बाड़ ही खा गई खेत,राजनीतिक नियुक्तियों ने किया बेड़ा गर्क
कटारा के बाद एक और पूर्व सदस्य राइका की गिरफ्तारी,बेटे-बेटी को दिया था एसआई भर्ती का प्रश्न पत्र
राजस्थान लोक सेवा आयोग यानि आरपीएससी के एक और पूर्व सदस्य रामूराम राइका भी एसओजी की गिरफ्त में आ गए हैं। उन्होंने 2021 में सदस्य रहते हुए अपने बेटे देवेश और बेटी शोभा को सब इंस्पेक्टर परीक्षा का पेपर पहले ही दे दिया था। जिसके चलते शोभा को पांचवी और देवेश को 40वीं रैंक हासिल हुई थी। शनिवार को बेटे-बेटी को हिरासत में लेने पर इसे राजनीति द्वेषतावश की गई कार्यवाही बताने वाले राइका के एक वायरल वीडियो ने उनकी पोल खोल दी। जिसमें वह गर्व से कहते नजर आ रहे हैं कि मैंने आरपीएससी का मेंबर रहते हुए समाज के कई लोगों को इंटरव्यू में बनाया है।जाहिर ऐसे में अपने खुद के बेटी- बेटी के लिए तो ये सब करना ही था। इसके पहले आरपीएससी के एक और सदस्य बाबूलाल कटारा सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक करने व बेचने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं और निलंबित किए जा चुके हैं।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की साख तो पहले ही मटियामेट हो चुकी है। राइका की गिरफ्तारी उस पर एक और काला दाग है। कटारा शिक्षक भर्ती के पेपर लीक व बेचने के आरोप में गिरफ्तार हुए। कांग्रेस सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त रहे गोपाल केसावत ईओ परीक्षा में पास करने की एवज में पैसे मांगते पाए गए। दो महिला सदस्यों संगीता आर्य और मंजू शर्मा से एसीबी ने पूछताछ की। आर्य राज्य के पूर्व मुख्य सचिव व गहलोत के सलाहकार रहे निरंजन आर्य की पत्नी हैं,तो मंजू शर्मा विख्यात कवि कुमार विश्वास की पत्नी हैं। ये दोनों शिक्षक भर्ती और एसआई परीक्षा के इंटरव्यू बोर्ड में थीं। इसी दौर में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के परिवार के चार सदस्य एक साथ आरएएस बन गए।
नकल और पेपर लीक के कारण परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा। एसआई परीक्षा में एक इलाके से एक साथ कई अभ्यर्थी कामयाब गए। ऐसे में परीक्षाओं पर भरोसा हो भी तो कैसे? कुछ लालची सदस्यों,उनके सरपरस्त नेताओं और इन दोनों के करीबी दलालों के कारण लाखों युवाओं के सपनों पर पानी फिर जाता है। हजारों परिवार अपने बच्चों को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए उनकी कोचिंग पर अपनी जमा-पूंजी फूंक देते हैं। लेकिन उन्हें मिलता है धोखा और फरेब।
जब से आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप खुलकर होने लगा,तब से आरपीएससी का भट्टा लगातार बैठता ही जा रहा है। हालांकि हर सरकार ऐसा करती रही है। कभी वोट बैंक साधने के लिए,तो कभी किसी को वफादारी का इनाम देने के लिए। राइका की नियुक्ति भी भाजपा की वसुंधरा सरकार ने जुलाई,2018 में विधानसभा चुनावों के कुछ माह पहले ही की थी। जो 2022 तक पद पर रहे। लेकिन पिछली अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में ये हस्तक्षेप इतना बढ़ा कि आयोग की विश्वसनीयता बिल्कुल ही खत्म हो गई।
गहलोत सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2021 से 23 के बीच आरएएस व एसआई सहित 23 हजार से अधिक पदों के लिए जो 30 से अधिक भर्तियां निकली। उनमें से 10 प्रमुख भर्तियां जहां पूरी तरह विवाद में रही,वहीं कई अन्य पर भी अंगुली उठती रही। अपने खास और दरबारी अधिकारियों और सर्मथकों को आरपीएससी का सदस्य-अध्यक्ष बनाकर गहलोत ने उन्हें भले ही उन्हें अपने प्रति निष्ठा निभाने का तोहफा दिया था,लेकिन लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से जो खिलवाड़ हुआ,वह आरपीएससी के इतिहास का काला हिस्सा बन गया है।
