अलवर में एसीबी की ट्रेप कार्यवाही निरस्त होने का मामला भाजपा सरकार की छवि से भी जुड़ा हुआ है

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राजस्थान एसीबी के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब खुद के ट्रेप को ही फर्जी बताया गया
भगवान की आड़ लेकर लापरवाह अधिकारी बच नहीं सकते

29 अगस्त को राजस्थान के अलवर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एसीबी ने होमगार्ड के सिपाही सहजुद्दीन को तीस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। एसीबी के डीएसपी महेंद्र मीणा ने टीवी कैमरों के सामने कहा कि यह रिश्वत होमगार्ड में भर्ती के लिए ली जा रही थी। सब जानते है कि एसीबी जब भी किसी को ट्रेप करती है तो उससे पहले कई स्तर पर जांच पड़ताल होती है। लेकिन 30 अगस्त को ही एसीबी ने अपनी ट्रेप कार्यवाही को निरस्त कर दिया।

डीएसपी महेंद्र मीणा का कहना रहा कि शिकायतकर्ता महबूब अली, मकसूर अली और कपिल ने झूठे और फर्जी तथ्य रखकर एसीबी को गुमराह किया। 30 हजार रुपए की जो राशि होमगार्ड के जवान सहजुद्दीन से बरामद की गई, वह जमीन की खरीद से संबंधित थी। 29 अगस्त वाली ट्रैप की कार्यवाही को एसीबी के डीजी रवि मेहरड़ा के निदेर्शों के बाद निरस्त किया गया। इतना ही नहीं अब एसीबी ने शिकायतकार्ओं के खिलाफ पुलिस में भी एफआईआर दर्ज करवाई है और शिकायतकर्ता महबूब अली व कपिल को गिरफ्तार भी कर लिया है। राजस्थान के एसीबी के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब एसीबी ने खुद के ट्रेप को ही झूठा बताया है। जब कभी एसीबी के ट्रेप फेल हो जाते हैं तो एसीबी अपनी जांच पड़ताल पर कायम रहती है।

एसीबी ने यह कभी नहीं कहा कि उसका ट्रेप झूठा है। भले ही अदालतों से रंगे हाथों पकड़े जाना वाला अधिकारी बरी हो गया हो, लेकिन एसीबी अपनी जांच पड़ताल पर अंत तक कायम रहती है। एसीबी की इस जांच पड़ताल के आधार पर ही सैकड़ों लोग जेलों में सड़ रहे हैं। कईयों को बड़ी मुश्किल से जमानत मिल पाती है। एसीबी की कार्यवाही राज्य सरकार की छवि से भी जुड़ी होती है। मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बार बार कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। ऐसे में अलवर में एसीबी की ट्रैप की कार्यवाही निरस्त होना सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर डालता है। इस संबंध में डीएसपी महेंद्र मीणा का कहना है कि हम भगवान नहीं, इंसान है, इंसान से गलती हो ही जाती है। इस बयान से प्रतीत होता है कि मीणा भगवान की आड़ लेकर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं।

मीणा को इस बात का ख्याल नहीं कि ट्रैप की कार्यवाही निरस्त होने से सरकार की कितनी बदनामी हो रही है। सवाल उठता है कि ट्रेप से पहले तथ्यों की जांच सही प्रकार से क्यों नहीं की गई? शिकायतकतार्ओं ने जो बताया उसी पर भरोसा क्यों किया गया? क्या शिकायतकर्ता के कथन पर ही एसीबी ट्रैप की कार्यवाही कर देती है? खुद के ट्रेप को ही झूठा बताकर एसीबी स्वयं ही बदनाम हो रही है। डीजी रवि मेहरड़ा को अलवर के इस मामले की जांच पड़ताल करवाकर लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। मेहरड़ा को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि गृह विभाग मुख्यमंत्री भंवरलाल शर्मा के पास है।

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