आखिर वसुंधरा राजे राज्यपाल पद को इतना असरदार क्यों मान रही हैं?

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पीतल की लौंग वाली बात कहकर नया डिप्टी सीएम और जयपुर राजघराने की प्रमुख दीया कुमारी पर कटाक्ष किया गया है।
तो बीसलपुर बांध 7 सितंबर को ओवर फ्लो हो जाएगा। मात्र 5 प्रतिशत खाली है।
3 सितंबर को जयपुर में सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर का नागरिक अभिनंदन हुआ। जयपुर के पूर्व सांसद रामचरण बोहरा की पहल पर हुए इस समारोह में राजस्थान भाजपा के दिग्गज नेता मौजूद रहे। एक समय था जब ओम प्रकाश माथुर की तूती पूरे राजस्थान में बोलती थी। वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए भी माथुर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। यह बात अलग है कि राजे के साथ विवादों के चलते माथुर को राजस्थान की राजनीति से दूर जाना पड़ा। अभिनंदन समारोह में वसुंधरा राजे भी उपस्थित थी। सोशल मीडिया पर अब वसुंधरा राजे का पूरा भाषण वायरल हो रहा है। राजे अपने भाषण में राज्यपाल के पद को बहुत असरदार बता रही हैं। राजे ने यह भी बताया कि राज्यपाल का पद मुख्यमंत्री से भी ज्यादा असरदार होता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि गत कांग्रेस शासन में अशोक गहलोत सरकार ने जब विधानसभा सत्र बुलाने की तारीख बताई तो तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र ने निर्वाचित सरकार की तारीख को मानने से इंकार कर दिया। विधानसभा का सत्र तभी हुआ, जब राज्यपाल ने चाहा। राजे ने कहा कि कुछ लोगों की धारणा है कि राज्यपाल का पद राजनीति से सेवानिवृत्ति है, लेकिन मेरा मानना है कि राज्यपाल रहते हुए संबंधित राज्य में जनसेवा ज्यादा प्रभावी तरीके से की जा सकती है।
वसुंधरा राजे ने राज्यपाल के पद का जिस तरह महिमामंडन किया उससे राजस्थान की राजनीति में अनेक सवाल उठ रहे हैं। एक सवाल यह भी है कि क्या अब वसुंधरा राजे को राज्यपाल का पद अच्छा लगने लगा है? राजे मानने लगी है कि राज्यपाल का पद भी गरिमामय और सम्मान जनक होता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में राजस्थान में भाजपा की हार के बाद से ही राजे को राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा हो रही थी, लेकिन राजे ने पिछले छह वर्षों में हर बार ऐसी चर्चाओं पर विराम लगा दिया। लेकिन 3 सितंबर को यह पहला अवसर रहा, जब वसुंधरा राजे ने राज्यपाल के पद को भी असरदार माना। देखना होगा कि वसुंधरा राजे के बदलते मिजाज और विचार के परिणाम आने वाले दिनों में कैसे सामने आते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भाजपा के दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया को भी राज्यपाल बना दिया गया था।
डिप्टी सीएम और जयपुर राजघराने की प्रमुख दीया कुमारी पर चुप्पी ासधे रही। सब जानते है कि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने जब से दीया कुमारी को राजनीति में आगे बढ़ाया है, तब से वसुंधरा राजे खुश नहीं है। राजनीति को समझने वालों का मानना है कि माथुर के अभिनंदन समारोह में वसुंधरा राजे ने पीतल की लौंग वाली जो बात कही वह डिप्टी सीएम दीया कुमारी पर कटाक्ष था। राजे का कहना रहा कि राजनीति में कुछ लोगों को पीतल की लौंग मिल जाती है तो वह स्वयं को सर्राफ समझने लगते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा सत्र में भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने जयपुर राजघराने की संपत्ति से जुड़े भूमि विवाद को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उठाया था। सब जानते हैं कि सराफ, राजे के पक्के समर्थक है। अब देखना होगा कि पीतल की लौंग वाली कहावत का जवाब किस तरह आता है। वसुंधरा राजे भी धौलपुर राजघराने की महारानी है।
बांध ओवर फ्लो:
अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के एक करोड़ लोगों की प्रतिदिन प्यास बुझाने वाला बीसलपुर बांध संभवत: 7 सितंबर को ओवर फ्लो हो जाएगा। 315.50 मीटर की क्षमता वाले बांध का जलस्तर 5 सितंबर को प्रात: 6 बजे 315.8 मीटर मापा गया जो मात्र चार घंटे में प्रातः 10 बजे 315.13 मीटर भर गया।
यानी बांध में प्रति घंटा एक सेंटीमीटर से भी ज्यादा पानी की वृद्धि हो रही है। तीन नदियों के संगम त्रिवेणी पर 5 सितंबर को भी 4.20 मीटर की चादर चल रही है, ऐसे में बांध के जलस्तर पर निगरानी रखने वाले इंजीनियरों का मानना है कि 7 सितंबर को बांध ओवर फ्लो हो जाएगा। बांध के पानी को चैनल गेट से निकालने के लिए सिंचाई विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। चैनल गेटों की टेस्टिंग भी हो चुकी है। गत बार 2022 में बांध ओवर फ्लो हुआ था। इंजीनियरों के अनुसार बांध अब मात्र पांच प्रतिशत खाली है। यदि बांध ओवर फ्लो होता है तो आगामी दो वर्षों के लिए बांध में पानी एकत्रित हो जाएगा।

एस पी मित्तल

वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल

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