प्रधानमंत्री मोदी के मास्टर स्ट्रोक से चीन रह गया हक्का- बक्का

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सिर पकड़कर बैठे व्यापारी, रह-रहकर निकाल रहा खीझ
चीन की अर्थव्यवस्था को भारत के कदम से धक्का लगना तय है
भारत के स्टील बिजनेस को मजबूत करने का पीएम मोदी का है प्लान
भारत के इस कदम से चीनी को मिर्ची लग गई है

नई दिल्ली। पीएम मोदी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। देश में बहुत से सेक्टर ऐसे हैं, जहां चीन से आने वाले सामानों का भारतीय बाजार में काफी ज्यादा दबदबा है। धीरे-धीरे कर प्रधानमंत्री मोदी चीन की इसी मोनोपली (एकाधिकार) को खत्म करने में लगे हैं। इसी कड़ी में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए हाल ही में केंद्र सरकार ने चीन से इम्पोर्ट होने वाले स्टील से जुड़े प्रोडक्ट पर हैवी ड्यूटी लगाने की अवधि को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया है। भारत के इस कदम से चीन हक्का-बक्का रह गया और अब आंखें दिखा रहा है।

दो दिन पहले वित्त मंत्रालय ने अपने नोटिफिकेशन में कहा कि भारत सरकार ने चीन और वियतनाम से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब के आयात पर एंटी-सब्सिडी ड्यूटी को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। यह शुल्क सितंबर 2019 में लगाया गया था। वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार नए कदम घरेलू उद्योग धंधों को सब्सिडी वाले आयात के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिए उठाए गए हैं। भारत के इस कदम से चीनी उद्योग धंधों को खास नुकसान उठाना पड़ रहा है। ड्यूटी लगने से भारत में बिकने वाला उनका सामान काफी महंगा हो चुका है। ऐसे में उनके स्टील प्रोडक्ट की डिमांड पर भी असर पड़ा है।

चीनी एक्सपर्ट निकाल रहे खीझ

भारत के इस कदम के बाद चीन की तरफ से रिएक्शन आना लाजमी है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस कदम के खिलाफ जहर उगला। शंघाई इंस्टीट्यूट्स फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में चीन-दक्षिण एशिया सहयोग अनुसंधान केंद्र के महासचिव लियू जोंगयी ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, भारत का तथा-कथित मेक इन इंडिया कदम इस उम्मीद से है कि उनकी अपनी तकनीक को सुधारा जा सके। वो इम्पोर्ट का विकल्प ढूंढना चाहते हैं। इससे भारत का एक्सपोर्ट बेहद खराब हो सकता है।

इसी तरह बीजिंग एकेडमी आफ सोशल साइंसेज के एसोसिएट रिसर्च फेलो वांग पेंग ने कहा, शुल्क लगाने की योजना भारत-चीन आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है और भारत के औद्योगिक विकास पर लंबे समय में इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने से भारत में प्रोडक्शन की लागत बढ़ सकती है।

यूरोप-कनाडा का भी चीन पर एक्शन

केवल भारत ही चीनी सामान पर ड्यूटी ठोकने वाले देशों में शामिल नहीं है। इससे पहले हाल ही में यूरोप के देशों ने चीन से आने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर काफी ज्यादा ड्यूटी ठोक दी थी। पिछले एक सप्ताह के अंदर कनाडा ने भी चीनी ईवी पर टैक्स बढ़ा दिया है। बदले की कार्रवाई करते हुए चीन की तरफ से भी कनाडा के खिलाफ एंटी-डंपिंग की जांच बैठा दी है। चीन ने यूरोप और अमेरिकी बाजारों से लगातार मिल रही चुनौती के बाद अब अफ्रीका के ओर तेजी से रुख करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में बीते महीने ड्रैगन ने बीजिंग में चीन-अफ्रीका समिट का आयोजन किया था।

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