स्मार्ट सिटी अजमेर के हालात बता रहे हैं कि वह राजस्थान के सबसे दुर्भाग्य शाली शहरों में शामिल हो गया है। यहाँ नागरिकों को एक भी मूलभूत सुविधा बहाल नहीं। चारों तरफ पानी का आतंक! घरों में कैद नागरिक! बन्द बाजार! बन्द यातायात! बन्द आवागमन! बन्द स्कूल! बंद मंडियां! बन्द डेयरी! कुल मिलाकर पूरा शहर पेरेलाइज्ड! लकवाग्रस्त।
प्रशासन बदहवास! अधिकारी हक्के बक्के! जनता ठगी हुई! राजनेता किंकर्तव्यविमूढ़! विकास रुका हुआ! विनाश पूरी रफ़्तार से जारी।
आम जनता के दर्द को सुनने वाला कोई नहीं! परेशान मतदाता समझ नहीं पा रहे कि कौनसे स्मार्टसिटी में उनको सरकार ने पहुंचा दिया है। वे लोग जो कल तक स्मार्टसिटी बनाने वाले लोगों को आगाह कर रहे थे कि मोहम्मद गजनबी मत बनो! शहर को लूट लो मगर बर्बाद मत करो! इसे पैसा खा कर कम से कम अपने पैरों पर खड़ा तो होने दो! मगर लुटेरों ने उनकी प्रार्थनाओं को दर किनार कर बना दिया एक ऐसा शहर जो मुर्दों के टीले से जिÞयादा कुछ नहीं।
शहर के लोग डरे हुए हैं। बबार्दी के आसार अभी कम नहीं हुए हैं। आनासागर गुस्से में है। फायसागर और खानपुरा का तालाब उसका खुलकर साथ निभा रहे हैं। राम न करे इनका गुस्सा सब्र तोड़ दे। पाल तोड़कर बाहर आ धमके।
खौफ जदा इस शहर की हंसी गायब है मगर इलायची बाई की गद्दी हंस रही है।
ताली वादक शहर किन्नरों की आराध्या इलायची बाई को नमन कर रहा है। नतमस्तक हैं सब यह दुआ करते हुए कि इस उभयलिंगी शहर पर कोई कृपा काम कर जाए और शहर फिर से सामान्य रफ़्तार में साँस लेने लगे।
मित्रों! बिजली! पानी ! स्वास्थ्य! यातायात! बाजार! व्यापार! स्कूल! रोजमर्रा की वस्तुएं यानि सब जब दुविधा में हैं तब एक शानदार पहल की उस नेता ने जो भले ही कोई चुनाव न जीत पाया हो मगर उसने यह साबित कर दिया कि शहर में कोई राजनेता उसके कहीं मुकाबिल नहीं। मेरी मुराद अजमेर डेयरी के चेयरमैन रामचन्द्र चौधरी से है। इस मर्द नेता ने तो कमाल ही कर दिया।
ऐसे वक़्त में जब अजमेर डेयरी पूरे शहर से कट गई है। उसके सारे रास्ते बाढ़ के पानी मे डूबे हुए हैं। जब गांवों से दूध का संग्रहण दुविधाओं से गुजर रहा है। खेत डूबे हुए हैं। मवेशी चारा चरने नहीं जा पा रहे। टैंकर दूध की सप्लाई के लिए बस्तियों में जाने के लिए हाथ खड़े कर चुके हैं। ऐसे विकट हालातों में इस दुग्धक्रान्ति के पुरोधा ने घुटने टेकने से इंकार कर दिया है। इस नेता ने अजमेर डेयरी को विपरीत परिस्थितियों से जूझने को तैयार कर दिया है।
दो दिन की जद्दोजहद के बाद अजमेर की उन बस्तियों में जहाँ टैंकर नहीं जा पा रहे पाईप लाइनों के जरिए दूध पहुंचाना शुरू कर दिया है।
जब शहर में पानी और गैस की लाईन बिछी होने के बावजूद उनका समयबद्ध और सुचारू वितरण नहीं हो पा रहा। जब बस्तियों में भरे पानी को प्रशासन पम्पों से खाली नहीं कर पा रहा। तब हमारा चौधरी दूध की सप्लाई दे कर नया प्रयोग कर रहा है।सचमुच राजस्थान में यह पहला प्रयोग है जो यह युग पुरुष कर रहा है।
पिछले दिनों मैंने अपने इस बालसखा के सियासती पहलू पर एक ब्लॉग लिख दिया था। भायला नाराज हो गया। गुस्से में यहाँ तक कह दिया कि दिखा दी न औकात! हा हा हा! मेरे प्यारे रामचन्द्र चौधरी! सियासती कामयाबी तुम्हारी जन्मपत्री में नहीं। इसमें कोई दो राय नहीं कि आज तक जड़ों से जुड़ा कोई नेता अजमेर का मुकद्दर नहीं बना। यह भी खुला सत्य है कि यदि अजमेर को तुम्हारे जैसा नेता मिल जाता तो अजमेर को यह दिन देखने को नहीं मिलते।
राजा भागीरथ ने जमीन में तीर मार कर गंगा निकाल दी थी। सांसद भागीरथ के तीर तरकश से बाहर आने को तैयार नहीं और रामचन्द्र चौधरी ने तीर मार कर दूध निकाल दिया। वाह चौधरी वाह! जाट हो तो ऐसा। नेता हो तो ऐसा।