भाटी परिवार फिर आ सकता है चर्चाओं में?
दोस्तों! आज मैं अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की शतरंज को लेकर हाजिर हूँ।
अजमेर दक्षिण क्षेत्र राजनैतिक रूप से सुरक्षित सीट है। यहाँ आम लोग चुनाव लड़ने की संवेधानिक योग्यता नहीं रखते। यही वजह है कि इस क्षेत्र से हमेशा वर्ग विशेष के लोग ही चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं। विगत बीस साल से भाजपा की अनीता भदेल ही विधान सभा मे अपने क्षेत्र का नेतृत्व करती रही हैं।
उनके क्षेत्र में उनको लेकर मिश्रित राय है। विकास की बात की जाए तो हो सकता है भदेल के पास बीस सालों की लंबी लिस्ट हो मगर अंदरखाने उनके विधानसभा क्षेत्र के उनकी ही पार्टी के कुछ चुनिंदा वार्ड पार्षद ये कहते नजर आते हैं कि उनके कार्यकाल में अति उल्लेखनीय कुछ नहीं हुआ। पार्षदों का कहना है कि आज भी मूल भूत नागरिक सुविधाओं से पब्लिक महरूम है। जबकि उनके विधानसभा क्षेत्र की पब्लिक में या किसी जाति वर्ग में ऐसी कोई नकारातमकता सुनने कों नहीं मिलती जितनी अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायक देवनानी जी की।
विधायक अनीता भदेल को भले ही आप और हम! या उनके मतदाता कुछ भी कहें। उनको सफल या असफल कुछ भी करार दें वो यह कह कर मोक्ष प्राप्त कर लेंगी कि उनको राज्य विधानसभा का सर्वश्रेष्ठ विधायक घोषित किया जा चुका है। ऐसे में कोई भी आरोप उन पर लागू नहीं होगा।
अनीता भदेल की टिकिट फाइनल ही समझी जा रही है। उन पर कोई गम्भीर आरोप नहीं। उम्र की सीमा भी उन पर लागू नहीं। यूँ मेरी नजर में उनके सामने कोई सीधा प्रतिद्वंद्वी है भी नहीं।
पिछले दिनों नगर निगम की मेयर ब्रजलता का नाम विधायक की दौड़ में शामिल जरूर हुआ था मगर दावेदार के रूप में अब तक सामने नहीं आया है। माना जा रहा है कि भदेल को इस बार भी चुनावों में टिकिट मिलना तय ही है। वैसे वंदना नोगिया भी हालांकि टिकट के लिए हाथ पैर मार रहीं हैं पर अनिता भदेल के आगे उनका नाम बहुत छोटा माना जाता है।
उनके सामने कांग्रेस पार्टी किसे उतारेगी बस यही देखना है। पिछले दो चुनावों में धनपति हेमंत भाटी को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारा था। हेमंत भाटी क्योंकि राजनीतिक परिवार से जुड़े रहे इसलिए चुनावी चौसर बिछा लेंगे यह माना जा रहा था। कोली मतदाताओं पर उनकी पारिवारिक पकड़ का लोहा आजादी के बाद से ही कायम रहा था इसलिए उम्मीद की गई कि गैर राजनीतिक परिवार की अनीता भदेल का उनके सामने जीतना मुश्किल ही नहीं असंभव होगा।
यहाँ बता दूं कि हेमंत भाटी बीड़ी उद्योगपति स्व. शंकर सिंह भाटी के पुत्र हैं। उनके बड़े भाई स्व. ललित भाटी शिव चरण माथुर के मुख्यमंत्री कार्यकाल में मंत्री भी रहे।
एक समय था तब बाबा शंकर सिंह भाटी की इजाजत के बिना कांग्रेस की तरफ से कोई भी चुनाव में नहीं उतर सकता था। कोली बाहुल्य क्षेत्र में उनका दबदबा राजाओं जैसा था मगर अफसोस कि उनकी पीढ़ी यह दबदबा जारी नहीं रख पाई। पारिवारिक कलह ने समाज में, परम्परागत छवि को निस्तेज कर दिया।
अनीता भदेल का चुनाव जीतना वह भी ललित भाटी के सामने सम्भव नहीं था मगर ललित भाटी को परिवार का समर्थन नहीं मिला बल्कि सगे भाई हेमंत ने ही घर का भेदी बनकर अनीता भदेल का साथ दिया। ललित भाटी हारे तो उन्होंने भी दिल मसोस लिया।
उनके बाद हेमंत भाटी को टिकिट मिला। किस प्रबन्धन से मिला इस पर मैं जाना नहीं चाहता। चुनाव मैदान में वह उतरे तो इस बार उनके सगे बड़े भाई ललित भाटी ने अपनी पराजय का बदला ले लिया।
