीय पुलिस अपराधियों का बाल बांका नहीं कर पा रही। लोगों का तो कहना है कि पुलिस विभाग क्षेत्रीय थाना अधिकारी इस दिशा में संदेह के घेरे में है।
यहाँ आपको जानकारी देना चाहूँगा कि मेवात क्षेत्र में पचासों युवक बिहार व अन्य राज्यों से ट्रेंड होकर मेवात में सक्रिय हो चुके हैं। रातों रात करोड़पति बनने की तरकीब सीखने के बाद नई उम्र के युवकों में यह काम रोजगार बन चुका है। बहुत कम पढ़े ये चालबाज लैपटॉप और मोबाइल से साइबर ठगी कर रहे हैं।
अजमेर के पूर्व मुखिया देवेन्द्र विश्नोई जब भरतपुर एस पी रहे तो उन्होंने मेवात के युवकों पर कड़ी नजर और सीधी कार्यवाही करने का प्रयास किया मगर सुनियोजित तरीके से उनका ट्रांसफर करवा दिया गया।
मेवात क्षेत्र के ठग अब पूरी तरह साधन संपन्न और प्रभावशाली हो चुके हैं। इतने प्रभावशाली कि क्षेत्र में पुलिस कार्यवाही होने से पूर्व उनके पास सूचनाएं पहुंच जाती है। आलीशान भवनों में रहने वाले इन अधकचरी शिक्षा प्राप्त ठगों का रहन सहन देखकर आप सोच नहीं सकते कि ये आम शक्लों वाले युवक कितने घाघ हैं।
भरतपुर के आई जी पुलिस राहुल प्रकाश पिछले कुछ समय से मेवात क्षेत्र के इन ठगों की नाक में नकेल डालने की कोशिश कर रहे हैं। तेज तर्रार और आक्रामक स्वभाव के राहुल प्रकाश राजस्थान में जहां जिस पद पर रहे इन्होंने ठसके से पुलिसिंग की। मुझे याद है जब ये अजमेर में ट्रेनिंग पीरियड में रहे तब इन्होंने बाल मजदूरों को आरी तारी की फैक्ट्रियों से मुक्त करवाने में अहम भूमिका निभाई। स्थानीय एक प्रभावशाली शराब कारोबारी को इन्होंने जेल की सलाखें दिखा दीं। कई सटोरियों को शहर से भागने पर मजबूर कर दिया था।
राहुल प्रकाश मेवात के ठगों को सबक सिखाने के लिए दृढ़ संकल्पित नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि इसके लिए मोबाइल सिम देने की व्यवस्था में तत्काल कुछ ठोस निर्णय लिए जाने चाहिए।
यहाँ बता दूं कि विगत चार माह के अंदर 74 गैंग सक्रिय हुए और उन्होंने लोगों से तीन अरब 36 करोड़ की ठगी कर ली। एंटीवायरस आपरेशन में 200 से ज्यादा मामले दर्ज़ किए जा चुके है।
भरतपुर में मेरे पत्रकार मित्र प्रदीप कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि उन्होंने सौ दर्ज़ मामलों में सिर्फ़ 74 मामलों की तह में जाकर पड़ताल की। प्रदीप जी के मुताबिक मेवात से हो रहा साइबर क्राइम इतना वेल आगेर्नाइज्ड क्राईम बन चुका है कि आप कल्पना नहीं कर सकते। इसका अंदाजा इसी आंकड़े से लगाया जा सकता है कि केवल 74 बदमाशों ने मिलकर देश भर से तीन अरब 36 करोड रुपए से ज्यादा ठग लिए । यह तो तब है जब फरवरी 2024 के मुकाबले मेवात से होने वाली साइबर ठगी अगस्त 2024 तक 69% तक कम हो गई है।
इसकी वजह यह है कि 1 मार्च 2024 से चलाए जा रहे आॅपरेशन एंटीवायरस के तहत अब तक 200 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इतने बड़े साइबर स्कैम को खोलने में पुलिस टीम की नई रणनीति रही। पहले केवल एफआईआर दर्ज होती थी उसमें मोबाइल नंबर और सिम की पड़ताल की जाती थी। जबकि अब उसे मोबाइल और सिम के साथ अन्य मोबाइल और सिम कार्ड को भी खंगाला जा रहा है। इसके चलते जो साइबर ठगी कुछ हजार तक पता चल पा रही थी वह करोड़ों में पहुंच गई है।
मेवात में गली गली में साइबर ठगों ने अपना कारोबार फैला रखा है। महंगी गाड़ियां ठग इस्तेमाल कर रहे हैं। ठगों ने विदेशों तक में पांव पसार लिए हैं।
पहली बार आॅपरेशन एंटीवायरस के तहत ठगों की प्रॉपर्टी को सीज करने और बुलडोजर चलाना भी शुरू किया गया था मगर अदालती आदेशों के बाद वह खौफ रुक गया। साइबर ठग जिन बैंक खातों और एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं वह किसी और के नाम पर होते हैं। ऐसे में ठगी की रकम को इनसे कनेक्ट कर पाना मुश्किल होता है। लेकिन पुलिस ने उन खातों और एटीएम कार्ड से पैसा निकालने वालों को पकड़ा तो उनकी गवाही के जरिए ठगों से संबंध सिद्ध हो गए।
नगर थाने! सीकरी थाने! कामा थाने में ऐसे पचासों ठग पुलिस की सख़्ती के बावजूद सक्रिय हैं।
आईपीएस अधिकारी राहुल प्रकाश अपने पुख़्ता इरादों से कितना कामयाब हो पाते हैं यह तो वक़्त ही बताएगा मगर जनता की गाढ़ी कमाई पर आए रोज होने वाले हमले देश के लिए भी खतरनाक हैं। इसके लिए सरकार को भी कड़े फैसले लेने चाहिए। लोगों को ठग कर अपना आलीशान घर बनाने वालों का जीना हराम किए जाना बड़ा जरूरी है ओर इसके लिए बुलडोजर टेक्नीक ही सफल रहेगी।