* बाबा रामदेव, स्वामी अग्निवेश और पंडित रविशंकर तथा मंदिरों के ट्रस्टी आमने-सामने
अशोक शर्मा, पत्रकार, अजमेर
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर कि उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में 125 करोड़ रुपए का घपला हो गया, ने पूरे उत्तराखंड सहित समूचे देश में भूचाल ला दिया है। वहां 250 किलो सोने की दीवार बनानी थी, मगर सोने की जगह पीतल की बना दी और उस पर सोने की पालिश कर दी गई। मंदिर के वरिष्ठ पुजारी संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि श्री केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर समिति बीकेटीसी और अधिकारी सोने की दीवार बनाने के नाम पर 125 करोड रुपए का घोटाला कर गए। यद्यपि बीकेटीसी के अधिकारियों ने इन आरोपों को निराधार बताया है। संतोष त्रिवेदी चार धाम महा पंचायत के उपाध्यक्ष हैं।
संतोष का आरोप है कि मुम्बई के एक दानदाता ने मंदिर की दीवारों को सोने की दीवार बनाने के लिए 125 करोड़ रुपए का दान दिया था, लेकिन उस पर पीतल की परत चढ़ा दी और ऊपर से सोने की पालिश कर दी। श्री केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर समिति और अधिकारियों का कहना है कि ये आरोप निराधार हैं, मंदिर प्रबंध को बदनाम करने की साजिÞश है। मंदिर समिति ने सफाई दी कि सन 2005 में भी इसी दानदाता ने बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में सोने का काम करवाया था। अब यह आरोप सोची-समझी साजिश है। मंदिर समिति का कहना है कि 230 किलो सोने से जो काम करवाया गया था, वह भारत पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख-रेख में हुआ है, समिति की इसमें कोई सीधी भूमिका नहीं है।
चूंकि मामला तथाकथित घपलेबाजी का है, इसीलिए मंदिर समिति और संतोष त्रिवेदी आमने-सामने हैं। कुछ दिन पहले ही केदारनाथ मंदिर में एक महिला द्वारा मूर्ति के सामने नोट उडाने की घटना का वीडियो वायरल होने पर रुद्र प्रयाग पुलिस अधीक्षक ने मामला दर्ज किया था जिसकी जांच चल रही है। देश के मंदिरों में घोटाले होने का यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी इस तरह के कई विवाद सामने आ चुके हैं। ये देश के मंदिर हैं, इनमें आए दिन कोई न कोई घपला हो रहा है। इससे पहले एम पी के महाकाल मंदिर में सप्त ऋषियों की मूर्तियों के निर्माण में करोड़ों रुपए की हेराफेरी पर शोर-शराबा हुआ था। इससे और पहले सन 2022 में काशी विश्वनाथ मंदिर में घोटाला हुआ था। कहने का मतलब यही है कि देश का शायद ही कोई मंदिर ऐसा है जहां कभी कोई हेरा-फेरी न हुईं हो।
कुछ समय पहले देश के चार बड़े मंदिरों में अथाह दान आने का यह मुद्दा उठा था कि इतना धन कहां से आता है और कहां खर्च होता है। आरोप लगाये गये थे कि मंदिर ट्रस्ट ने भगवान के मंदिरों को सिनेमाघरों की तरह एक बिजनेस का रूप दे दिया है, जैसे 500 का टिकट लेने वाले को आडी सीट, 200 वाले को बालकनी सीट और सौ वाले को नीचे। ये है मंदिरों का वीआईपी कल्चर। ऐसे में मंदिर और सिनेमाघरों में क्या अंतर रह गया है, जैसे एक मूवी का टिकट बेचा जाता है, ठीक वैसे ही भगवान के मंदिर में प्रवेश का।
यह बयान वर्ल्ड काउंसिल आफ आर्य समाज के प्रेसीडेंट और समाज सुधारक स्वामी अग्निवेश ने दिया जिसमें बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर भी सहमत हैं। इन तीनों ने यह कहा ही था कि तभी देश भर के नामी मंदिरों के ट्रस्टी अधिकारी इनके खिलाफ खडे हो गए। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के पीआरओ ने कहा कि हम इन तीनों के विचारों में सहमत नहीं। यही लगभग काशी विश्वनाथ मंदिर के डिप्टी सीईओ पी एन त्रिवेदी ने भी इन धर्म गुरुओं की बात में असहमति जताई। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि यदि मंदिर में भ्रष्टाचार है तो ये तीनों जरा बताएं कि भ्रष्टाचार कहां नहीं है। बाबा रामदेव जैसे लोगों को मंदिरों की ग्राउंड रियल्टी नहीं पता। इन तीनों को सिर्फ राजनीति करना आता है और कुछ नहीं। शिर्डी साईं बाबा के चेयरमैन विनय जोशी ने कहा कि नो कमेंट्स।
उधर सिद्धि विनायक मंदिर मुम्बई के एक्जीक्यूटिव आफीसर मंगेश शिन्दे ने भी यही कहा कि नो कमेंट्स। अब मंदिरों में आने वाले दान पर झगड़ा शुरू हो गया। देश के छ मंदिर ऐसे हैं जहां लगभग दस करोड़ रुपए का दान रोजाना आता है। इन छ मंदिरों की सालाना आय 3278 करोड़ रुपए से ज्यादा है। हैदराबाद के बालाजी मंदिर में एक भी दान पात्र नहीं है। यहां के पुजारी लोगों को गरीबों पर खर्च करने की सलाह देते हैं। दूसरी ओर यहीं के विनायक मंदिर में जज, नेता, मंत्री, सांसद और विधायक का प्रवेश वर्जित माना गया है। दलील दी गई है कि भ्रष्टाचार इन्हीं लोगों की वजह से होता है और इन्हीं लोगों के कारण फलता फूलता है। इनकी दलील में दम है। अब देखिये शिर्डी के सांई बाबा के मुख्य पुजारी सुलेखा जी की दलील। इनका कहना है कि दान के पैसों की चोरी कहीं से भी गलत नहीं है।
पांच-सात प्रतिशत चोरी सामान्य बात है। काशी विश्वनाथ मंदिर में 2022 में मनीआर्डर से मिलने वाली राशि में घोटाला हुआ था। वहां के एक कर्मचारी शशि भूषण ने 1.42 लाख रुपए का घपला कर लिया था जिसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। इसी तरह तिरूपति बालाजी मंदिर में सौ करोड़ रुपए का घपला हो गया। मंदिर के मुख्य पुजारी रमन्ना दीक्षुलुतु ने आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री चन्द्र बाबू नायडू पर गंभीर आरोप लगाया कि नायडू ने मंदिर के सो करोड़ रुपए नियम विरुद्ध जाकर अपने राजनैतिक फैसलों के लिए खर्च कर दिये। मंदिर के पुजारी ने ज्यों ही यह कहा, उसे मंदिर से हटा दिया गया। सन 2021 में इस बात पर झगड़ा शुरू हो गया था कि देश के चार लाख मंदिरों पर सरकार का कब्जा है लेकिन किसी भी चर्च या मस्जिद पर नहीं, क्यों? आपत्ति उठाने वाले भी अपनी जगह सही हैं, उन्हें दर्द है कि उनकी कमाई को सरकार डकार रही है लेकिन चर्च और मस्जिदों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही, यह अन्याय है। दो टूक बात करें तो यह अन्याय ही है।