मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी, असम में ये ही होगा

0
(0)

हेमंत सरकार लाई ये कानून

गुवाहाटी। असम कैबिनेट ने बुधवार को एक प्रस्तावित कानून को मंजूरी दे दी। जिसका उद्देश्य मुस्लिम जोड़ों के लिए अपनी शादी और तलाक का सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य बनाना है। एक बार लागू होने के बाद, यह कानून मुस्लिम विवाह और तलाक को दर्ज करने वाले काजियों की भूमिका को खत्म कर देगा। असम मुस्लिम विवाह और तलाक का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक- 2024, आज से शुरू होने वाले शरदकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जाएगा। सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर पोस्ट किया कि कैबिनेट ने जिस मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को मंजूरी दी है, इसमें दो विशेष प्रावधान हैं: पहला अब मुस्लिम विवाहों का रजिस्ट्रेशन सरकार द्वारा किया जाएगा न कि काजी द्वारा और बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन अवैध माना जाएगा।

नए बिल के पास होकर कानून बनने के बाद जिला आयुक्तों और रजिस्ट्रारों को मौजूदा वक्त में 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड को अपने कब्जे में लेने का अधिकार होगा। जिन्हें 1935 के ब्रिटिश युग के कानून द्वारा वैध बनाया गया था। सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नाबालिगों की शादियां भी काजियों द्वारा रजिस्टर्ड की जाती थीं। अब बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की बुराई को खत्म करना चाहते हैं। सीएम सरमा ने यह भी साफ किया कि नया कानून इस्लामिक विवाह प्रणाली में किसी भी तरह के बदलाव का प्रावधान नहीं करता है।

नए कानून से केवल रजिस्ट्रेशन में बदलाव

सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नए कानून से केवल रजिस्ट्रेशन के हिस्से में बदलाव होगा। विवाह और तलाक उप-रजिस्ट्रार आॅफिस में दर्ज किए जाएंगे। असम कैबिनेट ने जुलाई की शुरूआत में प्रस्तावित अनिवार्य पंजीकरण कानून के लिए रास्ता साफ करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि 1935 का कानून अप्रचलित हो गया है क्योंकि इसमें विवाह और तलाक के पंजीकरण को अनिवार्य नहीं बनाया गया था। उसमें पंजीकरण की मशीनरी अनौपचारिक थी, जिससे बहुत से मामले दर्ज होने से छूटने की गुंजाइश बनी रहती है।

नए कानून से बाल विवाह रोकने में मदद

असम के एक अधिकारी ने कहा कि इस पुराने कानून के मुताबिक 21 साल से कम उम्र के पुरुषों और 18 साल से कम उम्र की महिलाओं के विवाह को दर्ज करने की गुंजाइश बनी हुई है, जिससे बाल विवाह को बढ़ावा मिलता है। इस कानून के कार्यान्वयन के लिए शायद ही कोई निगरानी तंत्र हो। वहीं जुलाई में जारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट में बाल विवाह से निपटने के लिए असम सरकार के प्रयासों की सराहना की गई। रिपोर्ट में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि कानूनी कार्रवाई के जरिये असम ने बाल विवाह के मामलों में कमी की है, जो 2021-22 और 2023-24 के बीच राज्य के 20 जिलों में ऐसे मामलों में 81 फीसदी की कमी दिखाता है।

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 0 / 5. वोटों की संख्या: 0

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment