सुनियोजित तरीके से रोहिंग्याओं को राजस्थान के जयपुर, जोधपुर और अलवर जिलों में भी बसाया गया

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आखिर किन की सिफारिश से इन रोहिंग्याओं के सरकारी दस्तावेज बन जाते हैं?

देश की जांच एजेंसियों की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बांग्लादेश की सीमा से घुसपैठ कर हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में प्रवेश करवाया गया है। इन रोहिंग्याओं मुसलमानों को सुनियोजित तरीके से देश के विभिन्न राज्यों में बसाया गया है।

रोहिंग्या को बसाने के पीछे एक पूरा गिरोह

पहले सीमा से प्रवेश और फिर राज्यों में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में रोहिंग्या को बसाने के पीछे एक पूरा गिरोह काम कर रहा है। गंभीर बात यह है कि जिन दस राज्यों में रोहिंग्या को बसाया गया है उनमें राजस्थान के जयपुर, जोधपुर और अलवर जिले भी शामिल हैं। हरियाणा और राजस्थान की सीमा के नूंह मेवात में भी बडी संख्या में रोहिंग्याओं को बसाया गया है। अब जब राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा के चुनाव होने हैं, तब रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा अहम हो जाता है।

मुसलमान घरों से निकले और कांग्रेस के पक्ष में मतदान करें : मुस्लिम धर्मगुरु

इन दिनों राजस्थान में मुस्लिम समाज के धर्मगुरु और मुस्लिम संस्थाओं के पदाधिकारी सोशल मीडिया पर बयान जारी कर चुनाव में कांग्रेस को वोट देने की अपील कर रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि मतदान के दिन सभी मुसलमान घरों से निकले और कांग्रेस के पक्ष में मतदान करें। एक जिम्मेदार मुस्लिम प्रतिनिधि का तो कहना रहा कि जो मुसलमान वोट नहीं देगा तो वह पांच साल तक पछताएगा। मुस्लिम प्रतिनिधि गत चुनाव के मतदान के आंकड़े भी बता रहे हैं।

मतदाता अधिक से अधिक मतदान करें, इस पर कोई एतराज वाली बात नहीं हैं, लेकिन जब किसी राजनीतिक दल के लिए अपील की जाती है तो फिर अनेक सवाल खड़े होते हैं। इन्हीं विषयों के बीच राजस्थान में बसने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को भी चुनावी मुद्दा बनाया जाना चाहिए। देश में रोहिंग्या मुसलमानों की उपस्थिति को लेकर पहले भी शिकायतें सामने आई है।

पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर, असम, त्रिपुरा आदि राज्यों में रोहिंग्या मुसलमान आपराधिक घटनाओं में लिप्त पा गए हैं।

कई राज्यों में तो कानून व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ी है।आमतौर पर राजस्थान शांत प्रदेश हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान में भी कानून व्यवस्था बिगड़ी है। सर तन से जुदा अभियान में सबसे पहले राजस्थान के उदयपुर में ही कन्हैयालाल दर्जी की गर्दन काटी गई। सवाल यह भी है कि रोहिंग्या मुसलमानों के सरकारी दस्तावेज किन नेताओं की सिफारिश से बनते हैं? जो रोहिंग्या अवैध तौर पर भारत आते हैं, उनके पास कुछ ही दिनों में मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, जनाधार कार्ड, बिजली का कनेक्शन आदि दस्तावेज मिल जाते हैं।

यहां तक की बैंक में खाता खोलकर लोन भी प्राप्त कर लिया जाता है। जब सरकारी दस्तावेज बन जाते हैं, तब मुफ्त की योजनाओं का लाभ भी मिल जाता है। यानी जो रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में आए वे भारत में रहने का अधिकार हासिल कर लेते हैं। इसके विपरीत जो हिन्दू पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत में आते हैं, उन्हें शरणार्थी बनकर रहना पड़ता है। जब ऐसे हिंदुओं को नागरिकता देने के लिए कानून बनाया जाता है तो विरोध प्रदर्शन भी होते हैं। अजीब बात है कि रोहिंग्या मुसलमान तो भारत में बस जाते हैं, लेकिन धर्म के आधार पर प्रताड़ित होने वाले हिंदुओं को नागरिकता नहीं मिलती।

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