कंगना रणौत ‘संवाद’ के मंच पर पहुंची

0
(0)

बोलीं- हमें अधिकार है कि हम इतिहास से सीखें

देश और हरियाणा के बहुआयामी विकास पर महामंथन अमर उजाला संवाद हरियाणा हो रहा है। कार्यक्रम में शिक्षा, खेल, धर्म, फिल्म व कारोबार जगत की नामचीन हस्तियां रूबरू हो रही हैं। गुरुग्राम स्थित होटल क्राउन प्लाजा में कार्यक्रम चल रहा है।

सवाल- आपको लग रहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी का गलत इस्तेमाल हो रहा है। यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है कि जिस पार्टी की टिकट पर चुनकर आप संसद तक पहुंची है, उसी पार्टी की सरकार है। उसके बावजूद आपको लगता है कि आपकी आवाज दबाई जा रही है।

जवाब- इमरजेंसी फिल्म का नाम बदलने की बात कह कंगना ने विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह मान लेना कि जो लोग सरकार में हैं उन्हीं का सिक्का चलता है, ऐसा नहीं है। सरकार ने हमें रखा है जनता के काम करने के लिए। हमें सरकारी को मुल्जिम बनाया गया है। कभी किसी का पैर टूट जाता है नाली टूट जाती है। हर तरीके का काम हमारे पास आता है, लेकिन हमारा निजी काम होता है उसके लिए हमारी कॉल कोई नहीं उठाता है। यह है भाजपा की सच्चाई। राजनीति या मंडी क्षेत्र के लिए अगर मैं मदद मांगू तो पार्टी मदद करेगी। लेकिन फिल्म से जुड़ी किसी भी प्रकार की मदद के लिए वहां से अपेक्षा नहीं करती हूं। मुझे पार्टी से कोई निराशा नहीं है, हम उनके साथ है। फिल्ममेकर के तौर पर मुझे निराशा है सेंसर बोर्ड है, क्योंकि किसी भी ग्रुप से हमारी मीटिंग नहीं करवाई।

सवाल: मैं आपमें एक निराशा का भाव देख रही हूं?
कंगना: बिल्कुल मैं एक क्रिएटिव पर्सन मैं निराश हूं। मेरी आवाज दबाई जा रही है। सत्य घटना पर आधारित फिल्म को नहीं दिखाए जाने का मुझ पर दबाव डाला जा रहा है। इंदिरा गांधी का निधन बिजली कड़कने से नहीं हुआ था। उनके ऊपर पेड़ नहीं गिरा था।

सवाल: ‘आपातकाल’ लोकतंत्र के लिए काला अध्याय, जब उस पर फिल्म आ रही है तो उस पर सवाल होंगे। आपने इस विषय को चुना फिल्म बनाने के लिए, आज इस पर इतने विचार हैं। नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह से। अब सेंसर बोर्ड में फिल्म फंस गई है। क्या कहेंगी?

कंगना: मुझे तो नहीं लग रहा कि किसी तरह की डिबेट और तर्क वितर्क हो रहे हैं। मुझे लग रहा है कि बंदूके तन रही हैं। सेंसर बोर्ड ने मेरी फिल्म क्लियर कर दी थी। जाहिर सी बात है कि यह फिल्म हमारे संविधान से जुड़ी एक अदभुत घटना को हमारे पास लाता है। यह हमारा अधिकार है कि हम इस विषय पर बात करें। लेकिन, तीन-चार दिन पहले इस पर बैन लगा देना। मैंने बहुत सारे ग्रुप्स से कहा है कि किसी को इस पर आपत्ति है तो हम अपना पक्ष रखेंगे। इसका आधार क्या है हम उपलब्ध कराएंगे। अगर आधारहीन लगा तो निकालेंगे। हमारे साथ कोई डिबेट नहीं हुई है। न ही कोई बात की गई है। मुझे लगता है कि इसका नाम अब इमरजेंसी से बदलकर नो वन किल्ड इंदिरा गांधी रखना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें अधिकार है कि हम इतिहास से सीखें।

