अमेजन के कर्मचारी ने कम्पनी छोड़ने वालों की काट ली जेब और करोड़पति बनते ही रफूचक्कर
हैदराबाद: कहते हैं कि जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उसकी सुरक्षा भला कौन करेगा। ऐसा ही कुछ खेल अमेजन के कर्मचारी ने किया। उसे जिन कर्मचारियों को पैसे दिलाने का जिम्मा सौंपा गया था, उन्हीं की जेब में सेंधमारी कर दी। वह भी एक-दो नहीं करीब 200 लोगों को अपना शिकार बनाया और करोड़ों रुपये बना लिए। 8 साल तक यह हेराफेरी करने के बाद खुद भी नौकरी छोड़ दी। कंपनी छोड़ने के बाद आरोपी ने खुद को छुपाने की बहुत कोशिश की लेकिन साइबराबाद पुलिस ने उसे धर दबोचा।
पुलिस के अनुसार, आरोपी मेट्टू वेंकटेश्वरलू फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट, नानकरामगुडा, गाचीबोवली, हैदराबाद स्थित अमेज़ॅन डेवलपमेंट सेंटर (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में बतौर वरिष्ठ वित्तीय परिचालन विश्लेषक काम करता था। जहां उसने 8 साल में करीब 184 कर्मचारियों को चपत लगाते हुए 3,22,04,456 रुपये की राशि विभिन्न खातों में स्थानांतरित की थी। पुलिस ने आईपीसी की धारा 403, 408, 420, 467, 468, 471, 477-ए और 201 आर/डब्ल्यू 120-बी के तहत मामला दर्ज किया। मेट्टू वेंकटेश्वरलू का काम कर्मचारियों की सैलरी देखना और कंपनी छोड़ने वाले कर्मचारियों का फाइनल सेटलमेंट कराना था।
कैसे किया इतना बड़ा फजीर्वाड़ा
पुलिस ने बताया कि आरोपी और उसके साथियों ने फर्जी ईमेल, गलत बैंक स्टेटमेंट और पुराने कर्मचारियों के बकाए को लेकर एक प्लान तैयार किया और करोड़ों रुपये अलग-अलग खाते में ट्रांसफर कर लिए। ये सारा फजीर्वाड़ा उन कर्मचारियों के साथ होता था, जो कंपनी छोड़ चुके होते हैं। आरोपी ने ऐसे कर्मचारियों का पूरा आंकड़ा निकाला और उनके बकाए को अपने नाम से ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।
कैसे होता था सारा खेल
वेंकटेश्वरलू और उसके साथी कुछ लावारिस लंबे समय से लंबित बकाया भुगतानों की पहचान करते थे, बैंक हस्तांतरण की कामकाजी फाइलें तैयार करते थे, ऐसे निष्क्रिय या पूर्व कर्मचारियों के बैंक खाता नंबर बदलते थे, उन्हें अपने सहयोगियों के बैंक खाता नंबरों के साथ अपडेट करते थे, और राशि का हेरफेर करते थे।
आर्थिक अपराध शाखा पुलिस के सहायक पुलिस आयुक्त एम हुसैनी नायडू ने कहा, “आरोपी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर, अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के 50 बैंक खातों में 3.2 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।” 184 निष्क्रिय/पूर्व कर्मचारियों को बकाया से वंचित किया और अमेज़ॅन डेवलपमेंट सेंटर (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को 3.22 करोड़ रुपये की गलत हानि पहुंचाई।