झूठ कौन बोल रहा है विधायक भदेल या मेयर हाडा

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जन्माष्टमी पर न्यौता नहीं देने के बहाने राजनीतिक अदावत खुलकर सामने आई,देवनानी के अपमान से जोड़ दिखाई चतुराई
पांच बार से अजमेर दक्षिण की विधायक और मंत्री रही अनिता भदेल क्या झूठ बोलती है? क्या नगर निगम अपने कार्यक्रमों में उन्हें बुलाता है, लेकिन वह जानबूझकर नहीं जाती। ये सवाल इसलिए,क्योंकि निगम की मेयर बृजलता हाडा ने भदेल को झूठी करार दिया है। जन्माष्टमी पर भदेल को चौपाटी पर आयोजित निगम के जन्माष्टमी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करने पर उनके समर्थक पार्षदों और संगठन के पदाधिकारियों द्वारा कार्यक्रम स्थल पर किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद मेयर ने साफ कहा कि विधायक झूठ बोल रही है। उन्हें फोन किया गया था,लेकिन भदेल ने फोन नहीं उठाया। अब सवाल ये भी है कि क्या इतनी वरिष्ठ नेता को बुलाने के लिए किसी बाबू या आयुक्त का फोन करना ही काफी है? क्या नगर निगम प्रशासन भदेल को औपचारिक रूप से कोई निमंत्रण पत्र नहीं भेज सकता था और क्या कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अजमेर के दूसरे विधायक वासुदेव देवनानी को भी निगम आयुक्त ने ऐसे ही फोन करके बुलाया था? फिर मेयर खुद ये झूठ भी तो बोल रही है कि यह कार्यक्रम आनन-फानन में तय किया गया,इसलिए समय कम था। जबकि पूरा शहर जानता है कि जन्माष्टमी का कार्यक्रम निगम वर्षों से आयोजित कर रहा है और कई दिनों तक इसकी तैयारी होती है।
अजमेर शहर भारतीय जनता पार्टी में अब आरोप और विवाद खुलकर सामने आ रहे हैं। पहले अजमेर उत्तर के विधायक देवनानी एवं कभी उनके ही शागिर्द रहे पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत के बीच पहले विवाद और फिर अलगांव के बाद गहलोत पानी की समस्या को लेकर देवनानी पर तंज कस रहे हैं,तो अब अजमेर दक्षिण में विधायक भदेल और मेयर हाडा के बीच सुलग रही राजनीतिक दुश्मनी की आग एकाएक भड़क उठी है। लेकिन रोचक बात ये है कि दोनों विधायक अभी खुद मैदान में आने की बजाय अपने मोहरों से ही लड़ाई लड़ रहे हैं। भदेल और हाडा परिवार में राजनीतिक दुश्मनी कोई आज की नहीं,बल्कि सालों पुरानी है। दोनों ही कोली समाज से आते हैं। इसलिए 2023 के विधानसभा चुनाव में खुद बृजलता हाडा और उससे पहले 2018 के चुनावों में उनके पति डॉ प्रियशील हाडा ने दक्षिण से टिकट की दावेदारी की थी। लेकिन दोनों बार बाजी भदेल के हाथ में रही। राजनीतिक दुश्मनी की शुरुआत डॉ. हाडा के 2011 में अजमेर के मेयर चुनाव में हार के कारण हुई थी। तब चुनाव ओपन वोटिंग यानी आम मतदान के जरिए हुआ था। यानि मतदाताओं ने सीधे मेयर चुना था। तब आरोप लगा था कि भदेल ने डा.हाड़ा को हरवाने में पूरी ताकत लगा दी थी,क्योंकि उन्हें डर था कि अगर हाडा चुनाव जीते, तो अजमेर दक्षिण में उनके कद का एक और नेता तैयार हो जाएगा और भविष्य में विधानसभा चुनाव के टिकट का दावेदार होगा। तब हाडा तो मेयर का चुनाव हार गए, लेकिन निगम में बोर्ड भाजपा का ही बना था। उसके बाद 2020 में हाड़ा शहर भाजपा के अध्यक्ष बने, तो उन्होंने भदेल की जडे़ खोदने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
