रेपिस्ट को फांसी भारत में, नामुमकिन!

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* ये राजनीति है, सिर्फ राजनीति

अशोक शर्मा, पत्रकार, अजमेर

हाल ही एम पी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नाबालिग से बलात्कार करने वालों को सजा-ए-मौत दिये जाने का बिल पास कर दिया गया है, इससे दो साल पहले पीएम मोदी सरकार ने भी ऐलान किया था कि हर बलात्कारी को फांसी की सजा दी जाएगी, तब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस अध्यादेश पर मुहर लगा दी थी, लेकिन फांसी किसी को नहीं हुई। मात्र निर्भया केस में चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले 1993 में मुम्बई बम धमाके के आरोपी याकूब मैनन को फांसी दी गई और इसके बाद 2004 में पश्चिमी बंगाल के एक स्कूली छात्रा से बलात्कार के बाद हत्या पर धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई, उसके बाद किसी को नहीं।

यद्यपि भारत में 12 साल से कम उम्र की लड़की से बलात्कार पर 2020 में फांसी दिये जाने का कानून बना था, लेकिन दी किसी को नहीं गई। शिव ने भले ही यह कह दिया है, लेकिन यह भारत में तो कतई संभव नहीं। भले ही निर्भया केस के बाद यह आधिकारिक रूप से कह दिया गया कि नाबालिग से बलात्कार पर फांसी का प्रावधान है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, न किसी को फांसी हुई और न ही कहीं रेप कम हुए। तब से अब तक ऐसे मुद्दों पर राजनीति ही हो रही है और कुछ नहीं, बल्कि जघन्य बलात्कार की घटनाएं बेतहाशा बढ़ी ही हैं,कम नहीं हुईं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2021मे देश में 31,677 बलात्कार हुए, इनमें सर्वाधिक नाबालिग लड़कियों से हुए। इनके अलावा 28,644 महिलाओं से रेप के केस हुए।

ब्यूरो के अनुसार रेप के बाद हत्या के मामलों में यूपी टाप पर है दूसरे स्थान पर एमपी है, लेकिन राजस्थान में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कल ही कहा कि बलात्कार के मामले में राजस्थान टाप पर है। अब या तो राजेन्द्र राठौड़ सही और देश का क्राइम रिकार्ड ब्यूरो गलत है जिसने ऐसे केस में यूपी को टाप पर बताता है। राजेन्द्र सही और ब्यूरो गलत है तो ऐसे ब्यूरो को सस्पेंड कर देना चाहिये। क्या कहते हैं ये आंकड़े। शिवराज सिंह चौहान ने यह सिर्फ राजनीतिक बात की है। इसी मुद्दे पर नेताओं की बात की जाए तो देश के 48 सांसद और विधायक पर महिलाओं से अपराध के केस दर्ज हैं, इनमें यूपी और एम पी टाप पर हैं। यह रिपोर्ट ऐसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच की है। इस रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं से अपराध के केस में भाजपाई लीडर टाप पर हैं। 48 में से 12 सांसद और विधायक बीजेपी के हैं। समूचे देश में 1,580 सांसदों और विधायकों पर महिलाओं से अत्याचार के केस दर्ज हैं। पुन: ऐसे में शिवराज सिंह चौहान कैसे कह सकते हैं कि बलात्कारियों के खिलाफ फांसी की सजा का बिल पास हो गया है। इस किस्म के अपराधों में पूरे देश की हालत बहुत ज्यादा खराब है।राजस्थान की ही बात करें तो यहां हर साल 2,000 नाबालिग लड़कियों से रेप हो रहे हैं।

ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के हैं। उसी के अनुसार पिछले दो सालों में राजस्थान में 11,368 महिलाओं से रेप की घटनाएं हुई, इनके अलावा 26 बालिकाओं से रेप के बाद हत्या के मामले हुए। कहां है वह बलात्कारियों को फांसी की सजा का कानून। दशक बीत गए लेकिन यह कानून कतई अमल में नहीं लाया गया, इन पर बस राजनीतिक रोटियां ही सिकती रहीं। मध्यप्रदेश में 2017 में एक बच्ची से दरिंदगी के बाद हत्या कर दी गई,तब इस कानून को लागू करने की बात उठाई गई,अगले साल शिवराज ने एलान किया कि ऐसे नर-पिशाचों को फांसी की सजा दिला कर रहेंगे, लेकिन कुछ समय बाद वह गुस्सा भी काफूर हो गया।

इस किस्म के जघन्य अपराधों की वजह है डिजिटल क्रांति,जो आसानी से घर-घर पहुंच चुकी है। घर-घर, दल-दल बनते जा रहे हैं। बच्चों को नैतिक शिक्षा दिये जाने का दूर-दूर तक पता नहीं। बच्चे-बूढ़े सभी इसी क्रांति के शिकार हो रहे हैं। भारत में बलात्कारियों को फांसी की सजा दिये जाने की बातें ही हो रही हैं, जबकि कई दूसरे देशों में ऐसे केस में यही सजा दी जा रही है। चीन में सीधे सजा-ए-मौत है, अथवा उसका गुप्तांग काट दिया जाता है। ईरान में गोली मार दी जाती है, नार्थ कोरिया में सिर में गोली मार दी जाती है, अफगानिस्तान में सिर को गोली से उडा दिया जाता है, सउदी अरब में सरेआम सजा-ए-मौत दी जाती है, जबकि भारत में सजा कानून तक घोषित होकर कानून की किताबों में ही घूम रहीं है।

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