भीतरी घात से बच सकेंगे देवनानी और भदेल…..?

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वरिष्ठ पत्रकार- राजेन्द्र याग्निक

अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से वासुदेव देवनानी और दक्षिण से अनिता भदेल को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पांचवी पर विधायक बनने का जो न्यौता दिया है उससे यह जाहिर हो गया है कि भाजपा के पास अन्य कोई ऐसा मजबूत दावेदार नहीं है जिस पर यकीन करके प्रत्याशी बनाया जा सके। देवनानी और भदेल को भाजपा प्रत्याशी का टिकट मिलने की वजह भले कुछ भी हो। लेकिन इस फैसले से अजमेर के भाजपाईयों में पार्टी के प्रति निष्ठा, असंतोष और गुस्से बदल गई है। उनका कहना है कि देवनानी व भदेल को टिकट देना था तो यह फैसला वैसे ही कर लेते, क्यों हमसे आवेदन लिया क्यों पर्यवेक्षकों को बुलाया क्यों हमसे नारेबाजी करवाई और क्यों सर्वे करवाया।

याद आता है केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के समक्ष भाजपा के सुभाष काबरा अपनी दावेदारी पेश करने गए थे तब उनके समर्थको ने देवनानी के खिलाफ नारेबाजी की थी। कमल प्रकाश किसनानी जी की भी मजबूत दावेदारी थी जिन्हें अजमेर के वरिष्ठ नेता अपने साथ दिल्ली तक ले जाकर भाजपा आला कमान से मिलवा चुके थे। हरीश गिदवानी यानि पेनवाला खुलेआम देवनानी जी के खिलाफत कर रहे हैं इसके अलावा ज्ञान जी सारस्वत नीरज जैन धर्मेंद्र गहलोत कुंदन बैष्णव सहित अन्य निष्ठावान भाजपाई उत्तर क्षेत्र में चेहरा बदलने के बाद निरंतर प्रदेश और देश के भाजपा नेताओं से बार बार चेहरा बदलने की बात कर चुके हैं।

20 साल के एकछत्र राज के बाद फिर देवनानी जी के प्रत्याशी बनने से उन्होंने राजनीति में अपना महारथ साबित कर दिया। लेकिन भीतरीघात का खतरा उनका पीछा छोड़ने वाला नहीं है। भाजपा का झंडा सामने वाले देवनानी जी का झंडा थामने वाले नहीं है बल्कि डंडे में से झंडा निकालने का काम करेंगे। अब इन हालातो को वह कैसे मैनेज करते हैं यह उनको नए सिरे से सोचना पड़ेगा। दक्षिण विधायक अनिता भदेल को भी भीतरीघात से मुकाबला करना होगा। उनके खिलाफ जब जयपुर में जाकर भाजपा नेताओं को समझने की कोशिश की जा सकती है तो यहां रहते हुए उनकी खिलाफत नहीं की जा सकती? महापौर ब्रज लता हाडा उनके पति प्रियाशील हाडा समेत कई निष्ठावान भदेल का चेहरा बदलने की मांग को लेकर ऊपर तक जोर लगा चुके थे। जब वह कामयाब नहीं हुए तो चुनाव में भदेल को कामयाब कैसे होने देंगे? राजनीति में साम दाम दंड भेद सभी कुछ जायज है अब देखना है की किस नीति का राज के लिए किस तरह से उपयोग करके एमएलए बन जा सकता है।

इन दोनों विधानसभा क्षेत्र से आगामी दिनों में घोषित होने वाले कांग्रेस प्रत्याशी इस स्थिति का कैसे लाभ उठाते हैं यह उनकी राजनीतिक पकड़ पर निर्भर करता है। इस बार जिस तरह से प्रत्याशी रिपीट हुए हैं उससे लगता है कि भाजपा जिले में संकट में रहेगी। किसी ने कहा है-
सीने के दाग जल उठे
सीन की आग से
इस घर को आग लगी
घर के चिराग से

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