जिस तरह आयोग की भर्ती परीक्षाओं में नकल, पेपर लीक और डमी कैंडिडेट बैठाने के मामले सामने आए थे,उसे देखते हुए पिछले कुछ सालों में,विशेष रूप से कांग्रेस शासन के दौरान 2018 से 2023 तक के बीच हुई भर्ती परीक्षाओं को लेकर युवाओं में संदेह है कि क्या वह परीक्षाएं ईमानदारी, पारदर्शिता और निष्पक्षता से आयोजित हुई थी? कभी आरपीएससी के सदस्यों पर इंटरव्यू में पक्षपात करने के आरोप लगा करते थे और कई अध्यक्षों और सदस्यों के परिजनों,रिश्तेदारों और उनके जाति -समाज के अभ्यर्थियों की उनके कार्यकाल में हुई नियुक्तियां इस घालमेल की पुष्टि भी करती थी।
लेकिन ये कभी सार्वजनिक नहीं हुआ। हालांकि रिटायरमेंट के बाद ऐसे सदस्य अपने जाति-समुदाय की बैठकों और व्यक्तिगत बातचीत में इस बात का दम भरते रहे हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में किस तरह अपनी जाति-समाज के लोगों को आरपीएससी में रहते हुए लाभ पहुंचाया। जैसा दम अभी राइका भर रहे हैं। अब तो लोगों में आयोग की परीक्षाओं को लेकर इस हद तक अविश्वास है कि उन्हें नए-पुराने प्रशासनिक अधिकारी,पुलिस अधिकारी,शिक्षक और आयोग की अन्य भर्ती परीक्षाओं में पास होकर विभिन्न विभागों में नियुक्त अधिकारियों और कर्मचारियों को देखकर यही शक होता है कि इनमें से कितने अपनी मेहनत के बूते नौकरी पाने में कामयाब हुए होंगे और कितने पहले ही पेपर मिलने से,नकल करने से,डमी कैंडिडेट बैठाने से या फिर पैसे देने के भ्रष्ट तरीकों से।
कई लोगों का मानना है कि आयोग की परीक्षाओं और इंटरव्यू में धांधलियां नई बात नहीं हे,ये पहले भी होती रही है। लेकिन पकड़ी नहीं गई। ऐसी कहानियां तो पहले भी सामने आती रही है कि लिखित परीक्षाओं में कम अंक से पास हुए अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में छप्पर फाड़कर नंबर मिले हैं। तब कई सदस्यों के करीबी लोगों (जिन्हें दलाल भी कहते हैं) पर पैसे लेकर काम कराने (परीक्षा और इंटरव्यू मेन पास कराने) के किस्से भी खूब प्रचलित थे। सवाल ये है कि अब एसआई परीक्षा का क्या होगा? क्या इसे रद्द किया जाएगा? डमी कैंडिडेट बैठाकर तथा नकल कर पास कर ट्रेनिंग पर जा चुके करीब 42 अभ्यर्थी अब पुलिस गिरफ्त में हैं, तो एक ही शहर से सौ युवाओं की भर्ती का रिकॉर्ड भी इसी परीक्षा में बना था। एसओजी का भी मानना है कि परीक्षा का पेपर लीक हुआ है।
यह परीक्षा आयोग ने 859 पदों के लिए ली थी। इसमें करीब 20,359 अभ्यर्थी पास हुए थे और 3,291 को साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया गया था। जाहिर है चुने गए सभी अभ्यर्थी भ्रष्ट तरीकों से तो एसआई बने नहीं है। लेकिन सवाल ये है कि कौन ईमानदारी से मेहनत करके और कौन भ्रष्ट तरीके से एसआई बना है, यह तय कैसे होगा? अगर परीक्षा रद्द होती है तो भुगतना तो ईमानदार अभ्यर्थियों को होगा और अगर नहीं होती है तो भले ही कुछ और बेईमान अभ्यर्थी एसओजी के हत्थे चढ़ जाए। लेकिन फिर भी ऐसे कईक अभ्यर्थी सब इंस्पेक्टर बन ही जाएंगे, जो बेईमानी से परीक्षा में पास हुए हैं।
विधानसभा चुनावों में भाजपा ने घोषणा की थी उनकी सरकार आने पर पेपर लीक और नकल के सभी मामलों की सीबीआई से जांच कराई जाएगी और इसके दोषियों को सामने लाया जाएगा। हालांकि भजनलाल सरकार ने एसओजी को जांच सौंपकर सार्थक शुरूआत की है और वो तेजी से कार्यवाही भी कर रही है। खुद मुख्यमंत्री का चुके हैं कि एसआई ही भर्ती परीक्षा धांधली क्षमें बड़े नाम सामने आना बाकी है और किसी को बख्शा नहीं जाएगा। अगर भजनलाल सरकार आरपीएससी की कार्यप्रणाली में सुधार कर भविष्य में राजनीतिक हस्तक्षेप बिना शिक्षाविदों और समाज के विभिन्न वर्गों के विशेषज्ञ लोगों को इसका सदस्य बनाएं, तो युवाओं में उसके प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा। लेकिन इसके साथ ही पेपर लीक करने वाले दलालों और उनसे जुड़े लोगों को किनका राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, यह भी सामने आना चाहिए। साथ ही जरूरत आरपीएससी की पूरी कार्यप्रणाली की जांच की भी है।