जयपुर। आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान कांग्रेस ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पार्टी ने घोषणा की है कि वह इस चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने साफ किया कि वह ऊपरी सदन के चुनाव में अपनी ओर से किसी भी उम्मीदवार को नहीं उतारेंगे। इसके पीछे डोटासरा ने वजह भी साफ की। कांग्रेस के इस फैसले से एक बात तो साफ हो गई है कि प्रदेश में राज्यसभा चुनाव नहीं होंगे। और इस तरह बीजेपी प्रत्याशी निर्विरोध ही चुन लिया जाएगा।
क्यों लिया कांग्रेस ने ये फैसला?
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस का संख्या बल स्पष्ट रूप से कम है। यह संख्या बल राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसी वजह से कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि वह चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। डोटासरा ने कहा हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं और जानते हैं कि हमारा संख्या बल चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए, हम लोकतंत्र का सम्मान करते हुए अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।
जब हमें पता है कि डोटासरा
कांग्रेस ने अपने इस निर्णय के जरिये न केवल लोकतंत्र का सम्मान करने की बात कही है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) और अन्य अनैतिक गतिविधियों से बचने के बारे में भी कहा है। डोटासरा ने स्पष्ट किया कि पार्टी ने इस चुनाव में हर बार की तरह किसी भी अनैतिक तरीके का सहारा न लेने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जब हमें पता है कि हमारा संख्या बल चुनाव जीतने लायक नहीं है, तो हम कोई अनैतिक गतिविधि नहीं करेंगे।
कैसे खाली हुई राजस्थान से एक सीट?
राज्यसभा की खाली सीटों को भरने के लिए सात अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया गया था, और इसके चुनाव की तारीख तीन सितंबर निर्धारित की गई थी। यह सीट कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद खाली हुई। वेणुगोपाल का कार्यकाल 21 जून 2026 तक था, लेकिन केरल के अलाप्पुझा से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।
तो कैसे बीजेपी के खाते में चली जाएगी ये सीट
राजस्थान में कुल 10 राज्यसभा सीटों में से फिलहाल नौ भरी हुई हैं, जिनमें पांच कांग्रेस और चार बीजेपी के सांसद हैं। अब, बीजेपी के प्रत्याशी के निर्विरोध चुने जाने के बाद दोनों पार्टियों के सांसदों की संख्या बराबर हो जाएगी। संख्या बल के आधार पर बीजेपी के पास 114 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 66 विधायक हैं। इसलिए, बहुमत के आधार पर यह सीट स्वाभाविक रूप से बीजेपी के खाते में जाने वाली थी।