अजमेर शहर की नपुंसकता से पूरी तरह से बदला लेने के मूड़ में आ चुका है। बबार्दी की जब पटकथा लिखी जा रही थी तब पूरा शहर खामोश था। अब जबकि अजमेर ने अपनी जुबान खोल ली है तो मूकदर्शक जनता के मुँह में भी जुबान नजर आने लगी है।
स्मार्ट सिटी के बाशिन्दों को अब जाकर पता चला है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर जितनी सीमेंट शहर के जिस्म पर पोती गई वह अजमेर शहर की सेहत के साथ खिलवाड़ था।
स्मार्टसिटी योजना भले ही केन्द्र की भाजपा सरकार की देन रही हो मगर इसे अमली जामा गहलोत सरकार के समय मे ही पहनाया गया। जब तक मुख्यमंत्री गहलोत रहे स्थानीय अधिकारियों ने भाजपा के नेताओं यहां तक कि स्थानीय विधायको तक को बैठकों से दूर रखा (ऐसा मैं नहीं विधायक खुद कहते हैं)। बेचारे बेइज्जती करवाकर समय काटते रहे। तब कांग्रेसी नेताओं की भी जुबान पर ताले लगे रहे। राजऋषि उस काल में अजमेर के अघोषित मुख्यमंत्री कहलाए जाते रहे। उनकी उँगलियों पर जिÞला प्रशासन नाचा करता था। देथा जी की उस काल मे अंधी चल रही थी।
स्वर ऊँचा करने का नतीजा तत्कालीन निगम आयुक्त चिन्मई गोपाल ने खूब भुगता। देथा प्रभारी अधिकारी थे और राजऋषि का उनसे गहरा रिश्ता रहा। स्मार्ट सिटी योजना के कार्यकाल में जितने कलेक्टर आए उनकी रीढ़ स्प्रिंगदार थी सो उनके सर सजदे में ही नतमस्तक रहे। ये वो वक़्त था जब राजऋषि के राजकुमार की कार कलेक्टर साहब के पोर्च में खड़ी हुआ करती थी और साहबजादे सरकारी मीटिंग तक में बैठने से गुरेज नहीं करते थे। अधिकारियों ने सूखा गीला जो किया होता रहा।
एक्सट्रा स्मार्ट अधिकारियों ने जैसा चाहा शहर को स्मार्ट बनाया। पाथ वे! फूड कोर्ट ! सेवन वंडर! जी मॉल का खेल! आनासागर की भराव क्षमता पर आक्रमण! नालों पर अनाप शनाप निर्माण! एस्केप चैनल की बबार्दी! आनासागर की दुर्गति! फॉयसागर की पाल की मिट्टी खिसका कर नीचे रेस्तरां बनाना! बाड़ी नदी को नाला बता कर एन जी टी को धोखा देना! गंदे नालों के पानी की आवक आनासागर तक होते रहना! मुख्य निकासी को सीवरेज के नाम पर बिना सोचे समझे खोद देना! शहर के सीने पर एलिवेटेड रोड्स और पुल बना देना! सब कुछ होता रहा।
अजमेर के बाग बगीचों को जिस तरह तबाह किया। जिस तरह खेल के मैदानों को सीमेंट बजरी में मिला कर बर्बाद कर दिया गया। उस समय कोई कांग्रेसी नेता शहर के दर्द में शामिल होकर चीखा नहीं। भले ही आज भाजपा नेता सत्ता में न होने का तर्क देकर झेंप भले ही मिटा लें मगर उस समय उनकी खामोशी भी विचारणीय तो थी ही ।
मुझे खुशी है कि कांग्रेस नेता विजय जैन के मुँह में देर से ही सही जुबान तो नजर आई है। उन्होंने एन जी टी से आनासागर को लेकर चिंता तो व्यक्त की है। माना तो है कि आनासागर को किश्तों में लूटा गया। माफियायों! नेताओं! और अधिकारियों के सयुंक्त गिरोह ने जम कर बन्दर बांट की।
सवाल फिर वही कि उस समय कहाँ थे जब झील का चीर हरण हो रहा था! उसके खूबसूरत जिस्म को दरिंदे नौंच रहे थे! झील चीख रही थी और दोनों प्रजातियों के नेता सैडिस्ट प्लेजर ले रहे थे।
मित्रों! शहर में एक लड़ाका नेता नीरज जैन भी हैं! होनहार नेतागिरी के उनमें सभी गुण मौजूद हैं। नगर निगम अजमेर के उपमेयर हैं। बयान बहादुर नेता! दिल्ली के दिल से अजमेर की धमनियों तक उनका सुगम प्रवाह है। ईमानदारी को अपना सर्वस्व बताते हैं। लिफाफे वाली राजनीति से परे रहने का दावा करने वाले नीरज जैन! मुद्दों की राजनीति पर केन्द्रित रहते हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की खामियों पर सबसे जिÞयादा लिखत पड़त करने वाले नेता! कई बार हमने उनसे आग्रह किया कि कागजी शिकायतों से बाहर निकलो! कैमरे पर आओ! अफसोस कि उन्होंने झील के अपहरण पर कभी वो रहस्य नहीं खोले जो उनके पास सबूत सहित मौजूद हैं। कल भी उनको सूचना दी! आग्रह किया! पता नहीं क्यों सामने नहीं आ रहे? किससे क्या समझौता है। वैसे भी अजमेर के अधिकांश नेता आग से लड़ाई करते हैं ! पानी से समझौता। हो सकता है नीरज जी ऐसे न हों। फिर उनसे आग्रह कि बात आज की चैनल पर आएं और अजमेर के दुश्मनों के चेहरे से नकाब हटायें।
इस बार अजमेर कितना स्मार्ट हुआ है? यह खुद अजमेर ही बता रहा है। अभी तो कई मोड़ सामने आएंगे! फॉयसागर! खानपुरा का तालाब! अभी तबाही का और भी मंजर दिखा सकते हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अक्टूबर तक बारिश जारी रहने की भविष्यवाणी की गई है। टाँके खुल जाएंगे देखना हमारे! पानी! आग ! और हवा जब बदला लेने पर उतरते हैं, छोड़ते नहीं किसी को।