स्थानीय नागरिकों के संरक्षण के बगैर आतंक का सेंटर नहीं चल सकता
23 अगस्त को भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम राजस्थान के भिवाड़ी क्षेत्र की पहाडि?ों में सक्रिय रही। तलाश में संदिग्ध लोगों को पकड़ने का काम जारी रहा। 22 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने छापामार कार्यवाही कर चौपान की पहाड़ी से छह संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। आरोप है कि ये सभी छह व्यक्ति आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े हुए हैं और पहाड़ी क्षेत्र में रह कर युवकों को आतंक की ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं। इन युवकों के तार यूपी और झारखंड के ट्रेनिंग सेंटरों से भी जुड़े हुए हैं।
चूंकि इन संदिग्ध व्यक्तियों के पास से हथियार भी बरामद किए इसलिए यह घटना राजस्थान के लिए खतरनाक संकेत है। पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, यूपी आदि राज्यों के मुकाबले में राजस्थान को शांतिप्रिय प्रदेश माना जाता है। लेकिन जिस तरह अलकायदा जैसे आतंकी संगठन का मामला उजागर हुआ है, उससे प्रतीत होता है कि अब राजस्थान भी आतंकियों की शरणस्थली बन रहा है। कोई भी आतंकी सेंटर स्थानीय नागरिकों के संरक्षण के बगैर नहीं चल सकता।
जांच एजेंसियों ने पहले भी राजस्थान में आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल का पता लगाया है। असल में ऐसे कई व्यक्ति होते हैं जो सामान्य कामकाज करते हैं। लेकिन जरुरत पड़ने पर अपनी विचारधारा के अनुरूप सक्रिय हो जाते हैं ऐसे व्यक्तियों के संरक्षण के कारण ही आतंकी संगठन के लोग घटनाओं को अंजाम दे पाते हैं।
यह सही है कि चौपान की पहाड़ी में जो आतंकी ट्रेनिंग सेंटर चल रहा था, उसके बारे में राजस्थान पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी। इससे राजस्थान पुलिस की लापरवाही का भी पता चलता है। एक ओर जब राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा औद्योगिक निवेश के लिए जयपुर में बड़ा सम्मेलन करने जा रहे हैं, तब राजस्थान में अलकायदा जैसे आतंकी संगठन का ट्रेनिंग सेंटर मिलना बहुत गंभीर बात है।