राजस्थान रावत महासभा पुष्कर ने सियासती करवट लेकर अपना चेहरा बदल लिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे डॉक्टर शैतान सिंह को चुनाव में करारी हार के बाद घर बैठने को विवश कर दिया गया है। डाक्टर शैतान सिंह विगत कई वर्षों से अध्यक्ष पद पर काबिज थे और सिर्फ इस पद पर होने की वजह से भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे थे।
यही नहीं पुष्कर के सेवानंद गिरी जी व अशोक रावत के साथ मिलकर उन्होंने वर्तमान कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत के लिए रास्ते में कांटे बिखरने भी शुरू कर दिए थे।
मुझे याद है कि पुष्कर के लगभग पूरे विधानसभा क्षेत्र में जगह-जगह बदलाव के नारों वाले पोस्ट बैनर्स लगा दिए गए थे। डाक्टर शैतान सिंह, सेवानंद गिरि जी और अशोक रावत तीनों ही भाजपा में टिकट के दावेदार थे। उन्होंने आपस में संधि कर रखी थी कि उनमें से किसी एक को भी टिकट मिला तो सब साथ रहकर चुनाव लड़ेंगे। इन तीनों दिग्गज नेताओं के साथ उद्योगपति मोहन चौधरी ने भी सुरेश रावत के विरुद्ध मोर्चा खोल लिया था।
उन्होंने तो बाकायदा पत्रकारों को भोज पर बुलाकर करोड़ों रुपए रिश्वत लेने का आरोप सुरेश रावत पर लगा दिया था। एक बार को तो ऐसा लगने लगा था कि डॉ शैतान सिंह के अध्यक्ष होने का लाभ उन्हें मिल जाएगा मगर सुरेश रावत इन सबसे चार कदम आगे निकल गए। उन्होंने पुष्कर में बदलाव की आंधी को हवा के एक झोंके में बदलते हुए सभी धुरंधरों को परास्त कर दिया।
मैंने तब भी अपने ब्लॉग में सुरेश रावत की टिकट फाइनल होने की अग्रिम सूचना दे दी थी और उनकी जीत का दावा भी कर दिया था।
डाक्टर शैतान सिंह का सपना धरा रह गया। उन्होंने तो राजकीय चिकित्सा विभाग से वी आर एस लेकर नौकरी भी छोड़ दी थी। तब भी उन्होंने मेरे साथ हुए साक्षात्कार में दावा किया था कि न केवल टिकट उनको मिलेगी बल्कि वह चुनाव भी जीतेंगे। शायद उनके मन में तब चुनाव जीतने के बाद स्वास्थ्य मंत्री होने का सपना भी पल चुका होगा।
सुरेश रावत को जब टिकट मिला तब उनकी जीत में रोड़े अटकाने के लिए इन सभी नेताओं ने एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया था। अशोक रावत ने तो भाजपा का चोला बदलकर आर एल पी से टिकट लेकर चुनाव भी लड़ लिया।
विरोधियों के सारे पैंतरों का जवाब देते हुए सुरेश रावत चुनाव जीत गए। अशोक रावत के भाजपा में फिर से आने का रास्ता भी उन्होंने बंद कर दिया। उन पर करोड़ों के कथित घपले का आरोप लगाने वाले मोहन चौधरी भी गुमनामी में खो गए। सिर्फ डॉक्टर शैतान सिंह बचे थे जिन्हें भी अब सुरेश रावत ने बड़ी सियासती समझदारी दिखाते हुए रावत समाज के अध्यक्ष पद से विदा करवा दिया है।
लाडपुरा के देवी सिंह रावत चुनाव जीत कर अध्यक्ष बनाए गए हैं। महामंत्री कुंदन सिंह रावत जो मुहामी के रहने वाले हैं महामंत्री बनाए गए हैं। दोनों ही सुरेश रावत के बेहद नजदीकी हैं। बल्कि कुंदन सिंह तो उनके सगे भाई ही हैं।
रावत महासभा के चुनाव में तख्ता पलट के बाद सुरेश रावत और मजबूत स्थिति में आ गए हैं। निकाय और पंचायत के चुनाव में उनकी यह जीत अश्वमेध यज्ञ साबित होगी । मेरी सुरेश रावत से कल बात हुई। वह मुख्यमंत्री भजनलाल के साथ झालावाड़ दौरे पर हैं । शीघ्र ही अजमेर आने पर उनसे हमारे चैनल “बात आज की” पर साक्षात्कार का कार्यक्रम तय हुआ है। मंत्री बनने के बाद उनसे दो टूक बात हो सकेंगी।