उनके चुनाव काल के दौरान अजमेर शहर में जातिवाद का जहर मतदाताओं की रगों में तैरने लगा। सिंधी बनाम वणिक वर्ग के नारे उछाले गए। ब्राह्मण वणिक व अन्य समुदाय के लोगों को पोलोराइज्ड किया गया। उधर सिंधीवाद भी संगठित हो गया।
डॉ श्रीगोपाल बाहेती अजमेर उत्तर से चुनाव हारे तो हेमन्त भाटी दक्षिण से। यहां बता दूं कि अजमेर दक्षिण में सिंधी मतदाताओं की संख्या उत्तर से ज्यादा है और उसका सीधा लाभ अनीता भदेल को मिला और अब भी मिलेगा।
दूसरे चुनावों में भी लगभग यही हुआ। हेमंत भाटी सचिन पायलट के कोटे से फिर चुनाव में उतरे और फिर हरा दिए गए।
इस बार भी उनको ही टिकिट मिलने के आसार हैं। यूँ उनकी जगह टिकिट मांगने वालों की लंबी फेहरिस्त है। लगे हाथ यह भी जान लीजिए कि हेमंत भाटी सचिन पायलट गुट के माने जाते हैं। अजमेर में पहले राजऋषि डॉ रघु शर्मा का दबदबा था मगर पिछले दिनों से उनका अघोषित सूर्यास्त हो चुका है। नए सूरज के रूप में धर्मेन्द्र राठौड़ का उदय हुआ है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद नजदीक होने की वजह से माना जा रहा है कि टिकिट बंटवारे में उनका भी हस्तक्षेप रहेगा। ऐसे में हेमंत भाटी को चुनौती मिलेगी। राठौड़ गुट की तरफ से राजकुमार जयपाल सबसे मजबूत माने जा रहे हैं। वे पहले भी विधायक रह चुके हैं। उनका नाम कटा तो इसलिए कटेगा कि वह वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिये गए हैं। जिनको पद दे दिया गया है उनको टिकिट मिलना सम्भव नहीं लग रहा।
राठौड़ गुट की ही द्रोपदी कोली भी पार्टी का प्रमुख चेहरा बनता जा रहा है। इनके इलावा कमल बाकोलिया भी एक मजबूत दावेदार कहे जा सकते हैं। और भी बहुत से नाम हैं जिनका खुलासा मैं अपने अगले कार्यक्रम “दावा दावेदारों के” में करूँगा। यह कार्यक्रम चैनल “बात आज की” में बहुत जल्दी प्रसारित होने वाला है।
मित्रों! पिछले दिनों धर्मेन्द्र राठौड़ ने बड़े ही चमत्कारी ढंग से अजमेर उत्तर में अपनी बिसात बिछाई है। कमाल की स्टारडम दिखाते हुए उन्होंने कई बैठकें आयोजित कीं। इस बैठक में डॉ श्रीगोपाल बाहेती, दूध क्रान्ति के नेता रामचन्द्र चौधरी। अजमेर क्लब के पुरोधा राजकुमार जयपाल सहित कई नेताओं ने शिरकत की। ताजुब्ब की बात यह रही कि इस बैठक में हेमंत भाटी भी मौजूद रहे। उनकी उपस्थिति ने सचिन पायलट के दिमाग में दही जमा दिया। इसी तरह एक मंच पर पायलट के मजबूत समर्थक विजय जैन भी जा पहुंचे। उनको भी देखकर लोगों को आश्चर्य हुआ। धर्मेन्द्र राठौड़ बड़ी चतुराई से यह खेल खेलते रहे हैं।
अजमेर में सिर्फ़ उनका चक्कर महेन्द्र सिंह रलावता पर नहीं चल पाया है इसलिए कहा जा रहा है कि सचिन पायलट उनके लिए किसी भी सीमा तक जाकर अड़ सकते हैं मगर हेमंत भाटी के लिए शायद वह उतना गम्भीर न हों।
तो क्या अजमेर दक्षिण से किसी और को भी टिकिट के लिए आगे किया जा सकता है। इस सवाल का उत्तर भी चलिए दे ही देता हूँ। अशोक गहलोत की तरफ से भाटी परिवार का ही कोई नया सदस्य प्रस्तावित किया जा सकता है और उसके नाम पर सचिन भी विरोध नहीं करेंगे! यदि यह नाम मैदान में उतरा तो इनके समुदाय में ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा की अनीता भदेल का उनके सामने टिकना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। कौन होगा वह नाम फिलहाल तो उसे रखूंगा गुमनाम।
जहाँ तक चुनाव जीतने का प्रश्न है अजमेर दक्षिण ही नहीं, किसी भी विधानसभा क्षेत्र के बारे में अभी इस पर बात करना उसी तरह होगा जैसे गर्भवती महिला के पति द्वारा आने वाली संतान का नाम रखना।