जिसमें सीता रावण की बेटी और राम दशरथ के छोटे बेटे
तिब्बत में रामायण के तिब्बती वर्जन की पांडुलिपियां 20 सदी की शुरूआत में मिलीं। दरअसल प्राचीन समय में राम कथा वहां से भारत आने वाले व्यापारियों और यात्रियों के जरिए वहां गईं लेकिन ये रामायण असल वाली बाल्मीकि रामायण से बहुत कुछ अलग है। जिसमें बहुत कुछ ऐसा है, जो हैरान कर देगा।
रामायण के तिब्बती संस्करण की खोज 1929 में एफडब्ल्यू थॉमस द्वारा की गई थी। एक “शाही” रामायण है, दरअसल ये रामायाण दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के राजाओं के बीच लोकप्रिय थी। हालांकि तिब्बत में इस रामायण की पांडुलिपियां एक गुफा में मिलीं। उसके आधार पर पता लगा कि तिब्बती रामायण में राम सीता की कहानी कुछ अलग सी है। मसलन सीता का असल पिता रावण था। उसे पहले ही बता दिया गया था कि इस बेटी के कारण उसे जान से हाथ धोना होगा।
रामायण एक हिंदू महाकाव्य है जो लगभग 300 वर्ष पुराना है। पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया में रामायण के 30 से ज्यादा संस्करण हैं। खुद भारत में जैन रामायण और बौद्ध रामायण अलग तरह की कहानियां कहती हैं। रामायण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत में है, जिसका श्रेय ऋषि नारद को दिया जाता है। नारद ने ये कहानी बाल्मीकि को बताई, जिन्होंने फिर बाल्मीकि रामायण लिखी, जो रामायण का सबसे पुराना संस्करण है।
20वीं सदी की शुरूआत में चीन के शिनजियांग प्रांत में सिल्क रोड के पूर्वी छोर पर एक पुरातात्विक स्थल दुनहुआंग की मोगाओ गुफाओं में रामायण के अंशों वाली 06 अधूरी पांडुलिपियां मिलीं। ये तिब्बती भाषा में लिखी गईं थी, जो 8वीं शताब्दी की मानी गईं। ये शाही रामायण की प्रारंभिक शैली से संबंधित है, जो भारत के बाद के “भक्ति” रामायणों के विपरीत, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के राजाओं के बीच लोकप्रिय थी।
यहां दशरथ अर्हतों (बौद्ध संतों) की पूजा करते हैं। उन्हें बच्चे नहीं हो रहे होते हैं तो देवताओं द्वारा एक फूल दिया जाता है। ये फूल ये कहकर दिया जाता है कि ये तुम अपनी प्रिय रानी को दे देना, उससे संतान पैदा होगी। ये फूल दशरथ प्रमुख छोटी रानी को देते हैं। छोटी रानी पुत्र राम को जन्म देती है लेकिन उससे कुछ दिन पहले ही बड़ी रानी लक्ष्मण को जन्म देती है। इस तरह ये रामायण ये कहती है कि लक्ष्मण बड़े भाई होते हैं और राम छोटे। ये रामायण भरत और शत्रुध्न के बारे में कोई चर्चा नहीं करती।
राजा दशरथ ये तय करने में असमर्थ रहते हैं कि राजा किसको बनाया जाए। छोटी रानी के बेटे राम को राजा चुना जाता है, लेकिन वह लक्ष्मण के लिए राजगद्दी छोड़ देते हैं। हालांकि लक्ष्मण भी इसको स्वीकार नहीं करते। बदले में राम की पादुकाएं सिंहासन पर रखते हैं और खुद मंत्री बनना चुनते हैं। ये रामायण राम के वनवास के बारे में कुछ नहीं कहती।
यहां सीता रावण की बेटी हैं (जैसा कि जैन रामायण में है)। उसे चेतावनी मिलती है ये बेटी उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। लिहाजा रावण अपनी इस बेटी के त्याग करने का फैसला करता है। उसे एक तांबे के बक्से में रखकर समुद्र में फेंक देता है। ये बक्सा एक एक किसान को मिलता है, जो सीता को पालता और बड़ा करता है। वह सीता का नाम रोलर्नेडमा रखता है।
ये कन्या राम से विवाह कर लेती है। विवाह के बाद राम उसका नाम सीता रखते हैं। रावण की बहन फुरपाला चाहती है कि राम उससे शादी कर लें लेकिन जब उसे वह अस्वीकार कर देते हैं तो वह नाराज होकर रावण से शिकायत करती है।
तिब्बती रामायण में राम को रमण के तौर पर उद्धृत किया जाता है। जब राम हिरन के शिकार पर जाते हैं तो लक्ष्मण भी उनके पीछे जाते हैं। तब रावण को मौका मिलता है और वह सीता का हरण के लिए एक सुंदर हाथी का रूप धरकर आता है। उन्हें अपने ऊपर बैठने के लिए ललचाता है। फिर वह घोड़े का रूप धारण कर लेता है। सीता दोनों ही बार जब मना कर देती है तो वह सीता को जमीन समेत उखाड़कर अपहरण कर लेता है। वह सीता को इसलिए नहीं छूता क्योंकि उसको डर है कि सहमति के बगैर छूने पर वह आग की लपटों में घिर जाएगा।
सीता की तलाश करते समय राम का सामना एक काली नदी से होता है, जहां सुग्रीव से मुलाकात होती है, जिसकी आंखों, कानों और नाक से खून बह रहा है, क्योंकि उसके बड़े भाई बाली ने उसे बुरी तरह पीटा है। राम की मदद से सुग्रीव हिंसक बड़े भाई बाली को मार देता है। इसके बदले वह सीता को खोजने में मदद का वादा करता है।
तिब्बती रामायण की एक अनूठी विशेषता पत्रलेखन है। लंका पर आक्रमण टालने पर राम सुग्रीव को पत्र लिखते हैं। वह सीता को पत्र लिखकर बताता है कि वह आ रहा है, सीता दूसरे पत्र से उत्तर देती है। बाद में सुग्रीव की मृत्यु के बाद हनुमान सुग्रीव का राज्य संभालते हैं। जब वह राम के सीता को खोजने के काम को लेकर उदासीन हो जाते हैं तब राम उन्हें पत्र लिखकर संपर्क में नहीं रहने के लिए डांटते हैं।
जब राम और रावण का युद्ध होता है तो रावण अदृश्य हो जाता है। तब राम ने उसको क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए अपने शरीर का कम से कम एक हिस्सा दिखाने की चुनौती देते हैं। तब रावण केवल अपने दाहिने पैर का अंगूठा प्रकट करता है। इसको राम ये पता लगाने में सक्षम हो जाते हैं कि उनके दसों सिर कहां होंगे। वह सारे सिरों को खत्म कर देते हैं।
तिब्बती रामायण में राम सीता की पवित्रता पर संदेह करते हैं। उन्हें महल से बाहर भेज देते हैं। तब हनुमान सीता की बेगुनाही को लेकर बहस करते हैं। राम इससे सहमत होते हैं और सीता को वापस बच्चों के साथ महल में लेकर आते हैं। फिर वो खुशी से एक साथ रहने लगते हैं।