हाड़ा जी का देखिए सैनापति स्वरूप!
चुनाव सर पर हैं और वर्तमान विधायकों के पाँवों के नीचे कालीन ही नहीं जमीन भी खींची जा रही है। सत्ता का चीर हरण शुरू हो चुका है। राज्य के प्राय: हर विधानसभा क्षेत्र में कमोबेश यही हो रहा है। दुर्योधनों की बाढ़ आई हुई है। पहली लड़ाई तो टिकिट काटने के लिए। टिकिट मिल जाये तो फिर दूसरी लड़ाई हरवाने के लिए। मजेदार बात तो यह है कि हर पार्टी के विधायक अन्य पार्टियों के दुर्योधनों से मार नहीं खा रहे बल्कि उनकी ही पार्टी में, एक से बढ़ कर एक दुर्योधन पैदा हो रहे हैं।
आज अजमेर दक्षिण में भाजपा विधायक अनीता भदेल को लेकर महाभारत के संजय की तरह आंखों देखा हाल बता रहा हूँ। यह सिलसिला टिकिट मिलने तक जारी रहेगा। हर विधानसभा क्षेत्र के चीर हरण का आंखों देखा हाल बताता रहूंगा।
अजमेर दक्षिण चुनाव क्षेत्र में हाहाकार मचा हुआ है ऋषिवर! अपने ही अपने के सामने खड़े हैं। कोई किसी का सगा नजर नहीं आ रहा। अंदर घात ! बाहर घात!सब प्रयोग हो रहे हैं।
इस सुरक्षित सीट पर सबसे ज्यादा असुरक्षित महिला विधायक अनीता भदेल मुझे पसीना पौंछते नजर आ रही हैं राजेश्वर! विगत बीस साल से अपराजिता कहला रही भदेल जी इस बार टिकट मिलने से लेकर अपनी जीत को लेकर बहुत चिंतित नजर आ रहीं हैं। दो सौ विधनसभाओं में सर्वश्रेष्ठ विधायक घोषित होने वाली भदेल जी का सियासती चीर हरण करने वाले संगठित हो रहे हैं।
प्रभो! मैं देख पा रहा हूँ कि अनीता भदेल के पाले हुए खरगोश ही लोमड़ी और भेडियों में तब्दील होते जा रहे हैं। कल तक उनके पक्ष में नारे लगाने वाले !उनकी कृपाओं पर थैंक यू बोलने वाले छुट भय्ये भी अब तिल्ली का तेल लेकर सामने खड़े हैं।
हे ऋषिवर! आप अन्धे हैं लेकिन आपसे झूठ नहीं बोलूंगा कि मेरे सामने वे चेहरे भी गालियां बकते नजर आ रहे हैं जो भाजपा के सच्चे सिपाही होने का दावा करते हैं। जो कहते हैं भाजपा उनकी माँ हैं। अब माँ के साथ…गाली वाला ..बर्ताव..मुझे तो समझ नहीं आ रहा।
अनिता भदेल को भारी बगावत का सामना करना पड़ रहा है।
हे राजे! परिवर्तन यात्रा में लगी विरोध की चिंगारी अब कभी भी आग का रूप ले सकती है।
साफ दिख रहा है कि विरोधी टुकड़ियां तैयार हो चुकी हैं पर अभी टीम के कप्तान की घोषणा होना बाकि है।
ऋषि राज! मेरी नजर में तो इस आक्रमणकारियों की टुकड़ी का नायक डॉ हाड़ा को बनाया जायेगा। और फिर इस टीम में वृद्धि कर अतिरिक्त क्षत्रपों की घोषणा भी की जाएगी।
लग रहा है कि युध्द होगा अनिता भदेल की सेना और हाड़ा की सेना के बीच।
मुझे दिख रहा है मेरे राजेश्वर कि हाडा खुलकर अनिता भदेल की सेना के हर खिलाडी से मुकाबले को लेकर अपने योद्धा मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। साम धाम दंड भेद सभी नीतियों को अपनाया जा रहा हैं। वैसे भी हाड़ा की टुकड़ी में शार्प शूटरों की कमी नहीं। उनकी टुकड़ी के सदस्यो को वहीं से रोजगार मिला हुआ हैं। मासिक लिफाफे क्षत्रपों को उनसे मिलने की खबरे भी सुनाई दे रही हैं।
उनकी टुकड़ी के 2-5 योद्धा जो अनिता भदेल की टीम में दिखाई भी दे रहे हैं वो मजबूरी के चलते ही हैं। उनकी निष्ठा वाकई में कितनी है यह तो वो ही जाने। मगर यह सत्य है कि उन्हें हाड़ा का दंश जरूर भुगतना पड़ रहा हैं। उनके क्षेत्र के सडक नाली के कामों में ही रोड़े पड़ रहे हैं। उन्हें स्पष्ट कह दिया गया है कि जहाँ देवरे ढोक रहे हो वहीं से काम करवाओ। इस धमकी से उनकी निष्ठा डगमगा रहीं है।
अजमेर दक्षिण की सेना के बाहर भी लोग बहुत निष्ठावान हैं पर उनमें भी अंतरद्वन्द मचा हुआ हैं। अनिता जी के स्पष्टवादी व्यवहार से भी सैनिक नाराज नजर आते हैं। उन्हें लगता हैं कि उनके साथ रुखा व्यवहार किया जाता हैं। ये सब बातें कार्यकर्ता इस चुनावी समय में करते नजर आ रहे हैं।
हे राजा
हाड़ा सेना की चयन समिति के अध्यक्ष पुराने राजगुरु हैं और सदस्य के रूप में एक पूर्व उपमहापौर और अजमेर उत्तर विधानसभा से अपने आपको प्रत्याशी मानकर चल रहे एक सिंधी सेनापति जी हैं।
हाड़ा जी ने अपनी टुकड़ी के सैनिकों को आश्वसत किया हुआ है कि यदि अनिता भदेल पार्टी की टिकिट ले भी आती हैं तो मैं अपना अब तक का सब कमाया धरा पूरा कर दूंगा, पर अनिता की सेना को युद्ध जीतने नहीं दूंगा।
हे राजेश्वर
अनिता भदेल खुद तो टिकिट प्राप्ति को लेकर आश्वसत हैं। युद्ध जीतने का आधार यदि धनबल ही रहा तो उनकी पृष्ठभूमि में भी इस बार धनबलियो की कोई कमी नहीं हैं। बस कमी हैं तो युध्द जिताने वाले सैनिकों की। विश्वास पात्र नायकों की।
प्रभु! मेरा ऐसा मानना हैं की मैच धनबल, बाहुबल से नहीं जीता जाता हैं मैच तो जब जीता जाता है जब टीम का हर सैनिक पूरी निष्ठा और विश्वासपात्रता से अपनी जिम्मेदारी निभाए।
प्रभु ! आज यहीं तक का हाल बताऊँगा।आपको यदि कुछ कहना हो तो कहो!
राजा ने कहा “हे संजय! शेरों की उस सेना से मत डरो जिसका नायक चूहा हो! चूहों की उस सेना से डरो जिसका नायक शेर हो।