जल संकट को पूर्व मेयर गहलोत ने फिर साधा विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पर निशाना,भदेल की तारीफ में कशीदे
चिंता करो, स्वागत कराओ, अफसरों को लताड़ो
आजकल चलन बन गया है कि चिंता पूरी करो। उसकी फिक्र जोर-शोर से करो। खुद का स्वागत करवाओ। सफलता ना मिले,तो अधिकारियों को लताड़ पिलाओ और प्रयास करो कि समाचार पत्र में आपकी चिंता छप जाए। कोई सच्चाई का आईना दिखाएं, तो उसे पार्टी विरोधी घोषित करने में लग जाओ। मैं श्रीमती अनिता भदेल को साधुवाद देता हूं, जिन्होंने पानी की समस्या को स्तही तौर पर देखा और उसके समाधान के लिए विभिन्न मदों से बजट स्वीकृत कराया। घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए प्रत्येक स्तर पर व्यक्तिगत मॉनिटरिंग करते हुए धरातल पर उतारा।
यह उस पत्र का एक पैराग्राफ है, जो नगर निगम के पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को अजमेर उत्तर की पेयजल समस्या से अवगत कराते हुए लिखा है। छह पेज के पत्र में गहलोत ने उत्तर के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर उनका नाम लिखे बिना जमकर निशाना साधा है। फायसागर से जल वितरण शुरू करने की बात पर यह कहकर टिप्पणी की है कि, घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने। कभी देवनानी के सबसे विश्वस्त सिपहसालार रहे गहलोत ने अब उन्हीं के खिलाफ अपने हथियार निकाल लिए हैं।
पहले शहर अध्यक्ष बनने और फिर विधानसभा चुनाव के दौरान विवाद और आखिर में देवनानी से अलगाव के बाद गहलोत अब पानी की समस्या को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। जबकि उन भदेल की तारीफ में कशीदे पढ़ रहे हैं,जिनसे उनके संबंध सामान्य तक नहीं रहे। कुछ दिन पहले भी गहलोत ने देवनानी पर कटाक्ष करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था,कि 48 घंटे का वादा करने वालों का 72 घंटे में पानी देना और आज तो 120 घंटे में पानी पाकर मन प्रफुल्लित हो गया। इतनी खुशी देने वाले जिम्मेदार/निर्देशित महान हस्ती को बधाई।
23 अगस्त को जलदाय मंत्री को लिखे पत्र में गहलोत ने अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में पानी की सप्लाई को लेकर हो रही अनियमितता व असमानता का विस्तार से वर्णन किया है। इसी पत्र से यह बात भी सामने आई कि पिछले दिनों जलदाय मंत्री के जिस बयान को लेकर मीडिया में आलोचना हुई थी, वह बयान दरअसल उन्होंने पूरे अजमेर शहर के लिए नहीं,बल्कि अजमेर दक्षिण के लिए दिया था। यानी चौधरी बेकार में ही आलोचना के लपेटे में आ गए।
आपको याद होगा कि बजट सत्र में भदेल के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने अजमेर में 48 घंटे में पानी आने की बात कही थी। तब आसन पर बैठे विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि अजमेर में 4-5 दिन में पानी आ रहा है। इसे सुधारिए। गहलोत ने लिखा कि मैनें आपके ( मंत्री के ) बयान के बाद भदेल से बात की तो पता चला आप अपनी जगह सही हैं। क्योंकि भदेल के सवाल पर अजमेर दक्षिण के लिए आपका जवाब सटीक था। भदेल के प्रयासों से उनके विधानसभा क्षेत्र में 48 घंटे में पानी प्रेशर के साथ उपलब्ध हो रहा है। इसके बाद गहलोत ने भदेल की ओर से जलापूर्ति के लिए कराए कामों का गुणगान किया है।
गहलोत ने मंत्री को लिखा है कि हमारे उत्तर क्षेत्र में भारी जलसंकट है। लगभग तीन साल से जलापूर्ति 72 घंटे में होती थी, जो अब बढ़कर 120 तक पहुंच जाती है। प्रेशर भी बहुत कम होता है। सतही मंजिल ( ग्राउंड फ्लोर) पर भी ठीक से नहीं आता। फायसागर से पानी उपलब्ध कराने के देवनानी के प्रयासों पर सवाल उठाते हुए गहलोत ने लिखा, फायसागर का नया झुनझुना हमें पकड़ाया जा रहा है। सरफेस वाटर उस वाटर बाडी से लिया जाता है,जो बीते दस साल में नौ बार फुल टैंक लेवल तक भरी हो। फायसागर तो दस साल में भरा ही दो तीन बार है। इसे ईआरसीपी से ने की बात की जा रही हे,ये तो वही बात हुई की घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने। यहां से पानी देने में क्या जन स्वास्थ्य पैरामीटर की पालना की जा रही है। आखिर में गहलोत ने देवनानी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करते हुए जलदाय मंत्री से उनके नेतृत्व कौशल के माध्यम से समस्या समाधान की कृपा चाही है।
इसमें कोई शक नहीं की गहलोत ने अजमेर उत्तर की वाजिब समस्या को उठाया है। लेकिन सवाल उनसे भी है कि वो खुद 20 साल तक अजमेर के उपसभापति से लेकर मेयर बनने तक रह लिए। विधायक अजमेर में भले ही दो हो,लेकिन मेयर एक ही होता है। उन्होंने खुद सत्ता और विपक्ष दोनों की राजस्थान में सरकार रहते कब और कितनी बार पेयजल संकट को लेकर आवाज उठाई? शायद तब देवनानी के बगलगीर रहकर वो भी सब कुछ उन्हीं की नजर से देखते होंगे। इसलिए जलसंकट और लोगों की परेशानी नहीं दिखती होगी। लेकिन अब जब दोनों की नजरें फिर गई,तो गहलोत को उत्तर की पेयजल समस्या याद आ गई। शायद राजनीति का यही चरित्र है। दोस्त से दुश्मन बनते ही सब कुछ बदल जाता है।
देवनानी-गहलोत के विवाद के बीच अब चर्चा ये भी होने लगी है कि निगम में गहलोत के कार्यकाल में हुए कामों,पास किए गए नक्शों पर नजरें है। निशाने पर कुछ जमीनें और सौदे भी है। आखिर दोनों बीस साल करीब रहे हैं। आस्तीन में कुछ पत्ते तो दोनों ने छिपा ही रखे होंगे। अभी तो शुरूआत है। पद की मयार्दा के चलते देवनानी भले ही सीधे जवाब नहीं दे रहे हो। लेकिन उनके सर्मथक कह रहे हैं कि वेट एंड वाच। बहरहाल,अलगाव कि राजनीति के बीच देवनानी के साथ नगर निगम के पूर्व सभापति और कभी अनिता भदेल के खास रहे शेखावत का गठबंधन भी शहर में चर्चा में है। कुछ लोग इसे शेखावत के एडीए के अध्यक्ष बनने के सपने,कुछ लोग कारोबारी हित, तो कुछ लोग भदेल के मंत्री नहीं बनने के कारण प्रशासन और पार्टी में घटे रूतबे से जोड़कर देख रहे हैं।