नगर निगम के पिछले चुनावों में जब अनुसूचित जाति की मेयर बनने का अवसर आया,तो बताया जाता है भदेल ने बृजलता हाडा की उम्मीदवारी की खिलाफत की और अपनी उम्मीदवार के रूप में कुसुमलता सोगरा को आगे किया। लेकिन भदेल नाकाम रही और बृजलता मेयर बन गई। जाहिर है मेयर बनने के बाद हाडा परिवार भी राजनीतिक ताकत बन गया। परिवार इसलिए, क्योंकि पत्नी के साथ पति हाडा हमेशा नजर आते हैं। ऐसे में जन्माष्टमी पर निमंत्रण नहीं देना भदेल के समर्थकों ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया। जाहिर है पार्षद देवेंद्र सिंह शेखावत और मंडल अध्यक्ष मोहन लालवानी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन करने से पहले उन्होंने भदेल से मंजूरी जरूर ली होगी। लेकिन चतुराई बृजलता हाडा ने भी दिखाई। उन्होंने भदेल सर्मथक पार्षदों के प्रदर्शन को विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से जोड़ दिया। ताकि खुद सुरक्षित रहें और देवनानी- भदेल की सनातन राजनीतिक दुश्मनी को थोड़ी और हवा मिल जाए। हाड़ा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी का अपमान कराने के लिए विरोध प्रदर्शन था। वरना,वह कार्यक्रम से पहले कभी भी आकर विरोध दर्ज करा सकते थे। अब कलक्टर को नगर निगम प्रशासन ल आयुक्त की शिकायत करना देवनानी का अपमान कैसे हो गया,यह तो मेयर ही बता सकती है।
यू़ं दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है और देवनानी कई सालों से भदेल के राजनीतिक दुश्मन हाडा परिवार को अपरोक्ष रूप से मदद करते रहे हैं। चाहे विधानसभा में टिकट दिलाने के लिए प्रयास करने का मामला हो या मेयर का टिकट दिलाने का। इसके अलावा हाडा ने शेखावत और लालवानी को ही यह कहकर कटघरे  में खड़ा कर दिया कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन निगम में आकर उनसे माफी मांग ली। जाहिर है शेखावत और लालवानी दोनों को इसका खंडन करना ही था। लगता है आरोप और विरोध के बीच अब भाजपा नेताओं के कई राज भी लोगों के बीच आ सकते हैं,क्योंकि एक तरफ दोस्त रहे नेता अब दुश्मन हो गए हैं,तो दूसरी तरफ दोनों नेता अपनी दुश्मनी को और धार देने में लगेंगे। यूं भाजपा का उत्तर और दक्षिण का संगठन भी पूरी तरह विभाजित है। उत्तर के सभी मंडल अध्यक्ष जहां देवनानी के समर्थक हैं, तो दक्षिण के सभी मंडल अध्यक्ष भदेल के। लेकिन शहर अध्यक्ष देवनानी समर्थक रमेश सोनी ही है़। यह स्थिति पार्षदों की भी है। लेकिन नगर निगम से कथित रूप से लिफाफा ( जिसका भंडाफोड़ भाजपा के पूर्व पार्षद चंद्रेश सांखला ने नगर निगम की सभा में ही किया था) के रूप में मिलने वाले आर्थिक सहयोग और वार्ड में काम कराने के कारण पार्षदों की विश्वसनीयता और समर्पण संदिग्द ही रहता है।*
*पार्षदों का इतना सम्मान भी नहीं*
*जन्माष्टमी के दिन जब नगर निगम के पार्षद चौपाटी पर जिला कलक्टर डॉक्टर भारती दीक्षित को भदेल को न्यौता नहीं देने के लिए नगर निगम आयुक्त की शिकायत करने पहुंचे,तो जिला कलक्टर पर मंच पर कुर्सी पर बारिश के कारण छतरियों के नीचे बैठी थी। जबकि पार्षद सामने मंच के नीचे खड़े होकर उनसे बात कर रहे थे। एक ओर सरकार कहती है कि आधिकारी, जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें, तो दूसरी ओर ये दृश्य था। क्या पार्षद सम्मान के लायक नहीं हैं। वो भी हजारों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। क्या जिला कलक्टर उनसे 2 मिनट खड़े होकर बात नहीं कर सकते थी या उन्हें मंच पर नहीं बुला सकती थी। वो भी तब जब पार्षद भाजपा के थे और सरकार भी भाजपा की है।

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