अयोग्य होने के बाद भी पीएम मोदी ने फोगाट को ही गोल्ड मेडलिस्ट माना
बहन बबीता ने किसी भी साजिश से इंकार किया
ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। विनेश स्वयं को अयोग्य घोषित किए जाने से दुखी है। मालूम हो कि पेरिस में चल रहे ओलंपिक खेलों में विनेश ने अपने प्रतिस्पर्धी पहलवानों को हराकर फाइनल में जगह बना ली थी। फाइनल होता इससे पहले ही यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण विनेश को अयोग्य करार दे दिया।
यह सही है कि यदि विनेश फाइनल खेलती तो भारत को गोल्ड मेडल मिलता। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भले ही भारतीय पहलवान विनेश को अयोग्य घोषित कर दिया हो, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो विनेश को ही गोल्ड मेडलिस्ट माना है। मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत के लिए तो विनेश फोगाट ही चैंपियन है। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा से आग्रह किया कि वह विनेश का मामला प्रभावी तरीके से ओलंपिक खेलों की ज्यूरी के समक्ष रखे। अपने देश के एक पहलचान के लिए प्रधानमंत्री ने जो चिंता जताई है, उसकी प्रशंसा देश के सभी खिलाड़ी कर रहे है।
विनेश की बहन बबीता फोगाट ने भी स्पष्ट कहा है कि विनेशा के अयोग्य करार दिए जाने के पीछे किसी की कोई साजिश नहीं है। विनेश तो कुश्ती के नियमों के जाल में फंस गई है। कुश्ती के नियमों में बदलाव को लेकर अब दुनिया भर में बहस हो रही है। विनेश फोगाट को फाइनल मैच अमेरिका की खिलाड़ी जॉर्डन ब्योरोज से खेलना था। ब्योरोज ने भी कहा है कि विनेश को सिल्वर पदक को मिलना चाहिए। यानी हर पहलवान मानता है कि विनेश फोगाट के साथ अन्याय हुआ है। जहां तक फोगाट की तैयारियों का सवाल है तो मोदी सरकार ने फोगाट की हर जिद को पूरा किया।
सरकार भी चाहती थी कि विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करे, इसलिए विनेश फोगाट की इच्छा के अनुरूप ही हंगरी के कोच की नियुक्ति की गई। डॉक्टर हो, न्यूट्रीशियन हो या अन्य स्पोर्ट स्टाफ सभी की नियुक्ति फोगाट की पसंद से की गइ्र। इतना ही नहीं जब विनेश फोगाट ने 53 किलो के बजाए 50 किलो वजन से जुडी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कहा तो सरकार ने इस जिद को भी स्वीकार किया। पेरिस ओलंपिक से पहले विनेश फोगाट 53 किलो वजन वाली प्रतियोगिता में भाग लेती रही, लेकिन ओलंपिक में जाने से पहले फोगाट ने 53 किलो वजन वाले खिलाडियों के साथ ट्रायल तक नहीं दिया। यानी विनेश फोगाट ने जो इच्छा जताई उसे सरकार की ओर से पूरा किया गया।
फाइनल के मुकाबले से पहले पेरिस में फोगाट का वजन 2 किलो से ज्यादा बढ़ गया। इस वजन को कम करने के लिए फोगाट ने रात भर कड़ी मेहनत की। यहां तक कि अंगुलियों के नाखून तक काटे गए, लेकिन फिर भी फोगाट का वजन 50 किलो से अधिक रहा। वजन अधिक रहने के कारण ही फोगाट की फाइनल मैच से पहले ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया। आमतौर पर जब कोई खिलाड़ी बीमारी या अन्य किसी कारण से फाइनल मैच नहीं खेलता है तो उसे उपविजेता घोषित कर सिल्वर मेडल दे दिया जाता है। कायदे से तो विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल मिलना चाहिए था, लेकिन यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने फोगाट को सिल्वर मेडल से भी वंचित कर दिया। यह बात अलग है कि अब पूरा देश विनेश फोगाट के साथ खड़ा है। पीएम मोदी के साथ साथ पूरा देश विनेश फोगाट को ही गोल्ड मेडलिस्ट मान रहा है।