सौहार्द और भाईचारे की भावना से अजमेर में 45 वर्षों से निकल रहा है बारावफात का जुलूस

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16 सितंबर को निकलने वाले जुलूस में न डीजे बजेगा और न पटाखे। जुलूस मार्ग पर सफाई भी करेंगे
पूना के दगड़ू सेठ गणपति अजमेर में भी विराजे। बीसलपुर बांध से पानी की निकासी कम हुई

पैगम्बर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर प्रतिवर्ष निकलने वाला ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) का जुलूस इस वर्ष भी 16 सितंबर को मुस्लिम समुदाय की ओर से उत्साह के साथ निकाला जाएगा। पिछले 45 वर्षों से यह जुलूस सौहार्द और भाईचारे के उद्देश्य से निकाला जा रहा है। जुलूस का स्वागत हिंदू समुदाय की ओर से जगह जगह किया जाता है।

अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती और जुलूस की आयोजक संस्था सूफी इंटरनेशनल के सचिव नवाब हिदायतउल्ला ने बताया कि इस बार भी जुलूस में डीजे बजाने पर प्रतिबंध रहेगा। इसके साथ ही किसी भी युवक को पटाखे चलाने की इजाजत नहीं होगी। जुलूस के बाद मार्ग पर कोई गंदगी न रहे, इसके लिए वॉलिटियर को थैले दिए जाएंगे ताकि खाद्य सामग्री और पैकिंग आदि की थैलियां हाथों हाथ उठा ली जाए। जुलूस के माध्यम से स्वच्छता का संदेश भी दिया जाएगा।

16 सितंबर को सुबह 9 बजे यह जुलूस अंदरकोट से शुरू होकर ख्वाजा साहब की दरगाह के सामने से होता हुआ महावीर सर्किल पहुंचेगा और फिर ऋषि घाटी बाइपास स्थित चिल्ला कुतुब साहब पर समाप्त होगा। यही पर देश में अमन चैन और शांति के लिए प्रार्थना की जाएगी। चिश्ती और हिदायतउल्ला ने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह होने के कारण अजमेर से देश भर में शांति और सौहार्द का संदेश दिया जाता है। उसी परंपरा को मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर भी निभाया जाएगा।

प्रशासन की बैठक:

बारावफात के जुलूस को लेकर 10 सितंबर को कलेक्ट्रेट में मुस्लिम प्रतिनिधियों और अधिकारियों की एक बैठक हुई। इस बैठक में सूफी इंटरनेशनल के अध्यक्ष हाजी सरवर चिश्ती, काजी मुनव्वर अली, अंजुमन यादगार के अध्यक्ष अजीम चिश्ती, हसन हाशमी, दरगाह कमेटी के सहायक नाजिम मोहम्मद शाहदाब, एएसपी दुर्ग सिंह, निगम उपायुक्त कीर्ति कुमावत, दरगाह क्षेत्र के डीएसपी लक्ष्मणराम, पुलिस के डीएसपी मनीष आदि भी उपस्थित रहे। जुलूस के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9413383786 पर नवाब हिदायतउल्ला से ली जा सकती है।

अजमेर में दगडू सेठ विराजे:

अजमेर के राम नगर स्थित पंचोली चौराहा के निकट खुले मैदान में गणपति महोत्सव के दौरान दगडू सेठ गणपति की स्थापना की गई है। दगडू सेठ गणपति की प्रतिमा अजमेर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। असल में महाराष्ट्र के सिद्धि विनायक मंदिर के बाद दगडू सेठ गणपति मंदिर को दूसरा सबसे बड़ा प्रतिष्ठि मंदिर माना जाता है। दगडू सेठ का मंदिर महाराष्ट्र के पूणे में स्थापित है। इतिहास के अनुसार मंदिर का निर्माण दगडू सेठ हलवाई नाम के व्यक्ति ने करवाया था। तभी से पूरे महाराष्ट्र में दगडू सेठ मंदिर की मान्यता है। महाराष्ट्र की लोकप्रियता को देखते हुए ही अजमेर में जुगल पंवार परिवार की ओर से दगडू सेठ गणपति की स्थापना की गई है।

आयोजन समिति के अध्यक्ष अभिषेक पंवार ने बताया कि दगडू सेठ गणपति महाराज के दरबार में प्रतिदिन प्रात: सवा आठ और सायं सवा छह बजे आरती का आयोजन किया जाता है। प्रतिमा का विसर्जन 16 सितंबर को सवा तीन बजे किया जाएगा। अजमेर में रहने वाले मराठी समुदाय के लोग भी दगडू सेठ गणपति की प्रतिमा को देखने के लिए आ रहे हैं। इस धार्मिक आयोजन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9610748375 पर अभिषेक पंवार से ली जा सकती है।

पानी की निकासी कम:

अजमेर, जयपुर और टोंक जिले की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध से पानी की निकासी लगातार कम हो रही है। इस बार बांध के ओवर फ्लो हो जाने के कारण गत 6 सितंबर से बांध के छह गेट खोल कर पानी की निकासी की जा रही थी। शुरू में चेनल गेटों को दो मीटर ऊंचा कर पानी की निकासी की गई। लेकिन 11 सितंबर को पांच गेटों की ऊंचाई मात्र आधा मीटर रखी गई। जबकि एक गेट की ऊंचाई एक मीटर रखी गई है। जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि बनास नदी में पानी की आवक कम हो रही है। यही वजह है कि निकासी भी कम कर दी गई है। बांध का जल स्तर क्षमता के अनुरूप 315.50 मीटर का बनाए रखा गया है।

एस पी मित्तल

वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल

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