केकड़ी जिला बना रहेगा या नहीं? क्या अशोक गहलोत के बोए हुए बीज काटने में मुख्यमंत्री भजनलाल को पसीना आ रहा है? क्या गहलोत द्वारा बनाए गए जिलों की संख्या को कम करना इतना आसान है? क्या केकड़ी की राजनीति करवट लेगी? क्या राज ऋषि फिर जिले के सवाल पर मजबूत होने का रास्ता तलाश रहे हैं? यह सारे सवाल पिछले कुछ दिनों से केकड़ी की सड़कों पर उतरे हुए हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ के बयान से उपजा रोष केकड़ी के दिल में लावे की तरह उबल रहा है। यद्यपि मदन राठौड़ ने अपने बयान को माफी मांगते हुए वापस ले लिया है फिर भी स्थिति डांवाडोल ही है।
विधायक शत्रुघ्न गौतम से बात करने की मैंने काफी कोशिश की लेकिन पता चला कि उनको कश्मीर चुनाव के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है और वह अपनी राजनीतिक कुशलता का वहां प्रदर्शन कर रहे हैं।
गौतम ऋषि की अनुपस्थिति का फायदा उठाते हुए केकड़ी में उनके विरोधी एकजुट होकर मुद्दे को ज्वलनशील बनाए हुए हैं। केकड़ी को जिला बनाए रखने के लिए आंदोलन किए जा रहे हैं। पूर्व मंत्री रघु शर्मा जो चुनाव हारने के बाद खामोशी धारण किये बैठे थे अचानक इस मुद्दे पर फिर से सियासत पर उतर आए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कथित जिला वापसी के विरुद्ध जम कर प्रहार किए। सच तो यही है कि कुछ विरोधी लोग तो दिल से चाहते हैं कि केकड़ी जिÞला ना रहे ताकि शत्रुघ्न गौतम को आड़े हाथों लिया जा सके। ऐसे लोगों का कहना है कि कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक रघु शर्मा ने अपने कार्यकाल में अप्रत्याशित रूप से केकड़ी को जिला बनवा दिया। वह इसे उनके कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि और कमाल मानते हैं।
यहाँ ब्यावर का जिला बनाए जाना तो पहले से ही तय था, क्योंकि ब्यावर के लोग लंबे समय से जिले की मांग उठाते आ रहे थे। मोहनलाल सुखाड़िया जी के समय से ही यह मांग हर स्तर पर उठाई जा रही थी। वर्तमान विधायक शंकर सिंह रावत ने भी जिला बनाए जाने के लिए बुलंदी के साथ परचम उठा रखा था। उनके प्रयासों से ही जिला बन सका है।
आज जब ब्यावर को जिला बना दिया गया है तो पूरा श्रेय शंकर सिंह रावत के खाते में जा चुका है।
दूसरी तरफ केकड़ी को जिला बनाए जाने के लिए ना तो कभी किसी ने मांग उठाई ना केकड़ी वासियों ने कभी कोई आंदोलन छेड़ा। केकड़ी को जब अचानक जिÞला बनाया गया तो यह उनके लिए चमत्कार जैसा था। विधायक रघु शर्मा ने इसका पूरा श्रेय अपने ऊपर ले लिया। लोग भी इसे उनके कार्यकाल की ही उपलब्धि मानते रहे हैं।
यह बात अलग है कि विधानसभा के चुनाव हुए तो रघु शर्मा की यह उपलब्धि धरी रह गई। उनको उम्मीद थी कि उनके द्वारा जो विकास केकड़ी का हुआ वह रंग लाएगा और चुनाव में उनका जीतना पूरी तरह तय होगा। उनका यह सोचना गलत साबित हुआ और शत्रुघ्न गौतम ने अपनी कुशल राजनीति से उनको परास्त कर दिया।
इस बार रघु शर्मा यह तर्क दे रहे हैं कि यदि केकड़ी को जिला नहीं बनाए रखा गया तो इसका ठीकरा शत्रुघ्न गौतम के सर फूटेगा और आने वाले समय में ये मुद्दा गौतम के लिए घातक बन जाएगा! उनकी इस सोच के कारण केकड़ी में जिले को बचाए रखने की मुहीम छिड़ी हुई है।
शत्रुघ्न गौतम के विरोधी भले ही जिले को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं मगर कुछ चालबाज ऐसे भी हैं जो मन ही मन चाहते हैं कि किसी तरह से केकड़ी को जिला न रहने दिया जाए। इससे शत्रुघ्न को सियासती रूप से नेजे पर लिया जा सकेगा। दूसरी तरफ शत्रुघ्न गौतम अपनी पूरी ताकत केकड़ी जिले को बचाने में लगा रहे हैं। वह अपने सारे राजनीतिक रिश्तों को इस्तेमाल करते हुए इस कोशिश में है कि किसी भी तरह केकड़ी को जिला बनाए रखा जा सके।
यहां बता दूं कि दस लाख की आबादी पर ही जिÞला बनाया जा सकता है और इस दृष्टि से केकड़ी को जिÞला नहीं बनाया जा सकता था मगर गहलोत को क्यों कि अपनी हार नजर आ रही थी इसलिए उन्होंने आने वाले मुख्यमंत्री के लिए कांटे बो दिए। बिना सोचे समझे जिलों की घोषणा कर दी। अब नई सत्ता को सोचना पड़ रहा है।
जहां तक मेरा कयास है मैं यहां बता दूं की केकड़ी को कुछ संशोधन के साथ जिला बनाए रखा जा सकता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो केकड़ी का भाजपा से विश्वास जाता रहेगा और शत्रुघ्न ऐसा किसी हाल में होने नहीं देंगे। देखना यह होगा कि केकड़ी को जिला बनाये रख कर क्या और कितनै अधिकार प्रदान किये जायेंगे। किन शर्तों पर और कैसे जिला बरकरार रखा जाएगा?यह फिलहाल बताया नहीं जा सकता।