सवाल: कोच की कितनी बड़ी भूमिका होती है स्ट्रैटजी बनाने में क्योंकि खेलता तो खिलाड़ी है अंत में?
जवाब: कोच की बहुत ज्यादा भूमिका रहती है चाहे वह कोई भी खेल हो। जैसे खिलाड़ियों को चुनने की। कोर ग्रुप में हमारे 33 खिलाड़ी होते हैं और उनमें से 16 खिलाड़ियों को चुनना होता है। कोच की बहुत भूमिका होती है क्योंकि कौन सा खिलाड़ी कैसा खेल रहा है वह कोच को ही पता होता है। शायद हमें कभी लगता है कि हमें सेलेक्ट नहीं किया गया, लेकिन टीम के लिए वो अच्छा ही होता है क्योंकि कोच का अलग नजरिया होता है। टोक्यो ओलंपिक में हमारे कोच ग्राहम रीड थे, जबकि पेरिस ओलंपिक में क्रेग फुल्टन हमारे कोच थे तो वो भी स्ट्रैटजी बनाने में माहिर हैं। हम तो खेलते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से वही सबकुछ देखते हैं। जर्मनी के खिलाफ हार के बाद फुल्टन ने हमें बहुत प्रोत्साहित किया। बिहाइंड द सीन कोचिंग स्टाफ का बहुत अहम रोल होता है कि आपको किस स्ट्रैटजी से आपको नेक्स्ट मैच खेलना है और कौन सा खिलाड़ी कहां खेलेगा, तो कोच इसमें बहुत अहम किरदार निभाता है।

सवाल- ये भी देखने में आ रहा है अच्छे घरों के बच्चे ज्यादा तनाव में आते हैं बजाय उन घरों के बच्चों के जो अधिक विषमता में बढ़ते हैं।

जवाब- आनंद कुमार ने कहा कि यह बहुत कीमती सवाल है। हम लोग थे तो हमारे पिता जी टूटी साइकिल दे दे थे। थोड़ी देर भी हो गई तो कोई बात नहीं। आजादी थी। आज हमारे देश में या तो स्पोर्ट्स मैन हैं या बिजनेसमैन हैं या अच्छे लीडर हैं। इन सभी का इतिहास देखेंगे तो सबने अपने दम पर अपने बूते पर स्ट्रगल किया। आज-कल के बच्चों को उनके माता-पिता ही चुनौती नहीं लेने देते। अभी हमारे यहां एक मित्र हैं। हमारे यहां से चार किमी दूर रहते हैं। सीधा आॅटो है और सीधा जाता है। बेटा नौवीं में पढ़ता है, उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे को पढ़ा देना तो मैंने कहा कि जब टाइम हो भेज देना। लेकिन जब बच्चा आए तो उनके माता-पिता तो कभी उसकी माता आ जाएं तो मेरे लिए भी यह सिरदर्द हो गया। इतना दवाब बनाया गया बच्चे इतनी पाबंदी लगाई गईं। आखिर में 10वीं पास करने के बाद बच्चा भटक गया। अगर वही बच्चे को पानी में छोड़ दिया, हां उसकी निगरानी जरूरी है। यह बताना जरूरी है कि पानी की गहराई कितनी है। लेकिन पानी में छोड़ना जरूरी है जिससे वह खुद तैरना सीखें।

सवाल: क्या पढ़ाई का दबाव आप पर भी था? आपने ये फैसला कैसे किया कि पढ़ाई चुनूं या हॉकी चुनूं?

जवाब: खिलाड़ी शमशेर ने कहा कि इसमें परिवार का बहुत बड़ा रोल रहता है। पढ़ाई में आपको विकल्प मिल जाते हैं, लेकिन स्पोर्ट्स में आप एलीट लेवल पर जाओगे और कुछ हासिल करोगे तभी आपको आगे मौके मिलेंगे। तो एक दबाव रहता है, लेकिन यही है कि परिवार को अपने बच्चों का समर्थन करना चाहिए। जो भी वो करना चाहता है। बच्चों को भी जिस फील्ड में वो हैं, उसमें 100 प्रतिशत देना चाहिए। पूरा अपना फोकस देना चाहिए। मुझे लगता है कि कोई भी काम नामुमकिन नहीं है अगर आप ठान लेते हो तो। परिवार को इसमें जरूर समर्थन करना चाहिए, जिस भी फील्ड में बच्चा जाना चाहता है, उसमें उन्हें मदद करनी चाहिए।
विज्ञापन

सवाल- एक टीचर के तौर आप इस दर्द को कैसे महसूस करते हैं, जब आपका छात्र बिल्कुल फिनिशिंग लाइन के करीब जाकर चूक जाए।

जवाब- आनंद कुमार ने कहा कि दर्द तो होता है लेकिन हम उस दर्द को ज्यादा अपने दिल पर नहीं लेते हैं। हमेशा एक अच्छा टीचर रिजल्ट के लिए नहीं कड़ी मेहनत और प्रयासों के लिए स्टूडेंट्स को बधाई और शाबाशी देता है।

सवाल: क्या फिजिक्स और गणित के नियम हॉकी के टर्फ पर काम आते हैं?

