भारत में भी कट्टरपंथी सोच मजबूत होती है तो मुसलमान भी सुरक्षित ना रह पाएंगे
वे मुसलमान आ गया है जो अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ते हैं
26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सनातन को राष्ट्रीय धर्म बताते हुए कहा कि यदि बाटेंगे तो काटेंगे। योगी ने अपने इस कथन में हिंदू मुसलमान की बात नहीं की लेकिन सपा के अखिलेश यादव से लेकर एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी तक आरोप लगा रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ मुसलमान को निशाना बना रहे हैं। जो लोग योगी के बयान पर एतराज कर रहे हैं उन्हें 26 अगस्त को ही पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुई 100 लोगों के मौत के घाट उतारने की वारदात को समझना चाहिए।
क्या पाकिस्तान में 26 अगस्त को किसी हिंदू अथवा ईसाई की हत्या हुई? मरने वाले सभी 100 लोग मुसलमान थे इनमें 15 तो पाकिस्तान की सेना के जवान थे। प्रत्यक्षदर्शियो के अनुसार आतंकी प्रवृत्ति के लोगों ने बीच सड़क में बसों को रोका और फिर एक-एक की पहचान कर गोली मार दी। गोली मारने और गोली खाने वाले दोनों ही मुसलमान थे। असल में मुस्लिम आबादी में जो कट्टरपंथी सोच विकसित होती है उसी का परिणाम होता है कि निर्दोष लोग मारे जाते हैं। मौत हिंदू की हो या मुसलमान की हमेशा इंसान ही मरता है। योगी आदित्यनाथ ने कृष्ण जन्माष्टमी पर जो बयान दिया उसे हिंदू मुस्लिम एकता के नजरिए से भी समझना चाहिए।
यदि हिंदू और मुसलमान एकजुट होकर रहते हैं तो फिर भारत को कोई ताकत काट नहीं सकती। देश के जो राजनेता वोट की खातिर सिर्फ मुसलमान को एकजुट करने की बात करते हैं उन्हें बलूचिस्तान की ताजा घटना से सबक लेना चाहिए। जब कट्टरपंथी सोच विकसित होगी तो फिर भारत में रहने वाला मुसलमान भी सुरक्षित नहीं रहेगा। जहां तक हिंदू समुदाय का सवाल है तो वह उसे सनातन संस्कृति में भरोसा रखता है जिसमें सभी धर्म का सम्मान होता है इसलिए योगी आदित्यनाथ ने सनातन को राष्ट्रीय धर्म मानने की बात कही।
यह सनातन धर्म की उदारता ही है कि लाखों हिंदू मुस्लिम सूफी संतों की दरगाहों में जाकर जियारत करते हैं। इसलिए हिंदुओं के एकजुट होने पर भी किसी दूसरे धर्म के लोगों को कोई खतरा नहीं है। जबकि कट्टरपंथी सोच मजबूत होने पर कैसे हालात उत्पन्न होते हैं इससे पाकिस्तान के साथ-साथ बांग्लादेश और अफगानिस्तान में देखा जा सकता है। बांग्लादेश की ताजा घटनाओं में हिंदू तो असुरक्षित देखा ही गया लेकिन 500 से भी ज्यादा मुस्लिम नागरिकों की हत्या हुई।
योगी आदित्यनाथ के बयान को भारत में हिंदू मुस्लिम एकता के नजरिए से देखना चाहिए। लेकिन इसके लिए भारत के मुसलमान को अखिलेश यादव राहुल गांधी ममता बनर्जी असदुद्दीन ओवैसी लालू प्रसाद यादव और वामपंथी नेताओं के चंगुल से बाहर निकलना पड़ेगा। असदुद्दीन ओवैसी जैसे राजनेता कुछ भी कहे लेकिन हिंदू आबादी के बीच मुस्लिम परिवार बेहद सुरक्षित रहता है। हिंदुओं के आवासीय क्षेत्र में किसी भी मुस्लिम परिवार को रहने में कोई परेशानी नहीं होती। जब मुस्लिम परिवार हिंदुओं के बीच सुरक्षित रहते हैं तो फिर भारत में मुसलमान असुरक्षित होने की बात बेमानी है
आगे आए
भारत के जो मुस्लिम अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ते हैं उन्हें अब आगे आना चाहिए। भारत में 25 करोड़ मुस्लिम आबादी में लाखों अभिभावक ऐसे हैं जो मानते हैं कि दुनिया में मुसलमान के लिए सबसे सुरक्षित देश भारत ही है। मुस्लिम कट्टरपंथी सोच भले ही कुछ भी हो लेकिन ऐसे मुसलमान अपने बच्चों को खासकर लड़कियों को अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ते हैं। ऐसे मुस्लिम परिवारों के बच्चे कान्वेंट संस्कृति को अपने में कोई परहेज नहीं करते।
जो मुस्लिम अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ते हैं वह अच्छी तरह समझ ले कि यदि अफगानिस्तान पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी कट्टरपंथी सोच मजबूत होगी तो फिर हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम परिवारों के बच्चे भी अंग्रेजी स्कूलों में नहीं पढ़ सकेंगे। अब समय आ गया है जब भारत में रहने वाले मुसलमान को तय करना है कि उन्हें सनातन संस्कृति को मानने वाले हिंदुओं के साथ रहना है या फिर भारत में पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे हालात उत्पन्न करने हैं।