“चोरी और सीना जोरी” यह कहावत अगर आपको चरितार्थ होती हुई देखनी है तो आपको किशनगढ़ जाना होगा। यहाँ पहुंच कर आपको सीधा जाना होगा यज्ञनारायण अस्पताल। यहाँ अस्पताल प्रबंधन में चोरी भी हो रही है सीना जोरी भी। यहाँ सारी व्यवस्थाएं पूरी तरह से चौपट हो चुकी हैं। मरीजों को यहाँ राहत मिलना तो दूर यमदूती व्यवहार का सामना करना पड़ता है। कुछ डॉक्टर्स भले ही शालीन व्यवहार रखते हों मगर ज्यादातर डॉक्टर्स मरीज के साथ खाने को दौड़ने वाला व्यवहार करते हैं।
चिकित्सक तो हैं जैसे हैं, कर्मचारी उनसे चार कदम आगे हैं। सीना जोरी यहां इस स्तर पर पहुंच चुकी है कि यदि कोई पत्रकार अस्पताल की दुर्दशा पर खबर छाप दे तो उसके खिलाफ फतवा जारी कर दिया जाता है। उसे न जाने किन किन आरोपों से जोड़ कर उसके अस्पताल में आने जाने पर रोक के आदेश प्रसारित कर दिए जाते हैं।
अभी हाल ही में एक पत्रकार ने इस अस्पताल के एक फर्जीवाड़े को उजागर कर दिया। यहाँ कर्मचारियों की फर्जी हाजरी लगा कर सरकार के चूना लगाया जा रहा था। पत्रकार ने पहले हाजरी रजिस्टर की मूल कॉपी हासिल की और फिर सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए रजिस्टर की प्रति मांग ली। मजबूरी में कॉपी देनी पड़ी मगर उसमें काट छाँट कर मामले को संशोधित कर दिया गया। मूल और भेजी गई प्रति से मामले का खुलासा हो गया। मूल रजिस्टर में तीस दिन की हाजरी लगी हुई थी जबकि दी गयी सूचना में कर्मचारियों को काट छांट कर अनुपस्थित बता दिया गया था।
पत्रकार ने जब मामले को उच्चाधिकारियों को बताया तो उन्होंने कैमरे पर स्वीकार किया कि फर्जीवाड़ा हुआ है और उसकी जांच करवाई जाएगी। दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होगी।
जब शिकायत अजमेर संयुक्त निदेशक डॉक्टर संपत जोधा के पास पहुंची तो उन्होंने मामले को बेहद गम्भीर मानते हुए सी एम एच ओ सहित दो सदस्यों की कमेटी बना दी। कमेटी ने जांच की तो कई चिकित्सा कर्मियों की गर्दन नप गई। जाहिर है कि कमेटी पर भी कोई न कोई दवाब पड़ा ही होगा वरना डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट नहीं दी गई। कहा जा रहा है कि आरोपियों ने कमेटी को अपने खास प्रबन्धन के तहत दबा लिया है।
स्थानीय पत्रकारों ने जब यज्ञनारायण अस्पताल और अराईं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को लेकर अव्यवस्थाओं की खबरें छापनी शुरू कीं तो उल्टा कुछ डॉक्टर्स लामबंद हो गए। स्थिति यहाँ तक पहुंच गई कि अस्पताल की दीवारों पर पत्रकारों को लेकर इस्तेहार चस्पा कर दिए गए। जैसे पत्रकार मोस्ट वान्टेड अपराधी हों या ‘इनसे बचें’ वाले अपराधी। इश्तेहार में पत्रकारों पर अस्पताल परिसर में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। कवरेज करते पाए जाने पर पुलिस में मुकदमा दायर करने की चेतावनी दे दी गई।
अस्पताल के पी एम एच ओ तो इतना बौखला गए कि उन्होंने वाकई थाने में एक पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया। यह उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे वाली कहावत नहीं तो और क्या है।
यहाँ एक और दुखद हादसा हुआ। यज्ञनारायण जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में आॅपरेशन से जन्म लेने वाले नवजात की मौत के बाद हंगामा खड़ा हो गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि महिला चिकित्सक डॉक्टर अंजना गुप्ता को 7 अगस्त को घर दिखाने पर नार्मल डिलेवरी करवाने की एवज मे चार हजार रुपए दिए गए। देर रात को रूपनगढ़ निवासी खुशबु राव के प्रसव पीड़ा होने पर देर रात परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। मंगलवार दोपहर को महिला के आपरेशन के दौरान डिलेवरी हुई लेकिन नवजात ने दम तौड़ दिया। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल मे जमकर हंगामा मचाया। अस्पताल मे हंगामे की सूचना मिलते ही मदनगंज थाना प्रभारी शम्भू सिंह अस्पताल पहुचे और परिजनों से समझाइश की। परिजनों का कहना हैं कि अस्पताल की लापरवाही ने नवजात की जान ले ली। चिकित्सक अगर समय रहते ध्यान दे देते तो नवजात जिंदा रहता, वही परिजनों ने लापरवाही बरतने वाली चिकित्सक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यह अकेला ऐसा मामला नहीं। आए दिन ऐसे हंगामे होते रहते हैं।
अब पत्रकार स्वास्थ्य मंत्री से मिलने जयपुर जा रहे हैं। उनका कहना है कि यज्ञनारायण अस्पताल को जिला अस्पताल तो बना दिया गया है मगर यहाँ दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा। जाँचों में कमीशनखोरी के चलते जो जाँचें अस्पताल में हो सकती हैं वह भी बाहर करवाई जा रही हैं। और तो और उपलब्ध दवाईयों का भी खेल खेला जा रहा है।
पत्रकारों ने इस मामले में केन्द्रीय राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी से भी अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर नकेल कसने की मांग की है। फिलहाल पत्रकारों और अस्पताल प्रबंधन के बीच आई दरार के बीच सीमेंट लगता दिखाई नहीं दे रहा।
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |