आतंकियों के निशाने पर इसलिए हैं ट्रेनें

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हजारों किलोमीटर ट्रैक की निगरानी संभव नहीं, सीसीटीवी कैमरे भी नहीं होते

देश में पिछले कुछ समय से लगातार यात्री गाड़ियों और मालगाड़ियों को पलटाने की साजिश के मामले सामने आने के बाद अब ये साफ हो रहा है कि आतंकियों ने ट्रेनों को निशाना बनाकर जान-माल का आधिकारिक नुकसान करने के मंसूबे पाल लिए हैं। हवाई अड्डों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी हो जाने के बाद अब हवाई जहाज को हाईजैक कर आतंकी वारदातों को अंजाम देना संभव नहीं रहा। साथ ही जगह-जगह विस्फोट करने की वारदातें करना भी आसान नहीं। ऐसे में लगता है अब ट्रेनों को निशाना बनाने की साजिश की जा रही है।

बीते करीब सवा महीने में देश भर में ट्रेनों को पटरी से उतारने की 18 कोशिशें हो चुकी है। जबकि करीब डेढ़ साल में ऐसे 24 से ज्यादा प्रयास किए जा चुके हैं। इनमें से एक-दो में ट्रेनों को नुकसान भी पहुंचा। जैसे पिछले महीने कानपुर-झांसी के बीच साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे इंजन समेत पटरी से उतर गए थे। इसके लिए पटरी पर बोल्डर रखा गया था। सबसे ताजा मामले कानपुर,अजमेर और सोलापुर के हैं। कानपुर में रविवार को प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को पलटाने के लिए रेलवे ट्रैक पर एलपीजी सिलेंडर रखा गया या।

लोको पायलट के इमरजेंसी ब्रेक मारकर ट्रेन रोकने के प्रयास तक इंजन सिलेंडर से टकरा ही गया। बाद में जांच के दौरान पास ही झाडियों में पेट्रोल की बोतल,मिठाई के डिब्बे में बारूद और माचिस भी मिली। यानि साजिश गहरी थी। रविवार रात को ही अजमेर में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ट्रैक पर 70-70 किलो के दो सीमेंट के ब्लाक रखकर उसे डीरेल करने की कोशिश की गई। लेकिन ट्रेन ब्लॉक तोड़ती हुई निकल गई। इसी तरह महाराष्ट्र के सोलापुर में भी मालगाड़ी के ट्रैक से उतारने के लिए सीमेंट का पत्थर रखा गया था।

जाहिर है ट्रेनों को पटरी से उतारने की इतनी कोशिशें किसी बड़ी साजिश का ही हिस्सा है। रेलें भारत में यातायात और अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। देश में ट्रैक की कुल लंबाई एक लाख 15 हजार किलोमीटर से ज्यादा है। रोजाना करीब साढे 13 तेरह हजार ट्रेनों से करीब ढाई करोड़ यात्री सफर करते हैं तथा 33 लाख टन माल ढुलाई होती है। ऐसे में ट्रेनों को निशाना बनाकर आम जनजीवन और खाद्य आपूर्ति को भी प्रभावित किया जा सकता है।

दरअसल, रेलवे का नेटवर्क इतना लंबा फैला हुआ है कि पटरियों की पूरी तरह निगरानी संभव नहीं है। ये कई किलोमीटर जंगलों से सुनसान स्थानों से गुजरती है। इन स्थानों पर ना तो सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं और ना ही मोबाइल नेटवर्क आसानी से ट्रेस किया जा सकता। हो सकता है आतंकियों के दिमाग में इसीलिए ट्रेनों को निशाना बनाने की खुराफात आई हो। इसीलिए एनआईए सहित केंद्रीय और राज्य सुरक्षा एजेंसियों को अभी तक की जांच के बाद इसके पीछे आतंकी संगठनों का ही हाथ नजर आ रहा है,जो पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं।

इसका एक कारण ये भी है कि पाकिस्तान के आतंकी फरहतुल्लाह घोरी ने पिछले दिनों एक वीडियो जारी कर भारत में बड़े स्तर पर ट्रेनों को पटरी से उतराने के लिए उकसाया था। उसने कहा था कि वहां बड़े पैमाने पर ट्रेनों को पलटाने की कोशिश करें, ताकि सप्लाई चैन और यात्री निशाने पर आ सके। इससे भारत के आधारभूत ढांचे को नुकसान होगा। इसके बाद से लगातार इस तरह की घटनाएं सामने आ रही है, जिसमें रेल की पटरियों पर लकड़ी के मोटे टुकड़े, पत्थर, गैस सिलेंडर आदि रखे गए हैं। पाकिस्तान हमेशा से भारत में अशांति फैलाने के लिए आतंकी घटनाओं को प्रोत्साहित करता रहा है। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद पिछले सालों से वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आतंकी ट्रेनों को निशाना बनाने में कामयाब रहे, तो नुकसान बड़ा कर सकेंगे। क्योंकि ट्रेन में हजारों लोग यात्रा करते हैं।

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1 thought on “आतंकियों के निशाने पर इसलिए हैं ट्रेनें”

  1. माथुर साहब,

    बी जे पी और आर एस एस के लोग सबसे पहले तो यह ग़लतफ़हमी हटाएँ की इस दुनिया में “सब चंगा सी” | इन लोगों ने राम की मूर्ति बना दी और समझने लगे की राम राज्य आ गया | जब राम वनवास गए थे तो भी राक्षस थे | सीता को उठा के ले जाने वाला राक्षस ही था | आप लोगों की मूल प्रवति नहीं बदल सकते | हिंसा मानवों के स्वभाव का मूल हिस्सा है |

    ठीक है लोकलाज के चलते इंसान कपडे पहनने लग गए वर्ना अंदर एक जानवर आज भी जिन्दा है | चाहे जितने कानून बना लो चाहे जितनी फौज लगा लो चाहे जितने पुलिस के सिपाही लगा दो | यह जानवर जब तक खुराक लेता रहेगा तब तक दूसरे लोग मुसीबत में ही रहेंगे |

    सही गलत का फैसला समाज के अघोषित नियमों से बंधा है | हर बात का कानून नहीं होता |
    यहाँ सबसे बड़ा फसाद यह है की अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाया जाता है |

    रही बात रेलवे पर भारी सामान रख कर रेलवे की गाड़ियां पलटाने की तो वो आतंकवादियों की स्लीपर सेल के करतब हैं | ज्यादातर नूह के आसपास की गतिविधियों पर नजर रखें | जो बंगलादेशी अपने देश में हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा कर सकते हैं वो आपके यहाँ क्यों नहीं कर सकते हैं ?

    पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ने जिस तरह इन्हे शरण दी है | क्या यह आप नहीं समझ पाते ?
    एक डॉक्टर के साथ खुल्ले आम हॉस्पिटल में ही हिंसा हुई ममता बनर्जी ने क्या किया यह सबने देखा |
    तो अकेले छुप कर रेलवे की गाड़ी पलटाने में की साजिश क्यों नहीं कर सकते | हैदराबाद में तो छुटभैय्ये ने यह तक कह दिया की 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो | जगह जगह पत्थर फेंके जा रहे हैं | खुल्ले आम बदमाशी हो रही है | तो रेलवे में क्यों नहीं कर सकते |

    जब तक भारत सरकार कठोरतम सजा नहीं देगी तब तक आप किसी अपराध को नहीं रोक सकते | कानून व्यवस्था की हालत तो वफ्फ बोर्ड वाले मामले में देख लो | और ऐसा नहीं है की भारत के लोग ऐसी बातों को कण्ट्रोल नहीं कर सकते | बहुत पहले इसी देश में शेर हुआ करते थे | गावों में जाते किसी पर भी हमला कर देते | बाद में जनता की नजरों में चढ़ गए | आज कल शेरों के लिए कहा जाता है “सेव दी टाइगर” |

    जो हिंसक भीड़ अपनी पालतू गायों के अवैध तस्करी पर सड़क पर फैसले ले लेती हैं उस भीड़ से आतंकवादी बच पाएंगे ?
    यह घटनाएं केवल रेलवे को नुक्सान पहुंचाने के लिए नहीं हो रही | इसकी आड़ में आगे हिंसक दंगे करवाएँगे यह लोग | आप ध्यान से देखंगे तो दंगों की एक पूरी लिस्ट है |

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