जवाब: जी बिल्कुल। जैसे स्पोर्ट्स में भी स्ट्रैटजी के हिसाब से चलना पड़ता है। सामने वाली टीम कैसी कर रही है। उनके कौन से खिलाड़ी कहां खेल रहे हैं। स्पोर्ट्स में भी स्ट्रैटजी का योगदान रहता ही है। फिजिक्स और मैथ्स लाइफ में योगदान देते ही रहते हैं।

आनंद कुमार और हॉकी के खिलाड़ी शमशेर सिंह मंच पर पहुंचे

शिक्षाविद और सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार और भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी व अर्जुन अवार्डी शमशेर सिंह संवाद के मंच पर पहुंचे।

कांग्रेस ही कांग्रेस को चुनाव हराती है। यहां क्या स्थिति है?

इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा कि हमारे नेताओं को पूरी आजादी है। हमारे यहां किसी विषय पर मतभेद हो सकते हैं। मनभेद नहीं है। आप जिनका नाम लेंगे, वह कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता है। जीतेंगे तो मिलकर जीतेंगे। हमारे बहुत सारे नेता काबिल है। दर्जनभर नेता हैं। सबकी महत्वाकांक्षा होती है। सभी नेता, संगठन एकजुट है।

कांग्रेस के युवा नेता आपको छोड़कर एक-एक कर पार्टी छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं। इसकी क्या वजह थी?

राजनीति में रुठना इश्यू बेस्ड होता है। मैं व्यक्ति विशेष से रुठा था। मेरे नेता ने मेरी बात मानी। इस बार हम 72 जीतकर आए हैं। हमारे कहने पर काम हुआ और पार्टी को लाभ मिला। पेपर लीक, कार्यकर्ताओं को सम्मान न देने की बात करता हूं तो पार्टी को लाभ मिलता है। अन्य लोगों की बात करें तो कोई शुरूआत कहीं करता है और कहीं अंत करता है। मैंने शुरू भी पार्टी में किया है। अंत भी यहीं पर करूंगा। मैं 46 साल का हूं। बहुत कुछ मिला है। पद-पोस्ट वाले बहुत लोग हैं। 70-72 मंत्री हैं, लेकिन आप 25 का नाम बता दीजिए। जो लोग मेहनत करते हैं और मन जीतने का काम करते हैं, उन्हें लोग याद रखते हैं। पब्लिक ताकत होती है। कुर्सी-पद तो आते चले जाते हैं।

सवाल- उत्तर भारत में जो कांग्रेस की जमीन रही है वहां पार्टी को मजबूत करने के लिए क्या कोई प्रयास हो रहा है? उत्तर प्रदेश और बिहार में तो वापसी भी मुश्किल दिखती है।

जवाब- सचिन पायलट बोले, 2019 में जो हालात देश में बन गए थे हमारी सरहद पर हम सब जानते हैं। उन हालतों में चुनाव हुए। 10 सालों में पोल खुलती गई, लोग समझ गए सिर्फ भाषण ही भाषण ही हैं। 2024 के जो परिणा म हैं उन्हें दोबारा देखिए। हरियाणा, राजस्थान जहां वन-टू-वन फाइट वहां कांग्रेस का प्रदर्शन देखिए। छत्तीसगढ़ में 11 सीटें हैं हम एक सीट जीते और एक सीट हारे 15 सौ वोटों से। हर सीट पर मार्जिन जहां पहले तीन, चार, पांच रहता था वहां अब चालीस से पचास हजार का मार्जिन बचा है। वोट प्रतिशत बढ़ा है। उत्तर प्रदेश में हमारे 7 सांसद जीतकर आए हैं। उत्तर भारत में जहां पहले कांग्रेस मजबूत होती है हम उस राह पर निकल चुके हैं। हरियाणा में हम सरकार बनाने वाले हैं। महाराष्ट्र और जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन सरकार बनाने जा रही।

किसानों की मांग एमएसपी की गारंटी की है। कांग्रेस ने भी यह गारंटी नहीं दी है। क्या कांग्रेस गारंटी देगी?
कांग्रेस पहली पार्टी है, जिसने छत्तीसगढ़ में पहली बार एमएसपी पर कानूनी गारंटी बनाने की बात कही थी। दस साल से जो शासन में हैं, जिन किसानों की आमदनी दोगुनी करनी थी, उन्हें आंदोलन क्यों करना पडता है? जो लोग सत्ता में है, वह तो किसानों को आतंकवादी कहते हैं। हरियाणा किसानों की भूमि है। जो लोग देश का पेट पालते हैं, जब तक उन्हें आर्थिक समृद्धि नहीं देंगे तब तक कोई बात नहीं। आपको दस साल मौका मिला, लेकिन आपने क्या कर लिया?

