अजमेर-जयपुर हाईवे की बाधाएं एक माह में दूर हो जाएगी। दस में से 6 ओवर ब्रिज का काम पूरा हो चुका है

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पड़ासोली पर जाम लगने के कई कारण है। एनएचआई के परियोजना निदेशक अजय आर्य ने बताई हकीकत।
टोल वसूली पर रोक लगे-पत्रकार सिद्धार्थ जैन

28 अगस्त को ब्लॉग संख्या 10987 में मैंने अजमेर-जयपुर के नेशनल हाईवे पर लगने वाले जाम और लोगों को होने वाली परेशानियों को विस्तार से लिखा। ब्लॉग में उठाए गए सवालों के संदर्भ में नेशनल हाईवे के परियोजना निदेशक अजय आर्य ने बताया कि जयपुर अजमेर के मार्ग पर 10 ओवर ब्रिज बनाने का निर्णय हुआ था ताकि आबादी वाले क्षेत्रों में यातायात सुगम हो सके। चलते हुए हाईवे पर ओवरब्रिज बनाने से अकसर लोगों को परेशानी होती है, लेकिन फिर भी 10 में से 6 ओवर ब्रिज निर्धारित समय में पूरे हो गए।

आर्य ने माना कि जयपुर के निकट भांकरोटा, मोखमपुरा और कमला नेहरू क्षेत्र वाले ओवरब्रिज में अभी भी बाधाएं आ रही है। चूंकि यह तीनों ओवरब्रिज शहरी आबादी में है, इसलिए ज्यादा परेशानी होती है। जहां तक दूदू के निकट पड़ासोली ओवरब्रिज पर लंबा जाम लगने का सवाल है तो सर्विस लेन के लिए सीमित जगह होने के कारण वाहनों की गति धीमी हो जाती है। बरसात के पहले पड़ासोली की सर्विस लेन पर संबंधित ठेकेदार ने एक करोड़ रुपए से ज्यादा राशि खर्च कर मरम्मत कार्य करवाया, लेकिन बरसात में फिर से सर्विस लेन में गढ्ढे हो गए।

आर्य ने बताया कि इन गड्ढों के कारण ट्रक धीमी गति से चलते है। जबकि कार तेजी से आ जाती है। हालांकि गड्ढे में सीमेंट और कंक्रीट भरवाई गई, लेकिन फिर भी बरसात का पानी जमा हो जाता है। यदि ट्रकों की रफ्तार बढ़ जाए तो पड़ासोली पर भी जाम की स्थिति नहीं होगी। आर्य ने बताया कि कई बार धार्मिक यात्राएं निकलने के कारण जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

उन्होंने कहा कि ओवर ब्रिज के निर्माण की वजह से सर्विस लेन पर यातायात नहीं रोका जाता। यानी सर्विस लेन पर यातायात हमेशा चलता रहता है। पड़ासोली के ओवरब्रिज का काम बरसात की वजह से धीमा है। चूंकि अब मिट्टी भरनी है, इसलिए विलंब हो रहा है। बरसात में मिट्टी गीली हो जाती है। लेकिन फिर भी उम्मीद है कि अगले एक माह में पड़ासोली ओवरब्रिज का काम पूरा हो जाएगा। आर्य ने भारकोटा, मोखमपुरा और कमला नेहरू ओवरब्रिज के आसपास के दुकानदारों से भी आग्रह किया है कि वह सर्विस लेन के यातायात को सुगम बनाने में मदद करे।

कई दुकानदारों के अतिक्रमण की वजह से यातायात बाधित होता है। आर्य ने बताया कि जाम की स्थिति होने पर संबंधित क्षेत्र के पुलिस स्टेशन की भी मदद ली जाती है। एनएचआई का प्रयास है कि ओवर ब्रिज के निर्माण के समय लोगों को परेशानी कम से कम हो।

टोल वसूली पर रोक:

28 अगस्त को ब्लॉग संख्या 10987 पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ जैन ने लिखा है कि जब तब जाम की स्थिति है, तब तक जयपुर अजमेर हाइवे पर टोल वसूली पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि टोल वसूली का उद्देश्य लोगों को सुगम यातायात उपलब्ध करवाना है। लेकिन अब दो घंटे के बजाए पांच घंटे लग रहे हैं तब नेशनल हाइवे को टोल वसूली नहीं करनी चाहिए। जैन ने इस बात पर अफसोस जताया कि नेशनल हाइवे की रुचि सिर्फ टोल वसूली में है। जो हालात जयपुर अजमेर हाइवे के हैं वैसे ही ब्यावर आसींद भीलवाड़ा हाइवे पर भी हैं। इस मार्ग पर बड़े बड़े गढ्ढे हैं लेकिन फिर भी टोल की वसूली जी रही है।

लोकसभा में सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि निजी कार धारकों को अपने मूल निवास से साठ किलोमीटर के दयरे में टोल नहीं देना है। लेकिन सरकार का यह दावा झूठा साबित हो रहा है, क्योंकि घर से निकलने से बीस किलोमीटर बाद ही लोगों को टोल देना पड़ता है। सिद्धार्थ जैन का आरोप है कि अधिकारियों और नेता का टोल माफिया बन गया है जो देश की जनता को लूट रहा है।

पहले नीति बनाई गई थी कि टोल की वसूली तभी तक होगी, जब तक संबंधित मार्ग पर खर्च की गई राशि वसूल न हो जाए। लेकिन अब तो निर्माण खर्च से कई गुना ज्यादा राशि वसूलने के बाद भी टोल की वसूली हो रही है। टोल वसूली के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9413948333 पर सिद्धार्थ जैन से ली जा सकती है। यहां उल्लेखनीय है कि सिद्धार्थ जैन कई वर्षों तक ब्यावर में राजस्थान पत्रिका के संवाददाता रह चुके हैं।

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