राजकार्य में बाधा नहीं होनी चाहिये। यह कोई सम्मान जनक बात नहीं। यदि कोई राजकार्य में जान बूझ कर बाधा पहुंचाता है तो बहुत गलत करता है चाहे वह अजमेर यू आई टी के पूर्व चेयरमैन का पुत्र ही क्यों न हो।
यहाँ तक तो बात और मुद्दा बिल्कुल सही है मगर सवाल यह उठता है कि क्या किसी व्यक्ति को उसके घर जाने से रोका जा सकता है? बैरिकेट लगा कर! किसी व्यापारी को उसकी दूकान के बाहर रोक लगाकर रोकना न्यायोचित है? वो भी तब शहर में बाढ़ के हालात बने हुए हों? घरों बाजारों और दूकानों में पानी भरा हुआ हो? उनमें करंट आ रहा हो! किसी कर्मचारी के करंट का झटका लग चुका हो और कर्मचारी जान बचाने के लिए हाथ पैर मार रहे हों! फोन करके मालिक को जल्दी आने को कह रहे हों।
ऐसे में क्या किसी को बैरिकेट लगा कर रोक लिया जाए तो क्या यह राजकाज होगा?क्या कोई घबराया हुआ व्यक्ति बैरिकेट हटाने का आग्रह करे मगर उसकी एक न सुनी जाए! हड़बड़ाहट में वह बैरिकेट हटा कर अपनी दुकान में चला जाये। करंट लगे कर्मचारी को संभाले। दुकान की बिजली सप्लाई तत्काल रुकवाए! तो क्या ये राजकार्य में बाधा होगी।
मित्रों! यही हुआ था होटल व्यवसायी के साथ जयपुर रोड पर दो दिन पहले उसकी होटल के सामने ट्रांसफार्मर में करंट आ गया था। एक कुत्ता चिपक कर जान गंवा बैठा था। सैंकड़ों मछलियां करंट से मर गई थीं। करंट इतना खतरनाक था कि यदि इसी होटल व्यवसायी ने अपनी होटल से फोन करके बिजली की सप्लाई बंद नहीं करवाई होती तो कोई और अप्रिय घटना भी हो सकती थी। करंट से मरने वाला क्यों कि कुत्ता था इसलिए बिजली विभाग के विरुद्ध किसी ने कोई मुकद्दमा दर्ज़ नहीं करवाया। किसी संगठन ने उसकी मौत के जिम्मेदार लोगों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश नहीं की।
कल फिर वही हुआ। पानी मे करंट प्रवाहित होने लगा। एक होटल में करंट प्रवाहित हो गया। होटल का एक कर्मचारी करंट के झटके से निढाल हो गया। होटल में हाहाकार मच गया। होटल भाजपा नेता की है। उनके पुत्र सूचना मिलने पर तेजी से दौड़े। आगरा गेट पर पुलिस कर्मी बैरिकेट लगाकर रास्ता रोके खड़े थे। उनको बताया गया कि वह होटल मालिक हैं। होटल में करंट बह रहा है। कर्मचारी के करण्ट लग चुका है। संवेदनशील पुलिस कर्मियों ने उनको जाने दिया। आगे फिर ठीक उनकी होटल के पहले पुलिस कर्मी बैरिकेट लगाकर खड़े थे। उनसे भी आग्रह किया गया। उन्होंने बैरिकेट नहीं हटाया बल्कि ये कहा कि “ये साले बाणिये चैन कोनी लेबा देरिया।”
होटल पहुंचने की जल्दी और हड़बड़ाहट में होटल व्यवसायी ने बैरिकेट हटा दिया और होटल जाकर बिजली की लाईन बन्द करवाई। इसी बीच किसी व्यक्ति द्वारा बनाया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में वही हिस्सा दिखाया गया जिसमें बैरिकेट हटाया जा रहा था। उससे पहले किसने क्या कहा ये नहीं बताया गया।
घटना के बाद जयपुर रोड व्यापारी संघ के लोग कलेक्टर से मिले। बैरिकेट हटाने या संस्थान मालिकों को उनके खुद के संस्थानों में जाने देने का आग्रह किया।
बाद में पता चला की राजकार्य में बाधा पहुंचाने का मुकद्दमा दर्ज हो गया है। मुकद्दमे की प्रासंगिकता पर मैं कोई सवाल नहीं उठाना चाहता। यह कानून का विषय है। इसके औचित्य को अदालत तय करेगी। जांच तय करेगी मगर शहर के हालात पर मैं जरूर अपनी बात कहना चाहूँगा।
यदि होटल में करंट समय पर प्रवाहित होने से नहीं रोका जाता और कोई व्यक्ति उस कुत्ते की तरह से मारा जाता जो ट्रांसफार्मर से चिपक के दो दिन पहले मर गया तो उसका कौन जिÞम्मेदार होता?
यदि होटल में आग लग जाती और आसपास भी उसकी लपटें किसी बड़े हादसे का कारण बन जाती तो कौन जिम्मेदार होता?
जयपुर रोड की सभी दुकानों होटलों और व्यापारिक संस्थानों में दस दस फीट पानी भरा हुआ है। पम्पों से चौबीसों घँटों पानी निकाला जा रहा है। क्या इनके मालिकों को अपने संस्थानों में आने जाने और सुरक्षा करने के कोई मौलिक अधिकार नहीं?
जरा सोचिए कि हाथी भाटा के किसी बुजुर्ग पिता को हार्ट अटैक हो जाए और बेटा उसे अस्पताल ले जा रहा हो और बन्द बैरिकेट उसका रास्ता रोक दें! वह बैरिकेट हटा कर अस्पताल ले जाए तो क्या इसे आप राजकाज में बाधा बता देंगे?
मित्रों! यहाँ मैँ किसी भी तरह से किसी की व्यक्तिगत पैरवी नहीं कर रहा।न उस वीडियो के औचित्य पर कोई टिप्पणी कर रहा हूँ मगर अजमेर जिन हालतों से गुजर रहा है लोग उन परेशानियों से युध्द रत हैं उन पर संवेदनशील होकर ही प्रशासन को सामने आना चाहिए। परेशानी यदि कम नहीं हो पा रही हों तो हम उनको बढाएं भी क्यों?मेरी बात से यदि कोई सहमत न भी हो तो मुझे उससे कोई अभिप्राय नहीं। धन्यवाद।