आठ दिन पहले एक भावुक और रोमांचक दौर से गुजरना पड़ा । ” 94.3 माई एफएम ” का स्टूडियो वैशाली नगर स्थित ” तनिष्क ” के शोरूम पर शिफ्ट हुआ । दोनों के बीच कोई बिजनेस डील थी । मुझे अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष होने के नाते आमंत्रित किया गया था । मैं और मेरी पत्नी आभा शाम को वहां पहुंचे तो हम दोनों को अस्थाई स्टूडियो में दाखिल कर दिया गया । वहां बैठकर मुझे मेरी गोल्डन जर्नी ऑफ लाइफ पर कुछ बोलने के निर्देश मिले ।
कुछ ही देर में स्टूडियो का दरवाज़ा खुला तो सामने आरजे अंजनी और आरजे शिवाय को खड़े पाया । अंजनी मेरे ही साथी श्री राजकुमार पारीक की बिटिया है । बचपन से लेकर आज तक उसे एक-एक दिन अपनी आंखों के सामने पलता – बढ़ता देखा । कई बार गाइडेंस देने का तो , कई बार मोटिवेट करने का मौका मिला । आज वही बच्ची मेरा इंटरव्यू लेने को तैयार खड़ी थी ।
हालांकि इंटरव्यूअर की सीट पर आरजे शिवाय बैठ गए । अंजनी ने शिवाय को मेरे और उसके रिश्ते का जिक्र करते हुए बताया कि मैं उसका ताऊजी हूॅं । इतना सुनते ही आरजे शिवाय ने अपनी कुर्सी छोड़ दी और अंजनी को मेरा इंटरव्यू लेने को कह दिया । यह सुनते ही अंजनी के चेहरे पर हल्की सी घबराहट दिखाई दी ।
अब शिवाय की जगह अंजनी बैठी थी और मेरा इंटरव्यू लेने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करने लगी । इंटरव्यू शुरू करने से पहले एक बार उसके मुंह से मेरे लिए ताऊजी सम्बोधन निकला । पर अगले ही क्षण ठिठक गई । एक बार तो उसे लगा कि वह मेरा इंटरव्यू नहीं ले पाएगी । अब हमेशा की तरह आज़ फिर मेरी बारी थी । हमेशा की तरह मैंने उसका हौसला बढ़ाया और इंटरव्यू शुरू करने के लिए कहा ।
साहस बटोर कर अंजनी ने मेरा इंटरव्यू शुरू किया । पहला सवाल दागा कि मेरी गोल्डन जर्नी ऑफ लाइफ का मूलमंत्र क्या है ? जवाब दिया कि ईमानदारी , सच्चाई और कड़ी मेहनत । दूसरा सवाल आया कि टाटा उत्पाद ” तनिष्क ” को लेकर मेरी क्या धारणा है ? जवाब : ” तनिष्क ” टाटा कम्पनी का उत्पाद है । इसके संस्थापक श्री रतन टाटा ने भी ईमानदारी , सच्चाई और कड़ी मेहनत का मार्ग चुना । आज़ देश-दुनिया में टाटा प्रोडक्ट्स की प्रतिष्ठा है । टाटा के ज्यादातर उत्पादों को लोग सिर्फ नाम देखकर ही ले लेते हैं । इसके बाद सवालों का लम्बा सिलसिला चला ।
इंटरव्यू खत्म होने के बाद मैंने और मेरी पत्नी ने अंजनी को बधाई और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं । आज़ अंजनी की मां मीना पारीक इस संसार में नहीं है । काश आज़ जीवित होती तो अपनी बिटिया को इस मुकाम पर देखकर फूली नहीं समाती ।
इस इंटरव्यू को प्रायोजित करने वाले ” 94.3 माई एफएम ” और श्री विनय भाटिया का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया और कुछ भावुक पलों से गुजरने के लिए मजबूर कर दिया । विदाई से पहले मेरी पत्नी को 94.3 माई एफएम की ओर से एक प्यारा सा उपहार भी दिया गया ।