भले ही भजन सरकार न गिरे, लेकिन अंतर्विरोध तो उजागर हो ही रहा है
केजरीवाल का इस्तीफा। इसे कहते हैं नाखून काटकर शहीद होना
राजस्थान की राजनीति में रुचि रखने वाले जानते हैं कि गत कांग्रेस के शासन में डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पायलट का सबसे बड़ा आरोप रहा कि भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर कांग्रेस सत्ता में आई है, इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वसुंधरा राजे वाली भाजपा सरकार के भ्रष्टाचारों की जांच करनी चाहिए। अपनी इस मांग को लेकर सचिन पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों को दिल्ली ले गए तथा अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष पद यात्रा भी निकाली। कांग्रेस शासन में पायलट ने जो भूमिका निभाई वह अब भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा निभा रहे है।
डॉ. मीणा ने 15 सितंबर को अपनी सरकार के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह से मुलाकात की और पिछली कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचारों के मामलों की जांच कराने की मांग की। डॉ. मीणा ने कांग्रेस शासन में हुए डीओआईटी के 3 हजार 500 करोड़ के घोटाले का खासतौर से उल्लेख किया। मीणा ने कहा कि इस मामले में 10 एफआईआर होनी चाहिए। मीणा ने कहा कि कांग्रेस के शासन में मेरी नहीं सुनी गई, लेकिन अब भाजपा का शासन है तो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
मालूम हो कि मंत्री मीणा पेपर लीक के मामलों को भी लगातार उठा रहे हैं। लेकिन मंत्री मीणा को इस बात का अफसोस है कि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बने 9 माह हो गए, लेकिन कांग्रेस के भ्रष्ट मामलों में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे रखा है, लेकिन इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं हुआ है। किरोड़ी मीणा भले ही भजन सरकार को गिरना न चाहते हों, लेकिन उनके मंत्री पद से इस्तीफा देने और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करवाने वाली मांगों से भाजपा का अंतर्विरोध तो उजागर हो ही रहा है।
नाखून काटकर शहीद होना:
ऐसी कई लोक कहावतें हैं जो मौजूदा राजनीति में खरी उतर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 177 दिन जेल में रहने के बाद बाहर आए तो उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। यह घोषणा वैसी ही है जैसी नाखून काटकर स्वयं को शहीद होना बताया जाता है। सब जानते हैं कि दिल्ली में पांच बाद फरवरी 2025 में विधानसभा के चुनाव होने है। जनवरी में मतदाता सूची तैयार होगी। जब पांच माह बाद चुनाव होने हैं, तब केजरीवाल का इस्तीफा कोई मायने नहीं रखता। केजरीवाल चाहते हैं कि दिल्ली के चुनाव महाराष्ट्र के साथ नवंबर माह में हो जाए।