भाजपा की सरकार नहीं बनी तो जम्मू कश्मीर का क्या होगा?

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इंडिया गठबंधन 370 की बहाली के पक्ष में। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता भी चुनाव लड़ रहे हैं।

जम्मू कश्मीर में इसी माह विधानसभा के चुनाव हो रहे है। सवाल उठता है कि यदि चुनाव में भाजपा को जीत नहीं मिली तो जम्मू कश्मीर का क्या होगा? अकेली भाजपा है जो अनुच्छेद 370 की बहाली नहीं चाहती। जबकि इंडिया गठबंधन में शामिल नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस आदि सब दल वादा कर रहे है कि सरकार में आते ही विधानसभा में पहला प्रस्ताव 370 की बहाली का पास किया जाएगा।
यदि 370 की बहाली होती है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि जम्मू कश्मीर का क्या होगा? सब जानते हैं कि 370 के प्रावधानों के कारण ही जम्मू कश्मीर खासकर कश्मीर घाटी अशांत हुई। घाटी के अधिकांश जिलों में वर्ष भी कर्फ्यू जैसे हालात रहे। सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी आम बात रही। संपूर्ण घाटी को बंदूक की नोंक पर हिंदू विहीन कर दिया गया। सवाल उठता है कि क्या इंडिया गठबंधन के लोग जम्मू कश्मीर में फिर से अराजकता देखना चाहते हैं? इंडिया गठबंधन के अलावा चुनाव में जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं।
कट्टरपंथी सोच वाले इस संगठन पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन संगठन से जुड़े कार्यकर्ता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि ऐसे निर्दलीय उम्मीदवारों को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में समर्थन भी मिल रहा है। भाजपा को कितनी सफलता मिलेगी यह तो परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन चुनावों में निर्दलीयों का दबदबा नजर आ रहा है। पूर्व में जिन लोगों पर देशद्रोह के आरोप लगे वे भी चुनाव में सक्रियता दिखा रहे हैं।
मालूम हो कि लोकसभा के चुनाव में इंजीनियर अब्दुल राशिद भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते। राशि पर टेरर फंडिंग के गंभीर आरोप है। जेल में बंद रहते हुए ही राशिद ने चुनाव जीता। अब राशिद की पार्टी के उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं। मालूम हो कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था। उपराज्यपाल की सर्वेसर्वा थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव कराने पड़ रहे हैं। इन चुनावों को हम भले ही लोकतंत्र के मजबूत होना बताए, लेकिन इन चुनावों की वजह से जम्मू कश्मीर की शांति खतरे में है। 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर के जिन लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है, उन्हें अपने मताधिकार का उपयोग सोच समझ कर करना चाहिए।

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