यूपी में वक्फ बोर्ड की 1.21 लाख संपत्तियों में से 1.12 लाख के पास वैध कागजात ही नहीं हैं :असदुद्दीन औवेसी

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देश में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां यूपी में हैं। कई संपत्तियों पर विवाद हैं। केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की मनमानी और उसकी जमीनों पर कब्जा करने के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन का विधेयक ला रही है। देश में सबसे ज्यादा संपत्तियां यूपी में वक्फ के पास हैं। जब संपत्तियां ज्यादा हैं तो विवाद भी सबसे ज्यादा यूपी में ही हैं।



वक्फ बोर्ड की हड़पने वाली नीति ने अब देश की राजधानी दिल्ली में स्थिति मंदिरों को भी नहीं बख्शा है।

वक्फ बोर्ड द्वारा दिल्ली के छह प्रमुख मंदिरों पर दावा ठोकने की खबर ने सनसनी फैला दी है। यह खुलासा 2019 की एक रिपोर्ट के आधार पर हुआ, जिसमें बताया गया कि इन मंदिरों की जमीन वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। हैरानी की बात यह है कि कुछ मंदिर वक्फ बोर्ड के अस्तित्व में आने से पहले से मौजूद हैं। यह दावा अल्पसंख्यक आयोग की 2019 की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से सामने आया, जिसमें दिल्ली के कई मंदिरों को वक्फ बोर्ड की जमीन पर स्थित बताया गया है।

अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। 2019 में अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि दिल्ली के कई मंदिर वक्फ की जमीन पर बने हुए हैं। 2019 की इस रिपोर्ट को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट करार दिया था और द लीगल स्टेटस ऑफ रिलिजियस स्पेसेज अराउंड वेस्ट दिल्ली नाम दिया था।

इस रिपोर्ट के 159 पेज पर दावा है कि दिल्ली के बीके दत्त कॉलोनी स्थित सनातन धर्म मंदिर वक्फ बोर्ड की जमीन पर बना है। ये हाल तब है जब मंदिर का निर्माण 14 दिसंबर 1961 में हुआ था। मंदिर का शिलान्यास खुद भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री ने अपने हाथों से किया था। यानी भारत में वक्फ एक्ट आने से 34 साल पहले मंदिर का निर्माण हुआ था।

इसी तरह दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट के पेज 35 पर दावा किया गया है कि दिल्ली के मंगलापुरी स्थित प्राचीन शिव मंदिर और शमशान घाट भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनाए गए हैं। इसी रिपोर्ट में पेज 36 में दावा किया गया कि मंगलापुरी स्थित शिव शक्ति काली माता मंदिर का निर्माण भी वक्फ की जमीन पर हुआ है।

जमीन पर दावा हिंदुओं का नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड का है। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की इस रिपोर्ट में दिल्ली के कई सारे मंदिरों पर दावा किया गया है। कहा गया कि वक्फ की जमीन पर ये मंदिर बने हैं। रिपोर्ट को फैक्ट फाइंडिग करार दिया गया। लेकिन सच ये है कि ये मंदिर भारत में वक्फ एक्ट आने से कई दशक पहले बन चुके थे।

वक्फ बोर्ड का हिंदू जमीन पर दावा करने का यह पहला मामला नहीं है।

हाल ही में बिहार के गोविंदपुर गांव में भी वक्फ बोर्ड ने पूरा गांव अपना बताकर वहां के निवासियों को नोटिस जारी किया था। गोविंदपुर, जो पटना से 30 किलोमीटर दूर स्थित है और जिसकी जनसंख्या लगभग 5,000 है, 90% हिंदू आबादी वाला गांव है। वक्फ बोर्ड ने गांव के सात लोगों को नोटिस जारी करते हुए जमीन खाली करने की चेतावनी दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वक्फ संपत्तियों में तेजी से वृद्धि हो रही है। जहां 2006 में देशभर में वक्फ संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 1.2 लाख एकड़ था, वहीं 2009 में यह बढ़कर 4 लाख एकड़ हो गया। हाल ही में, 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 9.4 लाख एकड़ तक पहुंच गया है।

बढ़ती संपत्ति वक्फ बोर्ड की जमीन हड़पने वाली राजनीति की ओर इशारा करती है, जिससे देशभर में विवाद की स्थिति पैदा हो रही है।

वक्फ संपत्ति के मुद्दे को लेकर देशभर में तनाव बढ़ता जा रहा है। हाल ही में लोकसभा में वक्फ बोर्ड से जुड़े दो संशोधन विधेयक पेश किए गए थे, जिसके बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर स्पष्टीकरण जारी किया | जेपीसी ने अब तक चार बैठकें आयोजित की हैं और वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर जनता से सुझाव मांगे हैं। समिति के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 18 सितंबर 2024 तक समिति को 91,78,419 ई-मेल प्राप्त हुए थे।

 

वक्फ संपत्तियों को लेकर उठे सवाल और विवाद के बीच यह मुद्दा और भी गर्माता जा रहा है। देशभर में कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने वक्फ बोर्ड की संपत्ति वृद्धि और उनके दावों पर सवाल खड़े किए हैं।

 

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