राजस्थान में आप नए चेहरों को आगे बढ़ाना चाहते थे। हरियाणा में क्या होगा?

पायलट ने कहा कि नए लोगों को मौका देंगे तो नई परंपरा कायम करना चाहते हैं। मैं तो हमेशा से युवाओं को मौका देने की बात करता हूं। मैं 26 साल की उम्र में संसद पहुंचा हूं तो मेरा दायित्व बनता है कि युवाओं को आगे बढाना चाहिए। नए काम करने के तरीकों को आगे लाना होगा। नए लोगों को मौका नहीं देंगे तो युवाओं की बात करने का क्या फायदा?

हरियाणा में चुनाव की तारीखें बदल दी हैं।

विपक्ष पत्र लिखता तो तारीख नहीं बदलती। चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठा रहा। पर यह तो पहले से पता था। सरकार का पत्र जाते ही तारीखें बदल गई। यह तो जनता के सामने है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहेगा?
आप किसी से भी पूछ लीजिए कि हरियाणा में माहौल कैसा है? भाजपा का कार्यकर्ता भी बताएगा कि कांग्रेस का माहौल है। दो-तिहाई बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनने वाली है। हिंदू-मुसलमान, अयोध्या जैसे विषयों पर लोग गुमराह नहीं होने वाले। मनोहरलाल खट्टर अच्छा काम कर रहे थे, तो उन्हें क्यों हटाया? यूपी में योगी आदित्यनाथ को तो नहीं हटाया? लोकसभा का चुनाव तो ट्रेलर था। हम प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएंगे।

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का आंकड़ा 99 पर अटक गया। क्या यह सफलता थी या कुछ और?

सचिन पायलट ने कहा कि मैं ऐसा मानता हूं कि जनादेश लोकतंत्र के जीवित और मतदाताओं के जागरुक होने का है। हम विपक्ष में थे। चुनाव लड़ रहे थे। नेताओं पर ईडी, इनकम टैक्स के छापे मारे। सबकुछ करने के बाद भी कांग्रेस की संख्या दोगुनी हुई है। एनडीए का आंकड़ा 294 है। विपक्ष 235 तक पहुंचा। प्री-पोल अलायंस ने जनता के बीच उम्मीद जगाने का प्रयास किया है। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। कांग्रेस ने उत्तर भारत में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। हरियाणा में आधी सीटें कांग्रेस जीती है। राजस्थान में भाजपा 11 सीटें हारी है। सरकार बनाना न बनाना समीकरण का खेल है। कांग्रेस का प्रचार, लीडरशिप को स्वीकार किया है।

सवाल- राजस्थान में कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार गई, जबकि कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाईं। वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 11 सीट गई। इसमें कामयाबी अशोक गहलोत की है या सचिन पायलट की है?

जवाब- सचिन पायलट ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जीती गईं 11 सीटों में तीन सीटें इंडिया गठबंधन के सहयोगियों दलों ने जीतीं। इसमें एक सीट कम्यूनिस्ट पार्टी और दूसरी सीट क्षेत्रीय दल ने जीती। राजस्थान में पिछले 30 वर्षों में पांच साल सरकार भाजपा की रहती है और पांच साल कांग्रेस की सरकार रहती है। यह परपाटी बनी हुई है। इस बार हम 200 सीटों में से 70-72 विधानसभा सीटें जीते हैं। पिछले के चुनावों की तुलना में इस बार प्रदर्शन बेहतर रहा। दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से चुनाव हार गए। इस बार जनता ने 300 पार, 400 पार का ख्याल पालने वाले लोगों को आइना दिखा दिया। जनता ने जो वोट डाला है वो सरकार का गठन करने का दिया था, विपक्ष को तोड़-मरोड़ने के लिए नहीं वोट किया।

अमर उजाला संवाद के मंच पर पहुंचे कांग्रेस नेता सचिन पायलट

कांग्रेस के युवा नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अमर उजाला संवाद के मंच पर पहुंच गए हैं। वे युवा शक्ति और विकास विषय पर अपनी बात रख रहे हैं।

अग्निवीर योजना पर आप क्या कहेंगे, कई बच्चों की तो शादी भी नहीं हो रही?
अग्निवीर योजना एक बहुत अच्छी योजना है। इस पर कांग्रेस ने दुष्प्रचार किया है। हमने बच्चों को सरकारी नौकरी और अपना काम करने के विकल्प दे रखे हैं। इसके लिए हमने दस प्रतिशत का आरक्षण अग्निवीर के लिए किया है ताकि वो आए और नौकरी पा सकें।

 

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 0 / 5. वोटों की संख्या: 0

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment