पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला एक भ्रष्टाचार घोटाला है जो 2014 से चल रहा है। इस घोटाले में, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं का आरोप है। आरोप है कि इन पदों पर भर्ती योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण और रिश्वत के आधार पर की गई थी। 2022 में, इस घोटाले का खुलासा हुआ जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा 2016 में गठित भर्ती पैनल को भंग कर दिया और 24,000 से अधिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने पाया कि भर्ती प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताएं थीं। इस घोटाले में कई आरोपी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पार्थ चटर्जी: तृणमूल कांग्रेस के नेता और शिक्षा मंत्री (2014-2022)
- मणिनाथ घोष: पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष
- अमित मजूमदार: पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के पूर्व सचिव
- अन्य तृणमूल कांग्रेस नेता और सरकारी अधिकारी
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच
इस घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है। जांच में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और भारी मात्रा में धन और संपत्ति जब्त की गई है |
ईडी ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में अभियोजन शिकायत दर्ज की
कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने सोमवार को पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के बाद साल 2016 में स्कूल सेवा आयोग की ओर से चुने गए क़रीब 25 हज़ार से अधिक शिक्षकों और गै़र-शिक्षण कर्मचारियों को नौकरियों से हटा दिया |
अदालत ने 282 पन्ने के अपने फै़सले में सीबीआई को राज्य सरकार से जुड़े उन लोगों से पूछताछ करने और ज़रूरी होने पर हिरासत में लेने का निर्देश दिया है जिन्होंने स्कूल सेवा आयोग के तहत अतिरिक्त पदों को मंजूरी दी थी और इससे संबंधित फै़सले लिए थे | सीबीआई का आरोप है कि अवैध नियुक्तियों के तहत लोगों को खपाने के लिए कई अतिरिक्त पद बनाए गए थे | अदालत ने सीबीआई से इस घोटाले की जांच जारी रखने को कहा है |
हालांकि, ताजा घटनाक्रम में पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा आयोग ने हाईकोर्ट में कहा है कि केवल 5300 शिक्षकों की नियुक्तियां संदिग्ध हैं। आयोग ने कहा है कि 19,000 शिक्षकों की नियुक्तियां वैध होने की संभावना है। आयोग ने हाईकोर्ट को बताया कि 22 अप्रैल को पारित आदेश के बाद लगभग 19,000 शिक्षकों की भर्ती रद्द हो सकती है, लेकिन आयोग की तरफ से तय किए गए नियम और शर्तों के मुताबिक इन शिक्षकों की नियुक्तियां वैध हो सकती हैं।
25 हजार से अधिक शिक्षकों के भविष्य पर लटक रही तलवार
बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 2016 में हुई शिक्षकों की भर्तियों को रद्द किया जाना है। अदालत का आदेश बरकरार रहने की सूरत में 25,753 शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। हाईकोर्ट ने अपने सख्त आदेश में कहा है कि अवैध नियुक्ति से लाभ पाने वाले शिक्षकों को अपने वेतन भी लौटाने होंगे। फिलहाल, पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
जिन 25,753 लोगों की नौकरियां गई हैं उनमें से कितनों को पैसे लौटाने होंगे, यह अभी साफ नहीं है. लेकिन मोटे अनुमान के मुताबिक़ यह तादाद चार से पांच हज़ार तक हो सकती है | इनमें से हाईस्कूल यानी नौवीं-दसवीं के शिक्षकों को औसतन 22 लाख और हायर सेकेंडरी (11-12) के शिक्षकों को औसतन 28 से 30 लाख तक की रकम लौटानी पड़ सकती है |
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन लोगों के समर्थन में खड़े रहने और इस फै़सले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भरोसा दिया है |
उनका सवाल है कि
आख़िर यह लोग चार सप्ताह के भीतर इतना पैसा कहां से चुकाएंगे ?
स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की बात कही है |
ममता बनर्जी अपनी चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठा रही हैं और इसके लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं |
सोमवार को रायगंज की रैली के बाद उन्होंने मंगलवार को बीरभूम की एक सभा में कहा कि हम नौकरियां दे रहे हैं और वो (बीजेपी) एक झटके में हज़ारों नौकरियां छीन रहे हैं | मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना था कि अगर पहले बताया गया होता कि कुछ ग़लती हुई है तो उसे सुधार लिया गया होता | तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने माना कि कुछ ग़लतियां हुई हैं. वहीं ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी की निगाह में यह मामला आने के बाद कार्रवाई की गई है |
घोष का कहना था कि अदालत के फै़सले ने हज़ारों लोगों के जीवन में उथल-पुथल पैदा कर दी है और कुछ लोगों की वजह से सभी को मुश्किल झेलनी पड़ रही है | विपक्षी दलों ने इस फै़सले के बाद तृणमूल कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया है. बीजेपी सांसद शमीक भट्टाचार्य ने कहा है कि यह बंगाल का सबसे बड़ा घोटाला है. लोग चुनाव में इसका जवाब देंगे |
भाजपा ने ममता बनर्जी से इस्तीफे़ की भी मांग की है |
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा है कि
“तृणमूल कांग्रेस की ग़लती के कारण एक झटके में इन 25 हज़ार के अधिक लोगों का भविष्य अंधकारमय हो गया है | अदालत के फै़सले से साबित हो गया है कि तृणमूल कांग्रेस ने शिक्षक जैसे सम्मानित पेशे को गाय, बकरी और मुर्गियों की तरह बाज़ार में बेच दिया है |”
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता सुजन चक्रवर्ती भी इसे अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताते हैं. वह कहते हैं कि
“इस घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के नीचे से ऊपर तक के तमाम नेता शामिल हैं | इसका प्रतिकूल असर पूरे समाज पर पड़ रहा है | अदालत ने जिनको पैसे लौटाने का निर्देश दिया है वो यह रकम कहां से ले आएंगे? ये पैसा तृणमूल कांग्रेस को ही लौटाना चाहिए |”
5300 शिक्षकों की नियुक्तियों में विसंगतियां
स्कूल सेवा आयोग ने गुरुवार को दावा किया कि हाईकोर्ट को 5300 ऐसे शिक्षकों की सूची दी गई है जिनकी नियुक्तियां संदिग्ध हैं। स्कूल सेवा आयोग ने उच्च न्यायालय की पीठ को बताया कि अधिकारियों और सरकार की तरफ से निर्धारित योग्यता के मानदंड को 19 हजार शिक्षक पूरा कर सकते हैं। स्कूल सेवा आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा,
‘हमने अदालत के समक्ष उन शिक्षकों की सूची पेश की है, जिनकी नियुक्तियों के दौरान विसंगतियां पाई गई हैं।’ आयोग ने कहा कि विसंगतियों के लिए दो पैमानों पर विचार किया गया, पहला आॅप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन शीट में हेरफेर और रैंक में उछाल। आयोग ने अदालत को बताया कि कक्षा क- और क-कक के लिए ग्रुप-सी और डी के तहत नियुक्त ऐसे शिक्षकों की अनुमानित संख्या लगभग 5300 है।